जापान में स्नैपिंग कछुओं की आबादी में भारी बढ़ोत्तरी से देश के नाज़ुक पारिस्थितिकीय तंत्र को ख़तरा पैदा हो गया है.
क्योदो समाचार एजेंसी के अनुसार मूलतः अमरीका से आए इन कछुओं को 1960 के दशक में पालतू जानवरों के रूप में पाला जाने लगा.
एक अनुमान के अनुसार दस साल पहले करीब 10,000 कछुए चिबा प्रांत में थे.
इन कछुओं को जापान में हमलावर नस्ल की श्रेणी में रखा गया है. ये वहां मछलिओं, पक्षियों और घास के भंडारों को खा रहे हैं और मछुआरों के जालों को काट देते हैं.
शिज़ोको विश्वविद्यालय के जीवविज्ञानी हिदियाकी कातो कहते हैं, "संभव है कि जब तक स्नैपिंग कछुओं की आबादी में वृद्धि को देखा गया, तब तक वे पारिस्थितिकी तंत्र को पर्याप्त नुक़सान कर चुके थे."
ये कछुए एक मीटर तक लंबे और 35 किलो तक वजनी हो सकते हैं. इनके बच्चों को काटे जाने की ख़बरें भी मिलने लगी हैं.
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