इस्लामाबाद : पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने अपने मंत्रियों और सहयोगियों को भारत के खिलाफ टिप्पणी न करने का निर्देश दिया है ताकि हाल ही में शुरु हुई शांति वार्ता प्रभावित नहीं हो. रिपोर्ट में कहा गया कि मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों को ऐसे बयान देने से रोक दिया गया है जिससे शांति प्रक्रिया को नुकसान पहुंच सकता है.
शरीफ के एक करीबी सहयोगी के हवाले से कहा, ‘गड़े मुर्दे उखाडने की बजाय केवल ऐसे बयान होंगे जिनसे वार्ता प्रक्रिया प्रोत्साहित हो. प्रधानमंत्री ने करीबी सहयोगियों और मंत्रिमंडल सदस्यों से शांति को बढावा देने को कहा है.’ शरीफ के सहयोगी के हवाले से कहा गया कि प्रधानमंत्री भारत के साथ बेहतर संबंधों के प्रति आशावादी हैं जिससे समूचे क्षेत्र को लाभ होगा.
उन्होंने कहा कि शरीफ भारत से आए कुछ बयानों से नाराज हैं, लेकिन समझते हैं कि यह भारत सरकार की नीति नहीं है. सहयोगी ने कहा कि शरीफ शांति पर चर्चा के लिए दोनों पक्षों के मेज पर बैठने पर कश्मीर, आतंकवाद और व्यापार को शीर्ष प्राथमिकता देना चाहते हैं.
एक अन्य अधिकारी के हवाले से कहा गया कि शरीफ और सैन्य नेतृत्व भारत के साथ शांति को लेकर एक जैसा मत रखते हैं. अधिकारी ने कहा, ‘कोई मतभेद नहीं है और दोनों इस बात पर सहमत हैं कि महत्वपूर्ण मुद्दों पर निर्दिष्ट स्थिति पर कोई समझौता नहीं होना चाहिए.’ विश्लेषकों का कहना है कि यह एक सकारात्मक घटनाक्रम है कि पाकिस्तान और भारत सभी लंबित मुद्दों के समाधान के लिए समग्र वार्ता करने पर सहमत हुए हैं.
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इस महीने के शुरु में पाकिस्तान की यात्रा की थी. इस दौरान उन्होंने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और विदेश मामलों के उनके सलाहकार सरताज अजीज से मुलाकात की थी. बैठकों के बाद दोनों देशों ने समग्र द्विपक्षीय वार्ता के तहत फिर से बातचीत शुरु करने का फैसला किया है.पाकिस्तान और भारत के विदेश सचिव वार्ता के ब्यौरे का खाका तैयार करने के लिए अगले महीने बैठक करेंगे.