जब-जब मैं सौगंध खाता हूँ कि अब मैं किसी बात की परवाह नहीं करूँगा तो किसी न किसी बात पर मन दुखी हो जाता है.
अब इसी को लीजिए पाकिस्तानी रेंजर्स ने ईद पर पंजाब और कश्मीर की सीमा पर बैठी भारतीय सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) को मिठाई नहीं दी तो बीएसएफ ने भी दिवाली पर पाकिस्तानी रेंजर्स का मुँह मीठा नहीं कराया और उन्हें दिखा-दिखा के ख़ुद खाते रहे.
बीएसएफ पंजाब के डीआईजी अशोक कुमार कहते हैं कि हमने दिवाली से पहले ही पाकिस्तानी रेंजर्स के साथ फ्लैग मीटिंग में साफ़-साफ़ बता दिया था कि भइया इस बार दिवाली पर हल्दीराम के भरोसे न रहना.
धन्यवाद
मगर राजस्थान की बात ही और है. वहाँ की सीमा पर डटी बीएसएफ के डीआईजी रवि गाँधी कहते हैं कि हमने 14 पोस्टों पर विरोधी पाकिस्तानी मित्रों को दिवाली पर मिठाई पेश की, चार रेंजर्स पोस्टों ने उपहार स्वीकार कर लिया और 10 पोस्टों के संतरियों ने कहा, "धन्यवाद, आप ही खाइए."
आश्चर्यजनक बात यह है कि जिन्होंने बीएसएफ वालों को आदेश दिया कि इस बार मिठाई ख़ुद खाना उन्हें न देना, ख़ुद ये हुकुम देने वालों ने दिल्ली के पाकिस्तानी उच्चायोग की दिवाली मिठाई मुस्कराते हुए वसूली.
यकीन न आए तो राष्ट्रपति भवन, प्रधानमंत्री के दफ़्तर और विदेश मंत्रालय फ़ोन करके ख़ुद ही पूछ लें.
मिठाई
मेरा तो मानना है कि दुश्मनी कितनी भी हो, मिठाई वापस नहीं करनी चाहिए.
क्या किसी बहू को सास की मिठाई लौटाते सुना है?
क्या किसी अमरीकी ने ईरानी बुलावे का कभी बॉयकॉट किया है?
क्या रावलपिंडी की जिस दुकान से नवाज़ शरीफ़ के लिए ग्राटो जलेबियाँ जाती हैं उस दुकान से इमरान ख़ान को नहीं जातीं?
शुभकामनाएँ
बेगानी शादी में बच्चे भले पैसे लूटते हुए एक-दूसरे पर हाथ छोड़ दें लेकिन बंटती मिठाई नहीं छोड़ते.
मेरा वश चले तो इस पार लगे हर मिसाइल की नोंक पर जलेबी के शीरे से लिख दूँ कि पाकिस्तान की तरफ़ से हार्दिक बधाई…
और उस पार तैयार हर परणामु बम पर काजू बर्फी का डिब्बा लटकाकर लिख दूँ कि ढेर सारी शुभकामनाएँ, भारत की ओर से.
नाश विनाश की किसे परवाह है, प्रेम बढ़ना चाहिए.
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