भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन 30 जून को फ्रांसीसी उपग्रह स्पॉट-7 समेत कनाडा, जर्मनी और सिंगापुर के कुल पांच उपग्रहों का एक साथ प्रक्षेपण करेगा, जो देश के लिए एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है. आज का नॉलेज स्पॉट-1 से लेकर स्पॉट-7 तक के सफर की महत्वपूर्ण जानकारियों के अलावा आपको पीएसएलवी द्वारा अन्य देशों के लिए प्रक्षेपित किये गये उपग्रहों की जानकारी भी मुहैया करा रहा है..
पश्चिमी देश भले ही भारत को आधुनिक तकनीक के मामले में अब भी पिछड़ा समझ रहे हों, लेकिन हकीकत यह है कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) आगामी 30 जून को सुबह 9.49 बजे फ्रांसीसी उपग्रह स्पॉट-7 समेत कनाडा, जर्मनी और सिंगापुर के कुल पांच उपग्रहों को एक साथ प्रक्षेपित करेगा. इन उपग्रहों का प्रक्षेपण व्यावसायिक मकसद से किया जायेगा.
इन उपग्रहों का प्रक्षेपण इसरो अपने विश्वसनीय ध्रुवीय प्रक्षेपण यान पीएसएलवी सी-23 से करेगा. हालांकि, अन्य देशों के लिए किया जाने वाला इसरो का यह पहला प्रक्षेपण नहीं होगा, बल्कि वह इससे पूर्व भी कई देशों के उपग्रहों को वह सफलतापूर्वक प्रक्षेपित कर चुका है.
इसरो के प्रवक्ता के मुताबिक, सभी पांचों उपग्रहों को प्रक्षेपण यान पीएसएलवी सी-23 (पोलर सेटेलाइट लॉन्च व्हिकल) से जोड़ने का काम पूरा हो गया है. अब अंतिम दौर का काम चल रहा है. 27 जून को मिशन की तैयारी की समीक्षा की जायेगी. इसी दिन प्रक्षेपण प्राधिकार बोर्ड की बैठक होगी. इसमें प्रक्षेपण से पहले की तमाम तैयारियों की समीक्षा की जायेगी और सभी कार्य योजना के मुताबिक पाये जाने की स्थिति में प्रक्षेपण की अंतिम रूप से मंजूरी दी जायेगी. इसके पश्चात बोर्ड से हरी झंडी मिलने पर प्रक्षेपण के लिए 49 घंटे की उलटी गिनती 28 जून को सुबह 8.49 बजे शुरू हो जायेगी.
इसरो ने जानकारी दी है कि वह अपने 27वें अभियान के तहत पीएसएलवी सी-23 स्पॉट-7 को प्रक्षेपित करेगा. इन पांच उपग्रहों में से फ्रांसीसी अर्थ ऑब्जर्वेशन उपग्रह ‘स्पॉट-7’ सबसे बड़ा है. इसका वजन तकरीबन सात क्विंटल है. दरअसल, इस अभियान का प्रमुख पे-लोड ‘स्पॉट-7’ ही है. इसके अलावा, जर्मनी का पे-लोड ‘एआइसैट’ है, जो 14 किलोग्राम वजन का है. साथ ही, दो पे-लोड कनाडा का है.
कनाडा के पे-लोड को ‘सीएएन-एक्स 4’ और ‘सीएएन-एक्स 5’ नाम दिया गया है. इनका वजन क्रमश: 15-15 किलोग्राम है. इसमें एक पे-लोड सिंगापुर का भी है. ‘वीइएलओएक्स-1’ नामक इस छोटे से पे-लोड का वजन महज सात किलोग्राम है. इन पांचों उपग्रहों का प्रक्षेपण एंट्रिक्स से हुए व्यावसायिक करार के तहत सतीश धवन स्पेस सेंटर, श्रीहरिकोटा से किया जायेगा.
मालूम हो कि एंट्रीक्स भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की मार्केटिंग का काम देखती है और विदेशी एजेंसियों से अनुबंध करती है. इससे पहले इसरो ने पीएसएलवी सी-21 से नौ सितंबर, 2012 को फ्रांसीसी उपग्रह स्पॉट-6 का सफल प्रक्षेपण किया था. स्पॉट-7 उसी श्रृंखला का अगला उपग्रह है.
इसके पहले इसी वर्ष इसरो ने छह जनवरी को स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन युक्त जीएसएलवी डी-5 का और चार अप्रैल को नेविगेशन उपग्रह आइआरएनएसएस-1बी का सफल प्रक्षेपण किया था. यह इस साल का तीसरा प्रक्षेपण है और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की सरकार बनने के बाद इसरो का यह पहला प्रक्षेपण होगा.
कई रिपोर्टो में बताया गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर पर इन उपग्रहों के प्रक्षेपण कार्यक्रम के दौरान शामिल हो सकते हैं. यह इस प्रक्षेपण के महत्व को भी दर्शाता है.
स्पॉट सिरीज के उपग्रहों का विवरण
वर्ष 1986 से अब तक फ्रेंच गुयाना और भारत से स्पॉट सिरीज के छह मीडियम रिजोलूशन के उपग्रह लॉन्च किये जा चुके हैं. इस वर्ष के अंत तक इस समूह में स्पॉट-7 अंतिरक्ष में इनका सहयोगी बन जायेगा. कक्षा में शामिल छह उपग्रहों में से दो स्पॉट-5 और हाल ही में लॉन्च किया गया स्पॉट-6 अभी भी सक्रिय हैं. स्पॉट-5 और स्पॉट-6 ‘एयरबस डिफेंस एंड स्पेस’ द्वारा संचालित हैं. हमारे ग्रह से 822 किलोमीटर की दूरी पर परिक्रमा कर रहे स्पॉट उपग्रह प्रतिदिन बड़े टुकड़ों और 60 किलोमीटर चौड़े फूटप्रिंट का इमेज भेजने में सक्षम हैं. नये उपग्रह स्पॉट-6 और स्पॉट-7 एक साथ काम करना शुरू करेंगे, तो एक दिन में छह मिलियन वर्ग किलोमीटर इलाके को कवर करेंगे, जो भारत के क्षेत्रफल का दोगुना है.
स्पॉट-1
वर्ष 1986 से स्पॉट परिवार के उपग्रह पृथ्वी की कक्षा में परिक्रमा कर रहे हैं. ये स्पॉट उच्च गुणवत्ता वाले 10 मिलियन इमेज खींच चुके हैं. स्पॉट-1 उपग्रह 22 फरवरी, 1986 में एरीएन-1 के माध्यम से लॉन्च किया गया था. 1800 किलोग्राम वाले स्पॉट-1 ने दो दिन बाद ही 10 से 20 मीटर के रिजोलूशन वाले इमेजों को प्रसारित किया.
कंट्रोल सिस्टम: 3-अक्षीय स्थायीकृत.
ऑनबोर्ड स्टोरेज क्षमता: दो 60 गीगाबाइट के रिकॉर्डर (560 इमेज).
धरातलीय संचार प्रणाली: 50 एमबी/ एस. 8.253 जीएचजेड. बैंड (इमेज डाउनलिंक).
इमेज क्षमता: एचआरवी स्पेक्ट्रल
बैंड्स: पैन्क्रोमेटिक, 3-बैंड मल्टीस्पेक्ट्रल (हरा, लाल और एनआइआर).
स्पॉट-2
स्पॉट-2, 22 जनवरी, 1990 को स्पॉट-1 की कक्षा में शामिल हुआ. शुरुआती दोनों उपग्रहों का वजन लगभग एक जैसा था. इसके अलावा दो समान एचआरवी (हाइ रिजोलूशन विजिबल) इमेज यंत्र दो तरीकों से एक साथ काम कर पाने और अलग-अलग काम कर पाने में सक्षम थे.
कंट्रोल सिस्टम: 3-अक्षीय स्थायीकृत.
ऑनबोर्ड स्टोरेज क्षमता: दो 60 गीगाबाइट के रिकॉर्डर (560 इमेज).
धरातलीय संचार प्रणाली: 50 एमबी/ एस. 8.253 जीएचजेड. बैंड (इमेज डाउनलिंक).
इमेज क्षमता: एचआरवी स्पेक्ट्रल बैंड्स: पैन्क्रोमेटिक, 3-बैंड मल्टीस्पेक्ट्रल (हरा, लाल और एनआइआर).
स्पॉट-3
स्पॉट-1 और स्पॉट-2 की कामयाबी के बाद स्पॉट-3 पर काम शुरू हुआ और इसे 26 सितंबर, 1993 को लॉन्च किया गया. स्पॉट-3 की संरचना और प्रक्रिया में सुधार किया गया. हालांकि, इसमें शामिल फीचर काफी हद तक स्पॉट-2 से मिलते-जुलते थे. इसमें भी दो स्पेक्ट्रल मोड पैन्क्रोमेटिक और मल्टीस्पेक्ट्रल थे. पैन्क्रोमेटिक बैंड्स का रिजोल्यूशन 10 मीटर और तीन मल्टीस्पेक्ट्रल बैंड्स (जी,आर, एनआर) का रिजोल्यूशन 20 मीटर था. उनके दृश्य आकार की माप 3600 वर्ग किलोमीटर थी.
कंट्रोल सिस्टम: 3-अक्षीय स्थायीकृत.
ऑनबोर्ड स्टोरेज क्षमता: दो 60 गीगाबाइट के रिकॉर्डर (-560 इमेज).
धरातलीय संचार प्रणाली: 50 एमबी/ एस. 8.253 जीएचजेड. बैंड
इमेज क्षमता: पैन्क्रोमेटिक-10 एम, मल्टीस्पेक्ट्रल-20 एम.
स्पॉट-4
स्पॉट-4 को 24 मार्च, 1998 को लॉन्च किया गया व 2013 में इसकी कार्यप्रणाली ठप हो गयी. इसका उद्देश्य था कि भविष्य में सेंटीनेल-2 मिशन के लोग टाइम लैप्स सिरिज के साथ काम कर सकें.
कंट्रोल सिस्टम: 3-अक्षीय स्थायीकृत.
ऑनबोर्ड स्टोरेज क्षमता: दो 120 गीगाबाइट के रिकॉर्डर, 9 गीगा बाइट सॉलिट मेमोरी (1,160 इमेज).
धरातलीय संचार प्रणाली: इमेजरी डाउनलिंक 50 एमबी/ एस. 8 जीएचजेड. बैंड
स्पॉट-5
स्पॉट-5 उपग्रह 4 मार्च, 2002 को लॉन्च किया गया था. जरूरतों के मुताबिक इमेजों को बेहतर बनाने के लिए इसे डिजाइन किया गया. इसमें दो हाइ रिजोलूशन जियोमेट्रिकल यंत्रों को शामिल किया गया. इसमें 2.5 से 5 मीटर तक पैन्क्रोमेटिक मोड और 10 मीटर मल्टीस्पेक्ट्रल मोड का रिजोलूशन था. यह एक साथ स्टीरियोपेयर इमेजों को प्राप्त करने में सक्षम था.
कंट्रोल सिस्टम: 3-अक्षीय स्थायीकृत.
ऑनबोर्ड स्टोरेज क्षमता: 90-गीगा बाइट सॉलिड स्टेट मेमोरी (210 इमेज)
धरातलीय संचार प्रणाली: इमेजरी डाउनलिंक 2 50 एम बिट/ एस, 8 जीएचजेड. बैंड, टीटी एंड सी ट्रांसमिशन- 4 के बिट/ एस, 2 जीएचजेड.
प्रतिबिंबीय क्षमता: एचआरवीआइआर स्पेक्ट्रल बैंड्स: मोनोस्पेक्ट्रल (परंपरागत पैन्क्रोमेटिक की तुलना में छोटी वेवलेंथ के लिए). 3 बैंड्स मल्टीस्पेक्ट्रल (हरा, लाल, एनआइआर). एक किलोमीटर सेंसर के चार बैंड .
नोट: स्पॉट-1 से स्पॉट-5 तक सभी उपग्रह गुयाना स्पेस सेंटर, कैरो, फ्रेंच गुयाना से लॉन्च किये गये.
स्पॉट-6 और स्पॉट-7 हैं खास
स्पॉट-6 उपग्रह को 9 सितंबर, 2012 को लॉन्च किया गया था, जबकि स्पॉट-7 की लॉन्चिंग तिथि 30 जून, 2014 को प्रस्तावित है. दोनों कृत्रिम उपग्रहों में हाइ रिजोलूशन पर पृथ्वी के इमेज को प्राप्त करने लिए डिजाइन किया गया है. यह वर्ष 2024 तक सक्रिय रहेगा. माना जा रहा है कि स्पॉट की श्रृंखला में स्पॉट-6 और स्पॉट-7 के शामिल होने से इस क्षेत्र में एक नये युग की शुरुआत होगी. एक साथ दो उपग्रहों के पर्यवेक्षण प्रक्रिया में शामिल होने से सूचनाओं को इकट्ठा करने और आंकड़ों को आसान बनाने में काफी मदद मिलेगी. दोनों उपग्रहों में उच्चकोटि के राडार और तकनीकी यंत्रों का प्रयोग किया गया है. स्पॉट सीरीज की 60 किलोमीटर चौड़ी इमेज पट्टिका को पूर्ववत रखते हुए स्पॉट-6 और स्पॉट-7 में कुछ तकनीकी सुधार किया गया है.
स्पॉट-6 का लांचिंग विवरण
लॉन्चिंग तिथि: नौ सितंबर, 2012
संवाहक : इंडियन पीएसएलवी-सीए
केंद्र: सतीश धवन स्पेस सेंटर, भारत
मिशन की अनुमानित अवधि: 10 वर्ष
कंट्रोल सिस्टम: 3-अक्षीय स्थायीकृत.
ऑनबोर्ड स्टोरेज क्षमता: 1 टीबी फ्लैस मेमोरी.
धरातलीय संचार प्रणाली: इमेजरी डाउनलिंक 300 एम बिट/एस, 2-चैनल. बैंड, टीटी एंड सी ट्रांसमिशन- र बैंड
प्रतिबिंबीय क्षमता: एनएओएमआइ स्पेक्ट्रल बैंड्स: पैन्क्रोमेटिक, 4-बैंड मल्टीस्पेक्ट्रल (नीला, हरा, लाल और एनआइआर)
स्पेक्ट्रल बैंड वेवलेंथ रेंज: एचआरजी पैन्क्रोमेटिक-450 से 745, एचआरएस-450 से 520, हरा-530 से 590, लाल-625 से 695, एनआइआर-760 से 890.
स्पॉट-7 लॉन्चिंग विवरण
प्रस्तावित लॉन्चिंग तिथि: 30 जून, 2014 दरअसल, यह स्पॉट-6 का आइडेंटिकल क्लोन है. इसके ज्यादातर गुण और इस्तेमाल की गयी तकनीकी स्पॉट-6 से मिलती-जुलती है.