इस्लामाबाद : पाकिस्तान की पूर्ववर्ती पीपीपी सरकार ने 2013 के आम चुनाव से पहले मतदाताओं को लुभाने हेतु कथित तौर पर अपने सांसदों को विकास परियोजनाओं पर खर्च करने के लिए करदाताओं के 125 अरब रुपए दिए थे हालांकि वह मतदाताओं का समर्थन पाने में असफल रही थी. मीडिया में आयी खबरों के अनुसार, इस धन के उपयोग में भी अनियमिततायें हुई.
पीपीपी के सह-अध्यक्ष आसिफ अली जरदारी ने अपने पांच साल के कार्यकाल 2008 से 2013 तक सांसदों के जरिये विकास परियोजनाओं पर यह धन खर्च किया. ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ की खबर के अनुसार, पीपीपी के सांसदों ने 2008 से 2013 के बीच पांच साल की अवधी में 125 अरब रुपए खर्च किए जो उससे पहले के 23 वर्षों (1985 से 2008) में सभी सांसदों द्वारा खर्च किए गए 33.8 अरब रुपए से करीब चार गुना ज्यादा है.
खबर के मुताबिक, ‘‘सरकारी दस्तावेजों की समीक्षा और पृष्ठभूमि में किए गए साक्षात्कारों के माध्यम से ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ ने मतदाताओं का प्यार पाने की पीपीपी की कोशिशों और उसकी आश्चर्यजनक विफलता का पता लगाया है.’’ उसके अनुसार, ‘‘फिर भी पीपीपी के सबसे ज्यादा खुले हाथों से खर्च करने (सांसदों) वाले 10 में से छह लोगा सत्ता से बाहर हो गए.’’
खबर के अनुसार, दस्तावेजों को देखकर लगता है कि काफी बडी मात्र में धन सांसदों की जेबों में गया है. इस मामले में अगर खुलकर गबन नहीं हुआ है तो भी दस्तावेजों और रेकार्ड में काफी गडबडियां और अनदेखी हुई है. सांसदों की ओर से उनके क्षेत्रों में कुल 5,212 परियोजनाएं शुरू की गयी, जिन्हें पूर्व प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी और उनके बाद राजा परवेज अशरफ की मंजूरी प्राप्त थी। कुल 125 अरब रुपये कीमत की इन परियोजनाओं को 2008 से 2013 के बीच मंजूरी दी गयी. खबर के अनुसार, इनमें से 20 अरब रुपए लागत वाली 1,930 परियोजनाओं का कोई वित्तीय रेकार्ड ही नहीं है. ज्यादातर मामलों में ठेका देने के सरकारी नियमों का पालन नहीं किया गया है, जिसके कारण भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं. इस अवधी में शुरु हुई परियोजनाओं में से 1,823 :35 प्रतिशत: कभी पूरी नहीं हुईं और कुछ का प्रगति दर नौ प्रतिशत या उससे से भी कम है.