पटना के गांधी मैदान भगदड़ मामले में दो सदस्यीय जांच दल ने मंगलवार को खुली सुनवाई में 51 पीड़ितों और प्रत्यक्षदर्शियों के बयान दर्ज किए हैं. यह सुनवाई बुधवार को भी जारी रहेगी.
इस दल के सदस्य और बिहार के गृह सचिव आमिर सुबहानी ने कहा कि लोगों के बयान का अध्ययन कर रिपोर्ट तैयार की जाएगी.
गृह सचिव के साथ-साथ जांच दल के दूसरे सदस्य और एडीजी (मुख्यालय) गुप्तेश्वर पांडेय भी मौजूद थे.
एक घंटे देर से शुरू हुई सुनवाई में लोगों ने अपना बयान दर्ज कराया.
इस सुनवाई की वीडियोग्राफ़ी भी हुई और बंद कमरे में सुनवाई की बात कहने पर शुरुआत में जांच दल को लोगों के विरोध का भी सामना करना पड़ा.
‘तार गिरने की अफ़वाह’
पटना के सिपारा की महिला ऑटो चालक सरिता पांडे और उनके दो बच्चे भी भगदड़ में घायल हुए थे.
उन्होंने कहा, "भगदड़ के समय मैदान के सिर्फ़ दो दरवाज़े ही खुले हुए थे और इसमें से एक से सिर्फ़ वीआईपी लोगों को बाहर निकाला जा रहा था."
बयान में सरिता ने पुलिस बल की कमी होने, मैदान में बिजली गुल रहने की बात भी दर्ज कराई.
उन्होंने अधिकारियों को बताया, "पहले बिजली का तार गिरने की अफ़वाह उड़ी, इसके बाद पुलिस ने लाठी चार्ज किया और फिर भगदड़ मची."
न्याय का ‘भरोसा नहीं’
पटना के सालेमपुर अहरा के प्रमोद कुमार गुप्ता की मां और भाभी की मौत हादसे में हुई थी.
प्रमोद और उनके भाई बिनोद ने दोषियों की गिरफ्तारी के साथ-साथ उन पर हत्या का मुकादमा दर्ज करने का माँग की है.
वहीं भगदड़ में घायल ज्योति कुमारी ने कहा कि उन्हें अब तक प्रशासन से कोई मुआवज़ा नहीं मिला है.
उनके अनुसार अधिकारियों के संवाद का तरीका उनमें न्याय मिलने का भरोसा पैदा नहीं कर पाया.
निलंबन और तबादला
इस बीच बिहार सरकार ने पीएमसीएच के अधीक्षक डॉक्टर लखींद्र प्रसाद को निलंबित कर दिया.
वहीं तीन विभागाध्यक्षों और चार प्रोफ़ेसरों का तबादला भी किया गया है.
रविवार की शाम दशहरा हादसे के घायलों को देखने पहुंचे मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने राज्य के सबसे बड़े अस्पताल की अव्यवस्था पर नाराजगी जताई थी और कार्रवाई की बात कही थी.
(बीबीसी हिंदी का एंड्रॉयड मोबाइल ऐप डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें. आप ख़बरें पढ़ने और अपनी राय देने के लिए हमारे फ़ेसबुक पन्ने पर भी आ सकते हैं और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)