न्यू यॉर्क : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फेक न्यूज अवॉर्ड की घोषणा करने से पहले ही ‘कमिटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट’ (सीपीजे) ने दुनिया में प्रेस के लिए नकारात्मक रवैया रखनेवाले नेताओं को लेकर ‘प्रेस उत्पीड़क अवॉर्ड’ की घोषणा की. पत्रकारों के अधिकार के लिए काम करने वाली संस्था सीपीजे ने प्रेस पर नेताओं के हमले और तानाशाही व्यवहार को लक्ष्य करते यह अवार्ड दिया है. तुर्की के राष्ट्रपति तैयप एर्दोगान को ‘सबसे पतली चमड़ी वाले नेता का अवॉर्ड’ दिया गया, जबकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को रनरअप घोषित किया गया. वहीं, ट्रंप को ग्लोबल प्रेस की आजादी कम करने के लिए अचीवमेंट अवॉर्ड दिया गया.
एर्दोगान पर पत्रकारों का अपमान करने का आरोप
एर्दोगान और तुर्की के अधिकारियों पर बार-बार पत्रकारों, समाचार आउटलेट्स और सोशल मीडिया यूजर्स का अपमान करने का आरोप है. दैनिक समाचार पत्र सहयुरिएट के मुताबिक, तुर्की न्यायिक प्रणाली ने कथित तौर पर राष्ट्रपति का अपमान करने के लिए पत्रकारों पर 46,193 मामले दर्ज किये हैं.
17 को फेक न्यूज अवॉर्ड देंगे ट्रंप
ट्रंप आठ जनवरी को फेक न्यूज अवॉर्ड देने वाले थे. बाद में तिथि में बदलाव कर इसे 17 जनवरी कर दिया गया. ट्रंप प्रेस को झूठा साबित करने में लगे रहते हैं.
मीडिया पर मजबूत पकड़ अवॉर्ड
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को ‘मीडिया पर मजबूत पकड़ अवॉर्ड’ के लिए चुना गया. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को दूसरा स्थान मिला. चीन में मीडिया पर सेंसरशिप अभी भी कायम है.
सू की को सबसे बड़ा पापी अवॉर्ड
प्रेस की आजादी की बात कर पीछे हट जाने वाली म्यांमार की नेता आंग सान सू की को प्रेस के लिए सबसे बड़ा पापी बताया गया है. 14 साल तक जेल में रहने के दौरान उन्होंने मीडिया का काफी इस्तेमाल किया, लेकिन जेल से निकलते ही उन्होंने पाला बदल लिया और मीिडयाकर्मियों को भूल गयी. पोलैंड के राष्ट्रपति आंद्रजेज डूडा दूसरे स्थान पर रहे.
एर्दोगान को ही जेलर ऑफ जर्नलिस्ट अवॉर्ड
प्रेस के खिलाफ आतंकी कानूनों का उपयोग कर पत्रकारों को जेल में डालने के लिए ‘जेलर ऑफ जर्नलिस्ट अवॉर्ड’ के विजेता एक बार फिर से तुर्की के राष्ट्रपति तैयप एर्दोगान चुने गये जबकि मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी को रनरअप का अवॉर्ड दिया गया. 2017 में तुर्की में 73 पत्रकारों को जेल में डाला गया.