।।पंकज कुमार पाठक।।
सिमडेगा जिले के केरसई प्रखंड की किनकेल पंचायत पर कभी किसी का ध्यान नहीं गया. वहां की कई पीढ़ियां गुजर गयीं, पर विकास का दूर-दूर तक यहां कोई नामोनिशान नहीं था. स्थानीय लोग पलायन को मजबूर थे. गांव में युवाओं की संख्या काफी कम रह गयी. लेकिन आज सरकार और अफसरशाह नींद से जागे हैं. गांव के लोग कहते हैं कि उन्हें वोट बैंक समझ कर अब यहां विकास हो रहा है.
गांव के लोग खुश हैं. आखिर उन्हें किसी भी शर्त पर यहां विकास चाहिए था. इस विकास को देख कर आसानी से समझा जा सकता है कि लोकसभा चुनाव का असर गांवों के विकास पर भी होने लगा है. आचार संहिता के कारण कई काम रूक गये, तो कहीं चुनाव के कारण ही विकास हो रहा है. सिमडेगा से लगभग 35 किलोमीटर दूर किनकेल पंचायत का कराईगुड़ा गांव. इस गांव में लगभग 250 घर हैं. इस गांव में ना आजादी के बाद और न ही झारखंड गठन के बाद किसी का ध्यान गया. गांव अपनी बदहाली में जीने को हमेशा मजबूर रहा. लेकिन पिछले कुछ महीनों में यहां इतनी तेजी से काम हुआ, जितनी तेजी से सालों में कभी नहीं हुआ था.
गांव की पगडंडी ले रही है सड़क का रूप
मुख्य सड़क से इस गांव की दूरी लगभग एक किमी है. यह रास्ता शुरू में खेत की पतली पगडंडी के रूप में था. इसे धीरे-धीरे गांव के लोगों ने मिल कर चौड़ा किया. एक बार सरकारी योजना के तहत इसके चौड़ीकरण का काम हुआ, लेकिन बरसात के दिनों में इसकी हालत बदतर होती थी. गांव का रास्ता ही मुख्य सड़क को जोड़ने में असक्षम हो तो इस गांव में विकास की स्थिति को समझना मुश्किल नहीं है. लेकिन पिछले कुछ महीनों से गांव की पगडंडी को सड़क बनाने के लिए सरकार ने मंजूरी दे दी और सड़क का काम जोरशोर से जारी है. गांव की गलियों ने भी सीमेंटेड रूप धारण कर लिया है. गांव की नदी का उबड़-खाबड़ रास्ता अब बिल्कुल सपाट हो गया है. नदी पर एक पुल भी बन गया है. हालांकि पुल का काम हुए कुछ साल बीत गये लेकिन बाकी विकास का काम कुछ महीनों से हो रहा है.
सामुदायिक भवन और आंगनबाड़ी
गांव के मुख्य चौराहे पर एक सामुदायिक भवन बनाया जा रहा है. इसका काम लगभग एक महीने से जारी है और कुछ सप्ताह में बनकर तैयार हो जायेगा. गांव के लोग इसे दामाद ठहराने वाली बिल्डिंग समझते हैं. कहते हैं कि हमारे घर जब दामाद आते हैं तो उन्हें रोकने के लिए हमारे पास जगह नहीं होती है. सामुदायिक भवन का निर्माण क्षेत्र की विधायक विमला प्रधान की देन है. पूरी पंचायत में लगभग सात आंगनबाड़ी केंद्र हैं. लेकिन, कहीं सरकारी अनाज नहीं पहुंच रहा है तो कहीं आंगनबाड़ी सेविका नदारद है. गांव के लोग कहते हैं कि इन्हें इतने विकास की आदत नहीं है, लोग जागरूक नहीं हैं, इसलिए सरकार और आंगनबाड़ी का यह रवैया है.
सरकारी योजना ने दिलायी मजबूत छत
कराईगुड़ा डिपाटोली की रहने वाली मुन्नी देवी को बीपीएल का लाभ नहीं मिला है लेकिन उन्हें इंदिरा आवास मिल गया है. सरकार ने इसके लिए 40 हजार रुपये दिये जिससे उनका यह आशियाना बन सका है. पहले मुन्नी और मोहन (मुन्नी के पति) के पास मिट्टी के एक कमरे का घर था जो काफी जजर्र अवस्था में था. अब मुन्नी और मोहन के सिर पर एक मजबूत छत है. बीपीएल में होने के कारण उन्हें 35 किलोग्राम अनाज मिलता है. हालांकि परेशानियां अभी भी कम नहीं हुई हैं. इस अनाज को लेने के लिए उन्हें छह किमी पैदल जाना पड़ता है. मुन्नी के परिवार में कुल पांच सदस्य हैं. मुन्नी कहती हैं कि यहां के हालात पहले बहुत खराब थे. गांव में काम करती थी तो कुछ पैसे मिलते थे उसी से गुजर-बसर करती थी. वे कहती हैं कि उनका बड़ा बेटा कमाने केरल चला गया है. अभी भी गांव में चिकित्सा, पेयजल, शौचालय और रोजगार की समस्या बनी हुई है. अगर किसी को गंभीर चोट पहुंची तो यहां से सिमडेगा 35 किमी या कुरडेग 27 किमी इलाज कराने जाना पड़ता है. गांव का एक वर्ग नदी में गड्ढा करके पुरानी विधि से पानी पीने के लिए मजबूर हो जाता है. गांव के चापानल से गरमी के दिनों में पानी नहीं मिलता. ग्रामीण यह उम्मीद करते हैं कि यहां के हालात तेजी से बदलेंगे.
क्या कहते हैं मुखियाजी
किनकेल पंचायत के मुखिया अनमोल लकड़ा कहते हैं कि उन्होंने पूरी पंचायत में कई समस्याओं को दूर करने की कोशिश की है. बीपीएल, वृद्धावस्था पेंशन, अन्नपूर्णा योजना जैसे कई कामों के लिए ब्लॉक में पूरी लिस्ट जमा कर दी है. लेकिन ब्लॉक में कागजात अटके हैं. अब सरकारी कामकाज में थोड़ा वक्त तो लगता ही है. अनमोल सरकारी रवैये के प्रति अपनी नाराजगी भी जाहिर करते हैं. उनकी शिकायत जायज भी है. फॉर्म जमा किये एक साल हो गये, लेकिन अबतक कोई काम नहीं हुआ. अनमोल ने कहा कि मुखिया बनने के बाद मेरी कोशिश रही है कि मैं गरीब परिवारों तक सरकारी योजना का सही लाभ पहुंचा सकूं. वे कहते हैं : मेरे पास जो भी फंड आता है, मैं उसके सही इस्तेमाल की पूरी कोशिश करता हूं. पिछले कुछ महीनों में इस पंचायत ने काफी विकास किया है. आंगनबाड़ी केंद्र, जनवितरण प्रणाली की लचर हालत पर मुखिया कहते हैं : इसमें काफी सुधार की गुंजाइश है और हमारा प्रयास लगातार जारी है. हम ग्रामसभा करके समस्याओं को समझने और उसे दूर करने की कोशिश कर रहे हैं. पीने के पानी के सवाल पर उन्होंने कहा कि चापानल बनवाया गया है, लेकिन समस्या पूरी तरह सुलझी नहीं है, लेकिन हमारा प्रयास जारी है. आप यहां का विकास देखिए, पहले चापानल नहीं था अब बन गये. समस्याएं धीरे-धीरे दूर होंगी. अब दशकों का विकास महीनों में हो रहा है.