9.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

नरेंद्र मोदी सीएम से पीएम बने, लेकिन रूटीन जस की तस-2: बीस घंटे काम चार घंटे आराम

गतांक से आगे ऑफिस पहुंचते ही फाइलों को निबटाने और जरूरी बैठकों का सिलसिला शुरू होता है. नरेंद्र मोदी अमूमन दिन में दो-तीन महत्वपूर्ण बैठकें करते हैं. अधिकारी संबंधित विषय पर चर्चा करते हैं, पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन होते हैं. जहां जरूरी हुआ, पीएम वहां निर्देश देते हैं. गणमान्य लोगों से मिलने का सिलसिला भी जारी […]

गतांक से आगे

ऑफिस पहुंचते ही फाइलों को निबटाने और जरूरी बैठकों का सिलसिला शुरू होता है. नरेंद्र मोदी अमूमन दिन में दो-तीन महत्वपूर्ण बैठकें करते हैं. अधिकारी संबंधित विषय पर चर्चा करते हैं, पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन होते हैं. जहां जरूरी हुआ, पीएम वहां निर्देश देते हैं. गणमान्य लोगों से मिलने का सिलसिला भी जारी रहता है. अमूमन हर दिन वह छह से आठ महत्वपूर्ण लोगों को मिलने का समय देते हैं. जब से पीएम बने हैं, दुनिया के कई देशों के नेता, प्रधानमंत्री, मंत्री और राजदूत उनसे मिल चुके हैं. शुरू में राज्यपालों, मुख्यमंत्रियों की शिष्टाचार मुलाकात होती थी.

दोपहर डेढ़ से ढाई बजे के बीच 20 मिनट में हल्का भोजन लेते हैं. अकेले. लंच के बाद उनकी आराम करने की आदत नहीं. लंच खत्म होने के साथ ही फिर से फाइलों को निबटाने, संबंधित मंत्रियों, अफसरों से मिलने का सिलसिला शुरू हो जाता है. रूटीन में रात पौने दस के करीब साउथ ब्लॉक के अपने दफ्तर से निकलते हैं. आवासीय कार्यालय पर काम कर रहे हों, तब भी 7-आरसीआर से फाइव आरसीआर तक पहुंचना रात 10 बजे ही हो पाता है. मोदी जब 5-आरसीआर पहुंच जाते हैं, पीएम कार्यालय से जुड़े उनके महत्वपूर्ण अधिकारी और निजी स्टाफ अपने घर के लिए रवाना होते हैं.

हालांकि, 5-आरसीआर पहुंचने के बाद भी मोदी के काम का सिलसिला बंद नहीं होता. अमूमन रात साढ़े दस बजे भोजन कर लेते हैं. रात में खिचड़ी-कढ़ी या फिर कोई और हल्का-फुल्का गुजराती व्यंजन. इसके बाद जरूरी फोन कॉल्स करते हैं. मोदी की ये आदतें बतौर मुख्यमंत्री भी थीं और बतौर पीएम भी हैं. फोन कॉल्स के साथ ही मोदी पेंडिंग फाइलें भी निबटा लेते हैं. दिन में उनके पास आयी फाइल पर रात तक फैसला लेकर निर्देश देने की उनकी पुरानी आदत है. टेबल पर पेंडिंग फाइल नहीं देखना चाहते. यह सिलसिला रात के पौने बारह-बारह बजे तक चलता है. फिर वह सोने चले जाते हैं. सोते-सोते भी किताब बांचना, उनकी आदत है. मोदी ने कभी यह नहीं बताया कि जो कविताएं या किताबें उन्होंने गुजरात का सीएम रहते लिखीं, उसके लिए समय कब निकाला. शायद रात का यही वक्त है, जब मोदी अपनी साहित्यिक रचनाशीलता की भूख को शांत करते हैं.

यदि इसे मोदी की दिनचर्या समझ रहे हैं, तो आप धोखे में हैं. याद कीजिए, दिन में कितनी बार पीएमओ से ट्वीट आते हैं. हर महत्वपूर्ण विषय, घटनाक्र म पर. जम्मू-कश्मीर में बाढ़ के मद्देनजर मोदी ने समर्थकों को उनके जन्मदिन का उत्सव न मनाने निर्देश भी ट्विटर पर ही दिया. दिन हो या रात, अपनी आइटी टीम के सदस्यों से मोदी जुड़े रहते हैं, विदेश यात्र के दौरान भी. हर महत्वपूर्ण मौके पर किस किस्म का ट्वीट हो, उसके बारे में भी दिशा-निर्देश देते हैं.

मोदी की एक और आदत है. ज्यादातर पत्रों का जवाब भले ही उनका निजी स्टाफ तैयार करता हो, उस पर हस्ताक्षर वही करते हैं. रक्षाबंधन के मौके पर मोदी ने बड़ी तादाद में आये पत्रों का जवाब दिया, सभी पत्रों पर हस्ताक्षर किये.

सुबह और देर शाम को चुनिंदा अधिकारियों के साथ महत्वपूर्ण नीतिगत विषयों पर चर्चा करते हैं. यह भी तय होता है कि बतौर प्रधानमंत्री मोदी अपने भाषणों में किन मुद्दों पर जोर डालें. हालांकि, इन मामलों में अंतिम फैसला मोदी का ही होता है. वे लिखा भाषण नहीं पढ़ते. विदेश में भी. अपने पहले विदेश दौरे के तहत भूटान में जो एक्सटेंपोर भाषण का सिलसिला मोदी ने शुरू किया, ब्राजील, नेपाल और जापान में जारी रहा. अब लोगों की निगाह मोदी के संयुक्त राष्ट्र के भाषण पर है, जो वे हिंदी में और एक्सटेंपोर ही देनेवाले हैं.

हालांकि, मोदी के रूटीन में कभी-कभार, साल में एकाध बार बदलाव आता है. उनके हालिया गुजरात दौरे में भी यह दिखा, जब वह मां और छोटे भाई के परिवार से मिले. अपने जन्मदिन पर बुधवार सुबह साढ़े सात बजे मां हीराबा से आशीर्वाद लेने गये. बिना पीएम सिक्यूरिटी के लंबे-चौड़े ताम-झाम के बगैर. पीएम की ट्रेडमार्क बीएमडब्ल्यू कार की जगह स्कॉर्पियो में. उनकी मां अपने सबसे छोटे बेटे पंकज के साथ गांधीनगर के सेक्टर 22 के एक छोटे से सरकारी फ्लैट में रहती हैं. मोदी करीब 15 मिनट तक मां के साथ रहे. मां ने मुंह मीठा कराया. जाते वक्त हीराबा ने बेटे को पांच हजार रुपये दिये, जम्मू-कश्मीर में आयी आपदा के लिए प्रधानमंत्री राहत कोष में अपने योगदान के तौर पर. हीराबा ने यह रकम पिछले कुछ वर्षो में इकट्ठा की थी, धार्मिक कार्य के लिए. लेकिन, जब बेटे नरेंद्र मोदी ने देश के पीएम के तौर पर लोगों से जम्मू-कश्मीर के बाढ़ पीड़ितों के लिए मदद की अपील की, तो मां इसे नजरअंदाज कैसे कर सकती थीं. मां से मिलने के बाद मोदी छोटे भाई के परिवार के सदस्यों से भी मिले. ज्यादातर नेता या मंत्री साल भर अपने परिवार के सदस्यों से घिरे रहते हैं, जबकि मोदी कभी-कभार, कुछ मिनटों के लिए. यह खास मौका अमूमन 17 सितंबर को ही आता है. हालांकि सुबह-सुबह मां से मिलने के बाद मोदी तुरंत अपने आधिकारिक काम में लग गये, 10 बजे गुजरात सरकार के एक कार्यक्रम का उदघाटन किया, तो शाम में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात और फिर रात में दिल्ली रवाना हो गये.

पीएम बनने के बाद मोदी पहली बार बुधवार को मां से मिले. आठ दिन के अंदर अमेरिका रवाना होंगे. उस अमेरिका, जिसने वर्ष 2005 में उन्हें वीजा देने से इनकार कर दिया था. अब अमेरिका के राष्ट्रपति के बुलावे पर जा रहे हैं. न्यू यॉर्क से वाशिंगटन तक उनके लिए लाल जाजम बिछायी जा रही है. वक्त बदल गया है, इसका अहसास मोदी के साथ देश और दुनिया को भी है. अगर कुछ नहीं बदली, तो मोदी की रूटीन, जिसमें 20 घंटे काम और चार घंटे आराम, पिछले डेढ़ दशक से जारी है.

(समाप्त) (ये लेखक के निजी विचार हैं)

ब्रजेश कुमार सिंह संपादक-गुजरात एबीपी न्यूज

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें