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दूसरे विश्व युद्ध से जुड़ीं कुछ अनदेखी तस्वीरें

6 जून 1944 को दूसरे विश्व युद्ध में भाग ले रहे दो सहयोगी देशों की सेनाओं ने इतिहास के सबसे महत्वाकांक्षी और ख़तरनाक हमलों में से एक की शुरुआत की. फ़्रांस के एक बेहद सुरक्षित नॉर्मांडी तट पर उतरते हुए इन सेनाओं ने हिटलर की अटलांटिक वॉल में सेंध लगाने का प्रयास किया. इस युद्ध […]

6 जून 1944 को दूसरे विश्व युद्ध में भाग ले रहे दो सहयोगी देशों की सेनाओं ने इतिहास के सबसे महत्वाकांक्षी और ख़तरनाक हमलों में से एक की शुरुआत की.

फ़्रांस के एक बेहद सुरक्षित नॉर्मांडी तट पर उतरते हुए इन सेनाओं ने हिटलर की अटलांटिक वॉल में सेंध लगाने का प्रयास किया.

इस युद्ध के लगभग 70 साल बाद लिंडा लेयर्ड ने इंफ़्रारेड फिल्म का इस्तेमाल कर नॉर्मांडी तट पर बने बंकरों के अवशेषों की तस्वीरें ली.

नॉर्मांडी तट के अलावा यूटा तट से लेकर ड्युविल तक ये तस्वीरें ली गई हैं.

लेयर्ड की तस्वीरों के साथ ऑडेट ब्रेफॉर्ट की 6 जून 1944 में लिखी डायरी के अंश भी शामिल हैं. ब्रेफॉर्ट उस समय फ्रांस की प्रतिरोधी सेना की सदस्य थीं. दूसरे विश्व युद्ध के दौरान वे ड्युविल में रह रही थीं.

वे जर्मन सेना की मदद से नक्शे आदि बनाकर पेरिस में मौजूद अपने साथियों को गुप्त जानकारियां मुहैया करवाती थीं.

ऑडेट ब्रेफॉर्ट की डायरी

तारीखः 6 जून 1944

"ओह, क्या रात है! युद्ध के कारण मेरे छोटे से सिर ने काम करना बंद कर दिया है."

"आधी रात हो गई है और अभी भी सोना असंभव है, लड़ाकू विमानों के हमले, एंटी-एयरक्राफ्ट बम और मशीन गन की आवाज़ें."

"मैं सो नहीं पा रही थी इसलिए नीचे चली गई और उसके 15 मिनट बाद ही चारों ओर शांति छा गई. मुझे लगा मैंने ग़लती कर दी, नीचे आने से बेहतर तो बिस्तर पर सो ही जाती.’

"पूरी रात लड़ाकू विमानों के हमले बिना रुके चलते रहे."

"आज की सुबह कितनी शानदार है , किसी ने डाइव्स पर लैंडिंग की घोषणा की."

‘सुबह 8.20 पर एक बम प्रिंटेम्पस स्टोर पर गिरा और दूसरा नॉर्मांडी पर.’

‘नियमों के मुताबिक हम ड्युविल छोड़ कर नहीं जा सकते थे और ना ही अपनी साइकिलें चला सकते थें. हमें ये अधिकार ही नहीं थे."

"दोपहर तक मौसम में धुंध बरकरार रही, शाम चार बजे के बाद सूरज ने चमकना शुरू किया. शायद आसमान में ये बादल अंग्रेजों ने भेजे थे! डिफेंस वॉलिंटियर रात में आराम से जा सकेंगे."

"शाम 6 बजे के आस-पास एक भयंकर धमाका हुआ. ये मोंट कैनिसी से हुआ धमाका है. अंग्रेज़ों की नौसेना ने शायद उस बड़ी आर्टिलरी बैटरी को उड़ा दिया है जिससे उन पर हमले हो रहे थे.

सुबह से उसकी आवाज़ें हमारे कानों में गूंज रही हैं. मुझे लगता है अब लक्ष्य पर निशाना लग चुका है, क्योंकि अब हमें और अधिक आवाज़ें नहीं सुनाई दे रहीं."

"जब नौसेना और वायुसेना हमारे क्षेत्र की रक्षा कर रही हैं तो इस धरती पर हमें क्या हो सकता है?

यहां बिलकुल बिजली नहीं है. ड्युविल अंधेरे में है."

(लिंडा लेयर्ड की ये तस्वीरें डैंस ले नॉयर में लगी प्रदर्शनी का हिस्सा हैं)

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