रांची: कांग्रेस-झामुमो के बीच गंठबंधन में पड़ी दरार गहराती जा रही है. सीटों के तालमेल पर दोनों दलों में बात बनती नहीं दिख रही है. संताल और कोल्हान की सीटों को नहीं छोड़ने पर अड़े झामुमो का तेवर ठंडा करने के लिए कांग्रेस ने झाविमो का कार्ड खेल दिया है. झामुमो को बता दिया गया है कि कांग्रेस के पास विकल्प मौजूद है.
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सुखदेव भगत ने दिल्ली में झाविमो नेता प्रदीप यादव और प्रवीण सिंह से गंठबंधन को लेकर बात की. सीटों के बंटवारे पर झाविमो का पक्ष लेकर पार्टी आलाकमान के लिए नया प्रस्ताव बना लिया. कांग्रेस की नयी चाल का झामुमो पर भी प्रतिकूल असर पड़ा है. अब तक गंठबंधन की भाग-दौड़ से अलग-थलग पड़े राजद को झामुमो विश्वास में लेने की कोशिश में लग गया है. इसी क्रम में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गुरुवार को राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद से मुलाकात कर अपनी बात समझाने की कोशिश की. श्री सोरेन ने संताल और कोल्हान में अपनी मजबूत स्थिति बताते हुए दावेदारी की. इधर, कांग्रेस के कार्ड पर राजद भी सक्रिय है. राज्यसभा सांसद प्रेमचंद गुप्ता और राजद के प्रदेश अध्यक्ष गिरिनाथ सिंह ने झाविमो से बात बढ़ायी है. राजद, झामुमो के मुन्नू ठाकुर के गढ़वा में नामांकन भरने से नाराज है. बताते चलें कि गढ़वा राजद के प्रदेश अध्यक्ष गिरिनाथ सिंह के कोटे की है.
अकेला पड़ सकता है झामुमो : आगामी चुनाव में अब तक कांग्रेस, राजद और जदयू का ही गंठबंधन तय है. कांग्रेस को झाविमो के साथ गंठबंधन कर चुनाव लड़ने से परहेज नहीं है. राजद और जदयू पहले से ही कांग्रेस के साथ हैं. ऐसे में कांग्रेस के झाविमो कार्ड से झामुमो गंठबंधन की रेस में अलग-थलग पड़ सकता है. झामुमो के साथ गंठबंधन होने की स्थिति में भी झाविमो फैक्टर काम करेगा.
झाविमो का विकल्प मौजूद होने की बात कर कांग्रेस, झामुमो पर दबाव बनाने में कामयाब हो सकती है. गंठबंधन के खेल में झाविमो का दखल झामुमो को संताल और कोलहान में कांग्रेस को सीट देने पर विचार करना पड़ सकता है.