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‘मॉम’ से हुआ ‘मंगल’ का मिलन
मंगल का पौराणिक महत्व है. हजारों साल पहले जो ग्रंथ लिखे गये, उनमें इस ग्रह का जिक्र मिलता है. भारत ही नहीं, विदेशों में भी. भारत के पौराणिक ग्रंथों में मंगल को धरती का पुत्र बताया गया है. शायद यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए कहा, ‘मॉम का […]
मंगल का पौराणिक महत्व है. हजारों साल पहले जो ग्रंथ लिखे गये, उनमें इस ग्रह का जिक्र मिलता है. भारत ही नहीं, विदेशों में भी. भारत के पौराणिक ग्रंथों में मंगल को धरती का पुत्र बताया गया है. शायद यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए कहा, ‘मॉम का मंगल से मिलन हो गया.’
ऐतिहासिक उपलब्धि के बाद कमान केंद्र में जश्न का माहौल
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के कमान केंद्र में बुधवार सुबह कुछ ही पल में जैसे सारा आलम बदल गया. चिंता और उत्सुकता में नाखून चबा रहे लोग ‘मंगलयान’ के लाल ग्रह की कक्षा में प्रवेश करते ही खुशी और गर्व से सराबोर हो गये.
अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत द्वारा इतिहास रचे जाने की इस घटना के गवाह बनने के लिए मौजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इन रोमांचकारी लम्हों का आनंद लिया. भारत के मार्स ऑर्बिटर मिशन (मॉम) की सफलता का पहला संकेत उस समय मिला, जब अंतरिक्ष यान का प्रमुख इंजन (लिक्विड एपोजी मोटर) और प्रक्षेपक 300 दिन तक सुप्तावस्था में रहने के बाद सक्रिय हो गये. ये अंतरिक्ष यान की यात्रा ा की शुरुआत से ही सुप्तावस्था में थे.
अभियान की सफलता से उत्साहित मोदी ने तालियों से अपनी खुशी जाहिर करने के बाद घोषणा करते हुए कहा, आज ‘मॉम’ को मंगल मिल गया.
आज मंगल को ‘मॉम’ मिल गयी.’ मार्स ऑर्बिटर अंतरिक्षयान के सफलतापूर्वक मंगल की कक्षा में प्रवेश करने की पुष्टि होते ही इसरो के मिशन ऑपरेशन कॉम्प्लेक्स-2 (एमओएक्स-2) में वैज्ञानिक खुशी से झूम उठे और उन्होंने तालियों की गड़गड़ाहट के साथ इस सफलता के प्रति अपनी खुशी जाहिर की. वरिष्ठ और कनिष्ठ वैज्ञानिक इस उपलब्धि पर एक-दूसरे को मुबारकबाद देने लगे. उन्होंने खुशी से चिल्लाते हुए मीडिया के लिए ‘विक्टरी साइन’ (जीत का संकेत) भी दर्शाया.
मंगलयान की खास बातें
सबसे सस्ता मंगल मिशन : 450 करोड़ रुपये की लागतवाली मंगलयान मुंबई की आठ लेन सड़क (लागत 2,074 करोड़) और हॉलीवुड फिल्म ‘ग्रैविटी’ (लागत 641 करोड़) से सस्ती. नासा के ‘मावेन’ की लागत का 1/10 वां भाग. रिकॉर्ड 18 माह में तैयार होने की वजह से मिशन की लागत काफी कम रही.
भारतीय का योगदान : 1.2 अरब लोगों में से हर व्यक्ति ने चार रुपये का योगदान किया
वजन : 1350 किलो का ऑर्बिटर एक सामान्य स्पोर्ट्स यूटिलिटी वाहन से भी हल्का है.
18 महीने बनाम पांच साल : मंगलयान सिर्फ 18 महीने में बना, जबकि नासा का ‘मावेन’ पांच साल में.
धरती के प्रभाव से बाहर प्रक्षेपण : मंगलयान पहला स्पेसक्राफ्ट है, जिसे इसरो ने अपने 44 साल के इतिहास में पहली बार पृथ्वी के प्रभाव क्षेत्र के बाहर से प्रक्षेपण किया.
ऑटो से कम किराया : 67 करोड़ किमी दूर ग्रह जाने का प्रति किमी खर्च 6.7 रुपये रहा, जो भारत के कई शहरों में ऑटो के किराये से भी कम है.
क्लब का चौथा सदस्य देश : मंगल पर कदम रखनेवाला एशिया का पहला देश और इस क्लब का चौथा सदस्य देश. अभी तक अमेरिका, रूस और यूरोपीय संघ को ही मिली है सफलता.
मंगल ग्रह पर गये मार्श ऑर्बिटर मिशन और उसके उद्देश्य
मीथेन गैस का पता लगाना, जो ग्रह पर जीवन का संकेत है
अंतरग्रही मिशन की योजना बनाने, प्रबंधन और संचालन
डीप स्पेस कम्युनिकेशन, नेविगेशन मिशन की योजना और प्रबंधन
डिजाइन के लिए जरूरी तकनीक का विकास
क्यों कहते हैं लाल ग्रह
मंगल ग्रह, सौर मंडल में दूसरी सबसे छोटी खगोलीय संरचना है. इस ग्रह पर लौह ऑक्साइड बहुतायत में है, जिस कारण से इसका सतह लाल है. इसलिए इसे लाल ग्रह कहते हैं.
687 दिन में सूर्य की परिक्रमा करता है मंगल
धरती को सूर्य की परिक्र मा करने में 365 दिन लगते हैं, लेकिन मंगल को सूर्य की परिक्र मा में 687 दिन लगते हैं.
पेलोड
लिमान-अल्फा फोटोमीटर
मीथेन सेंसर
मार्स एक्सोस्फेरिक न्यूट्रल कंपोजिशन एनालाइजर
थर्मल इन्फ्रारेड इमेजिंग स्पेक्ट्रोमीटर (टीआइएस)
मार्स कलर कैमरा (एमसीसी)
पीएम को जानकारी दे रहे थे टीके एलेक्स
घटनाक्रम को बेहद उत्सुकता से देख रहे प्रधानमंत्री मंगल की कक्षा में यान के प्रवेश से जुड़े जटिल कार्यो को साथ बैठे इसरो सेटेलाइट सेंटर के पूर्व निदेशक टीके एलेक्स से समझने की कोशिश भी कर रहे थे. इस अवसर पर कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई वाला, मुख्यमंत्री सिद्धरमैया, केंद्रीय मंत्री सदानंद गौड़ा और अनंत कुमार, इसरो के पूर्व प्रमुख यूआर राव और इसरो के संस्थापक जनकों में से एक प्रोफेसर यशपाल मौजूद थे.
बधाईयों का लगा तांता
पहले ही प्रयास में मार्स ऑर्बिटर मिशन (एमओएम) को मंगल ग्रह की कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर लेने के लिए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से लेकर नासा तक, सभी ओर से इसरो के वैज्ञानिकों को बधाईयां मिल रही हैं.
मंगलयान की सफलता के लिए इसरो के दल को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं. देश को इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर गर्व है.
प्रणब मुखर्जी, राष्ट्रपति
भारत के लिए यह एक ‘ऐतिहासिक अवसर’ है. पूरे देश के साथ मिल कर मैं वैज्ञानिकों को उनकी सफलता के लिए सलाम करता हूं. मुझे विश्वास है कि हमारे वैज्ञानिक अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में और अधिक ऊंचाईयों को छूना और देश के लिए और अधिक उपलब्धियां हासिल करना जारी रखेंगे.
हामिद अंसारी, उप राष्ट्रपति
यह उपलब्धि ‘भावी पीढ़ियों के लिए’ प्रेरणा का स्रोत होगी. मंगलयान के साथ भारत ने अंतरिक्ष अन्वेषण में जुटे विश्व के प्रमुख देशों में एक सम्मानजनक स्थान हासिल कर लिया है. स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से एक देश के रूप में जो सफर हमने तय किया है, यह उसमें एक मील का पत्थर है. इसरो प्रमुख डॉ के राधाकृष्णन के नेतृत्व में अंतरिक्ष वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के दल के ‘साहस, जुनून और कल्पना’ ने इस अभियान को सफल बनाया है.
सोनिया गांधी, अध्यक्ष, कांग्रेस
जय हिंद. भारत मंगल की कक्षा में प्रवेश करनेवाला पहला एशियाई देश है, और वह भी पहले ही प्रयास में. वैज्ञानिकों को सलाम. मैं इसरो को अभियान के अगले चरण के लिए शुभकामनाएं देता हूं.
शिवराज सिंह चौहान, मुख्यमंत्री, मध्यप्रदेश
‘‘इसरो को बधाई. हम सभी भारतीयों के लिए यह गौरव का क्षण है.
अरविंद केजरीवाल, संयोजक, आम आदमी पार्टी
आज का दिन भारतीय अंतरिक्ष इतिहास का स्वर्णिम दिन है. भारतीय वैज्ञानिकों को प्रथम प्रयास में ही मंगल ग्रह में प्रवेश की अद्वितीय सफलता मिली है. इसरो वैज्ञानिकों की इस उपलब्धि से विश्व में भारत का गौरव बढ़ा है, जिसके लिए देशवासियों को उन पर नाज है.
अशोक गहलोत, पूर्व मुख्यमंत्री, राजस्थान
नासा-इसरो में संदेश का आदान-प्रदान
मावेन का दल इसरो को उसके मंगल आगमन की बधाई देता है. मार्स ऑर्बिटर लाल ग्रह का अध्ययन कर रहे अभियानों से जुड़ गया. नासा, अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी
मेवेन दल का शुक्रिया.
इसरो, भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी
कांग्रेस को सूझी राजनीति
क्या पीएम मानते हैं कि 100 दिन में यह उपलब्धि हासिल हुई है : दिग्विजय
कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने इसरो की सराहना के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तंज भी कसा. उन्होंने इस बात पर हैरानी जतायी कि क्या प्रधानमंत्री मानते हैं कि यह अभियान 100 दिनों में पूरा कर लिया गया है.
दिग्विजय ने ट्विटर पर पोस्ट किया, ‘मंगलयान अभियान की सफलता में भागीदारी करनेवाले सभी लोगों को बधाई. क्या मोदी को अभी भी लगता है कि यह 100 दिनों में हासिल किया गया है?’ प्रधानमंत्री ने इतिहास रचने के लिए भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की सराहना की थी.
उन्होंने कहा था कि दुश्वारियां हमारे सामने आयीं, क्योंकि ‘मंगल पर भेजे गये 51 में से महज 21 ही अभियान सफल हुए हैं’, लेकिन जीत हमारी हुई.
60 साल में विकास न होने का दावा करनेवालों को जवाब : आजाद
राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि एमओएम को मंगल की कक्षा में स्थापित करना ‘वैश्विक प्रभाववाली राष्ट्रीय उपलब्धि’ है. यह हमारे वैज्ञानिकों के सतत परिश्रम और चिरस्थायी धैर्य का नतीजा है. उन्होंने कहा कि एमओएम एक स्वदेशी कार्यक्रम है, जिसका सफल विकास और प्रक्षेपण इसरो ने किया.
उन्होंने कहा, ‘हम इस असाधारण उपलब्धि के लिए इसरो के प्रतिभावान वैज्ञानिकों को सलाम करते हैं. हमें आप पर गर्व है. यह देश के लिए जश्न का अवसर तो है ही, उन नेताओं के लिए एक उपयुक्त जवाब भी है, जो यह दावा करते रहते हैं कि पिछले 60 सालों में कुछ हुआ ही नहीं है.
बॉलीबुड ने भी दी बधाई
‘‘मंगलयान : भारत माता की जय. ऐतिहासिक. पहले प्रयास में सफलता हासिल करनेवाला एकमात्र देश. वह भी हॉलीवुड की किसी फिल्म के बजट से भी कम बजट पर. हमारे वैज्ञानिकों ने वह हासिल किया है, जो दूसरे नहीं कर सके. बधाई, प्यार, स्नेह, अभिनंदन और जय जयकार. एमओएम (मार्स ऑर्बिटर मिशन).
अमिताभ बच्चन, अभिनेता
‘‘नमस्कार, सभी भारतीयों के लिए यह बहुत गर्व का दिन है. इसरो के हमारे वैज्ञानिकों ने चमत्कार कर दिखाया है. भारत का अंतरिक्ष यान सफलतापूर्वक मंगल की कक्षा में पहुंच गया है. मैं सभी वैज्ञानिकों को बधाई देती हूं और उनके परिश्रम एवं समर्पण को सलाम करती हूं. जय हिंद.
लता मंगेशकर, गायिका
‘‘मंगलयान की बड़ी खबर के साथ उठा. अब तक का सबसे कम लागतवाला मंगल अभियान. क्या शानदार उपलब्धि है. इसरो को बधाई. भारतीय होने पर गर्व है.
अक्षय कुमार, अभिनेता
‘‘मैं भारत और इसरो को मंगल के सफल अभियान के लिए बधाई देती हूं.
श्रीदेवी, अभिनेत्री
‘‘पहले ही प्रयास में ‘मंगलयान’ मंगल पर पहुंच गया. बेहद सम्मान की बात है. भारतीय होने का गर्व है.
शाहिद कपूर, अभिनेता
‘‘मंगल मंगल. मंगलयान. इसरो के लिए एक महान उपलब्धि. जय हिंद.
अभिषेक कपूर, अभिनेता
‘‘इसरो को बधाई.
सुनिधि चौहान, गायिका
मिशन के हीरो
के राधाकृष्णन : इसरो के चेयरमैन और स्पेस डिपार्टमेंट के सचिव. मिशन के नेतृत्व के साथ इसरो ही हर गतिविधि की जिम्मेवारी इन्हीं की है.
एम अन्नादुरई : मंगलयान के प्रोग्राम डायरेक्टर. 1982 में इसरो में आये. कई प्रोजेक्ट का नेतृत्व किया. चंद्रयान-1 के प्रोजेक्ट डायरेक्टर रहे अन्नादुरई बजट मैनेजमेंट, शिडय़ूल, संसाधनों की जिम्मेदारी संभालते हैं.
एस रामाकृष्णन : विक्र म साराभाई स्पेस सेंटर के डायरेक्टर और लांच अथोरजिन बोर्ड के सदस्य हैं.1972 में इसरो में आये. पीएसएलवी निर्माण में अहम भूमिका निभायी.
एसके शिवकुमार : इसरो सैटेलाइट सेंटर के डायरेक्टर. 1976 में इसरो से जुड़े. कई भारतीय सैटेलाइट मिशन में योगदान दिया.
इनका भी अहम योगदान
– पी कुन्हीकृष्णन – चंद्रराथन
– एएस किरण कुमार – एमवाइएस प्रसाद – एस अरुणन – बी जयकुमार – एमएस पन्नीरसेल्वम – वी केशव राजू – वी कोटश्वर राव
चीन ने भी की तारीफ
चीन ने भारत को बधाई दी. कहा कि मंगल मिशन की सफलता न सिर्फ भारत और एशिया के लिए एक गौरवशाली उपलब्धि है, बल्कि इंसान द्वारा अंतरिक्ष के रहस्यों को जानने की दिशा में ‘अहम प्रगति’ भी है.
उन्होंने कहा, ‘चीन ने हमेशा अंतरिक्ष का शांतिपूर्ण विकास चाहा है और इस बाबत सहयोग किया है.’ ज्ञात हो कि अंतरिक्ष में मानव, चांद पर मानवरहित मिशन भेजने में कामयाब चीन वर्ष 2011 में मंगल अभियान में सफल नहीं हो सका.
वर्ष 2011 में उसका पहला मंगल खोज मिशन ‘यिंग्हुओ-1’ को लेकर जा रहा रूसी अंतरिक्ष यान एक साल बाद हादसे का शिकार हो गया था.
कैबिनेट की मंजूरी से सफलता तक
तीन अगस्त, 2012 : 450 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट को भारत सरकार ने तीन अगस्त, 2012 को मंजूरी दी.
पांच नवंबर, 2013 : इसरो के पीएसएलवी सी25 ने आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा से भारत के मार्स ऑर्बिटर मिशन का प्रक्षेपण किया.
सात नवंबर : पहली पृथ्वी-नियंत्रित प्रक्रिया संपन्न
आठ नवंबर : दूसरी पृथ्वी-नियंत्रित प्रक्रिया संपन्न
नौ नवंबर : तीसरी पृथ्वी-नियंत्रित प्रक्रिया संपन्न
11 नवंबर : चौथी पृथ्वी-नियंत्रित प्रक्रिया संपन्न
12 नवंबर : पांचवी पृथ्वी-नियंत्रित प्रक्रिया संपन्न
16 नवंबर : छठी पृथ्वी-नियंत्रित प्रक्रिया संपन्न
एक दिसंबर : एमओएम ने छोड़ी पृथ्वी की कक्षा, मंगल की ओर रवाना
चार दिसंबर : एमओएम 9.25 लाख किलोमीटर के दायरेवाले पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण प्रभाव क्षेत्र से बाहर निकला
11 दिसंबर : अंतरिक्ष यान पर पहली दिशा संशोधन प्रक्रिया संपन्न
12 फरवरी, 2014 : मिशन के 100 दिन पूरे हुए
11 जून : दूसरी दिशा संशोधन प्रक्रिया संपन्न
22 सितंबर : एमओएम ने किया मंगल के गुरुत्वीय क्षेत्र में प्रवेश. 300 दिन तक सुप्तावस्था में रहने के बाद 440 न्यूटन लिक्विड एपोजी मोटर का परीक्षण, अंतिम पथ संशोधन कार्य संपन्न
24 सितंबर : एमओएम मंगल की लक्षित कक्षा में पहुंचा, भारत पहले प्रयास में सफल. दुनिया का पहला देश बना.
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