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मोदी ने कहा, संघ नहीं संविधान से चलेगा देश

एबीपी न्यूज के कार्यक्रम घोषणापत्र में एबीपी न्यूज के समूह संपादक शाजी जमां, एबीपी माझा प्रतिनिधि राजीव खांडेकर और एबीपी आनंदो प्रतिनिधि सुमन डे की भाजपा के पीएम उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के साथ हुई बातचीत के चुनिंदा अंश… * शाजी जमां: घोषणापत्र की परंपरा के मुताबिक सबसे पहले आप बतायें कि देश आपको वोट क्यों […]

एबीपी न्यूज के कार्यक्रम घोषणापत्र में एबीपी न्यूज के समूह संपादक शाजी जमां, एबीपी माझा प्रतिनिधि राजीव खांडेकर और एबीपी आनंदो प्रतिनिधि सुमन डे की भाजपा के पीएम उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के साथ हुई बातचीत के चुनिंदा अंश…

* शाजी जमां: घोषणापत्र की परंपरा के मुताबिक सबसे पहले आप बतायें कि देश आपको वोट क्यों दे?

नरेंद्र मोदी: 2014 का चुनाव एक आशा लेकर के आया है, एक होप का चुनाव है और पूरी तरह अविश्वास, भरोसे का संकट, स्टैगनेंसी, बेशुमार भ्रष्टाचार, जितनी नकारात्मक बातें किसी एक सरकार के साथ कभी नहीं जुड़ी होंगी वो इस सरकार के साथ जुड़ी हुई हैं और उसके कारण एक तरफ भयंकर निराशा का माहौल है और दूसरी तरफ लोगों को लगता है ये घिसी-पिटी राजनीति से बाहर क्या कोई जगह नहीं है? क्या देश ऐसे ही तू-तू, मैं-मैं ही चलेगा? भारतीय जनता पार्टी ने अपने ट्रैक रेकॉर्ड के आधार पर एक भरोसा पैदा किया है.

दो मुख्य बातों के आधार पर किया है. एक गुड गवर्नेंस और दूसरा डेवलपमेंट. सामान्य से सामान्य मानव को भी लगता है कि हमारी समस्याओं का समाधान कोई हमारी मदद करे उससे नहीं, कोई व्यक्तिगत रूप से मेरा भला कर दे उससे नहीं, कुल मिला कर के देश में बदलाव आना चाहिए, ये हिंदुस्तान का गरीब भी मानने लगा है, रोजगार खोज रहा नौजवान भी मांग रहा है. उसको लगता है कोई मेरी उंगली पकड़ कर चला दे, ठीक है मैं तो चला जाऊंगा औरों का क्या होगा, ये सोच व्यापक बन गयी है.

दूसरा मैं देख रहा हूं ये चुनाव अर्थमैटिक का नहीं है. ये चुनाव 125 करोड़ लोगों के मन की केमिस्ट्री का चुनाव है. अर्थमैटिक में 1+1 होता है, केमिस्ट्री में एक के बगल में एक 11 हो जाता है… ये चुनाव उस प्रकार का है और देश ने मान लिया है… मैं 232… मतदान के दौर जो पूरे हुए हैं, उसमें ही सरकार का जाना पक्का हो गया है और मैं इसलिए भी कहता हूं 232 की जो पोलिंग हुई उसके बाद कांग्रेस की जो बॉडी लैंगवेज है, कांग्रेस की जो भाषा है, कांग्रेस की जो कोशिश है इससे साफ झलकता है कि उन्होंने… उनको बचने का भी रास्ता नहीं मिल रहा… ये स्थिति है. मैं मानता हूं कि गुड गवर्नेंस एंड डेवलपमेंट, ये बातें ऐसी हैं कि जिसके कारण देश भारतीय जनता पार्टी को, एनडीए को विजयी बनायेगा.

* शाजी जमां: क्या एनडीए को बहुमत मिलेगा? क्या आपको लगता है ऐसी स्थिति आ सकती है कि आपकी वजह से सीटें आयें, लेकिन आपकी वजह से ही कुछ दल समर्थन करने से परहेज करें, तो आंकड़ा जो है वो कम रह जा…?

नरेंद्र मोदी: पहली बात है ये अर्थमैटिक के हिसाब के लिए ठीक है. चुनाव अर्थमैटिकवाला नहीं है, चुनाव केमिस्ट्रीवाला है. इसलिए पंडितों के पुराने जो मानदंड रहे हैं उन मानको के आधार पर चुनाव नतीजे का हिसाब-किताब गलत निकलेगा. मैं विश्वास से कहता हूं, प्रत्यक्ष चुनाव के कारोबार में लगा हूं, देश का भ्रमण कर रहा हूं और मैं पॉलिटिकल साइंस का स्टूडेंट भी रहा हूं और इसलिए मैं साफ मानता हूं कि भारतीय जनता पार्टी एकदम क्लीयर कट मैंडेट के साथ शासन में आयेगी. एनडीए के साथियों के कारण ताकत और बढ़ेगी और दूसरी बात है हमारे देश में परसेप्शन के आधार पर बहुत चीजें चलायी जाती हैं. हिंदुस्तान के चुनावी इतिहास की ये सबसे बड़ी घटना है कि प्री-पोल एलायंस 25 दलों के साथ हुए हों, ऐसा हिंदुस्तान के चुनावी इतिहास में कभी नहीं हुआ, इट्स फर्स्ट टाइम इन द हिस्ट्री कि प्री-पोल एलायंस बीजेपी प्लस 25 पार्टी का… इसलिए दूसरा जो आपका सवाल है वो सवाल इटसेल्फ ईरेलिवेंट है.

* राजीव खांडेकर: लेकिन मोदीजी, जब आपने प्रचार की शुरु आत की, तब शायद बीजेपी को ये कॉन्फिडेंस नहीं था कि इस तरह का माहौल हो जायेगा बाद में, इसलिए एक डेस्पेरट मूव में इतनी पार्टियां जोड़ी गयीं, अब उसके बाद जिस तरह का रेस्पांस मिल रहा है, खासकर के आपकी सभाओं में, उसके कारण पिछले कुछ दिनों में हम देख रहे हैं, जिनके आपके साथ व्यक्तिगत अच्छे संबंध हैं ऐसे लोगों के ऊपर भी अब आप निशाना साध रहे हैं जैसे कि जयललिता हों, ममता बनर्जी हों, शरद पवार हों, क्या ये कॉन्फिडेंस शुरुआत में नहीं था, क्योंकि महाराष्ट्र में ये चर्चा भी थी कि आप और शरद पवार दोनों एक-दूसरे के बहुत अच्छे दोस्त हैं और आप चुनाव में एक दूसरे के साथ आने का भी विचार कर रहे थे?

नरेंद्र मोदी: दो विषय आपकी बात में से निकलते हैं, एक शुरू में कॉन्फिडेंस था कि नहीं था. अगर हम शुरू में आज जो भाषा बोलते हैं, वो बोलते, तो एरोगेंसी के रूप में उसको बांध दिया जाता है और वो हमें बहुत बड़ा नुकसान कर देता है. इसलिए रणनीति, समझदारी दोनों ये कहती हैं कि नम्रतापूर्वक, विवेकपूर्वक… पहली नजर में लोगों के गले उतरे. ऐसे करके धीरे-धीरे जायें, तो ये हमारा प्रोग्रेसिव अनफोल्डमेंट है. आनेवाले दिनों में और भी खुलेगा, तो ये हमारी रणनीति का हिस्सा है.

* राजीव खांडेकर: येड़ा बन कर पेड़ा खाओ…

नरेंद्र मोदी: दूसरा जब मैं महाराष्ट्र जाऊंगा, तभी तो शरद पवार की बात करूंगा, तमिलनाडु में जाऊंगा तभी तो जयललिता जी की बात करूंगा, बंगाल में जाऊंगा तभी तो ममता जी की बात करूंगा, ओडि़शा में जाऊंगा तभी तो नवीन बाबू की बात करूंगा, तो आप जब देखोगे मेरा टाइमटेबल, तो मैं जब उस राज्य में गया हूं पहली बार, पहले ही दिन मैंने मेरी सोच प्रकट की है. ऐसा नहीं है कि स्थितियां बदलीं, बदलने के बाद हमने अपनी रणनीति बदली, ऐसा नहीं है. चुनाव के मंझधार में भारतीय जनता पार्टी को अपनी बात स्पष्ट रूप से लोगों को बतानी चाहिए. अगर हम कन्फ्यूजन पैदा करेंगे, तो नीचे कन्फ्यूजन और बढ़ेगा और वो कभी नहीं होना चाहिए और दूसरा लोकतंत्र में ये दोगलापन क्यों? सीधी-सीधी बात होनी चाहिए. भई चुनाव में हम और जयललिता जी सामने-सामने हैं. चुनाव में बात होनी चाहिए हम और नवीन बाबू आमने-सामने हैं, उसमें देश को गुमराह क्यों करना चाहिए?

* राजीव खांडेकर: क्या इसमें सच्चाई है कि शरद पवार और आप एक-दूसरे के साथ-पॉलिटकली जाने की बात हो रही थी ?

नरेंद्र मोदी: नहीं, नहीं, नहीं… ऐसी कोई बात नहीं है. जहां तक दोस्ती का सवाल है आपको हैरानी होगी मेरी लालू जी से भी दोस्ती रहती है. हम सार्वजनिक जीवन में हैं, राजनीतिक विचारधारा के कारण हम अपने-अपने स्टैंड लेते हैं, लेकिन ये एक विशाल परिवार है जी. इसमें कोई दुश्मनी थोड़े ही होती है.

* सुमन डे: मोदी जी, यही मेरा सवाल रहेगा कि आपके दिमाग में भी चुनावी अर्थमैटिक रहता है. पहली दफा जब बंगाल गये, तो आपके हाथों में लड्डू था, दूसरी दफा गये, तो आपके हाथ में छड़ी. एक स्ट्रक्टि मास्टरजी बनना चाहे, तो तब तक आपको यकीन और पार्टी को यकीन हो गया होगा…?

नरेंद्र मोदी: ये जब मैंने लड्डू की बात कही न, तो लोगों ने मुझे कहा आपको रसगुल्ला बोलना चाहिए था.

* सुमन डे: लेकिन तब आपके दिमाग में रहा होगा कि ममताजी एनडीए में आ सकती हैं, जब आप श्योर हो गये कि वो नहीं आ रही हैं तब आप हाथ में छड़ी.. स्ट्रक्टि मास्टरजी बन गये?

नरेंद्र मोदी: नहीं नहीं नहीं.. ममताजी नहीं आयेंगी वो पक्का था, उसमें कोई दुविधा हमारे मन में नहीं थी और उसमें हमारे मन में कोई आशंका नहीं है. लेकिन मैं जरूर मानता हूं कि लेफ्ट ने जो हालत करके रखा हुआ है उसको बाहर निकालने में अभी ममता जी को काफी समय मिला है, लेकिन वो सिंपटम्स नजर नहीं आते, तो गुस्से से ज्यादा मेरी निराशा है ममता जी के संबंध में, गुस्सा कम है, निराशा ज्यादा है.

* शाजी जमां: आप ये मानते हैं आप ने जब चुनाव प्रचार शुरू किया, तो आपकी एक प्रकार की वाणी थी, उस वाणी में परिवर्तन हुआ, इस दौरान क्या एक परिवर्तन और हुआ कि जब आपने शुरू किया था, तो ये प्रचार निजी आरोप तक नहीं आया था वहां तक ये आ गया?

नरेंद्र मोदी: देखिए, निजी आरोप का किसी का इरादा नहीं होता है और जरूरत भी नहीं होती, लेकिन चुनावी गर्मी में कुछ न कुछ बातें निकलती हैं. अब इसको आप निजी कहें या सार्वजनिक. अगर हम कहें कि भई वाल स्ट्रीट जर्नल में ये छपा है, तो मुझे कोई बताये कि ये निजी है क्या? अगर हम कहें 2जी में स्कैम हुआ, राजा का ये ये रोल रहा, प्रधानमंत्री का ये रोल रहा.. ये निजी है क्या?

* शाजी जमां: आपने जो जीजाजी कहा रॉबर्ट वाड्रा को ये उसी विनोद का व्यंग्य का हिस्सा है ?

नरेंद्र मोदी: नहीं, नहीं देखिए पहचान तो करनी पड़ेगी न, पहचान कैसे करोगे. बताइए. जो घटना घटी है. घटना घटी है, तो एक परिवार का संबंध है. संबंध इसी शब्दों में है मुझे और किसी शब्दों का तो मालूम नहीं है कोई और होता, तो मैं वो बोलता.

* शाजी जमां: लेकिन अगर आप की निजी जिंदगी में अगर कोई झांकता है आप भी तो सार्वजनिक जीवन में हैं आप का जीवन भी उसी तरह से पारदर्शी है, तो आप पर आरोप लगते हैं, तो क्या वो सही हैं ?

नरेंद्र मोदी: मैंने ये कहां कहा कि भई मेरे ऊपर जो आरोप लगे हैं वो गलत हैं और सही हैं या मैं आरोप लगाता हूं वो गलत हैं और सही हैं उसके लिए तो देश है देखता है. देश देखेगा इसमें क्या है.

* राजीव- लेकिन आपने भी मन में किस हद तक ये आरोप होते रहेंगे इसके लिए …कुछ तो आपका आकलन होगा?

नरेंद्र मोदी: मैं जब तक हारूंगा नहीं, मैं जब तक पराजित नहीं होता हूं , तब तक आरोप चलते रहनेवाले हैं. जिंदगी में हर प्रकार से मैं एक असफल व्यक्ति बन जाऊंगा तभी आरोप बंद होने वाले हैं क्योंकि आरोप लगाने वालों की मन की स्थित ये है कि हम 12 साल से एक आदमी के पीछे मेहनत कर रहे हैं उसको खरोंच भी नहीं आती है ये क्या है? तो उनके ईगो का प्रॉब्लम है. अब होगा धीरे-धीरे ठीक.

* राजीव खांडेकर: आपने चुनाव में जब अपना एफिडेविट दिया और उसके बाद आपके शादी स्टेटस के बारे में जिस तरह से आरोप और चर्चा हो गयी, क्या आपने ये एक्सपेक्ट किया था?

नरेंद्र मोदी: मुझे किसी चीज का आश्चर्य नहीं होता है. मेरी जिंदगी में कुछ नहीं है. ऐसी भी बातें चलती हैं अब उनके पास कोई है नहीं तो क्या करें.. करते रहेंगे.

* सुमन डे: बंगाल में हर चुनावी क्षेत्र में खुद ममता बनर्जी मुख्यमंत्री जा-जा करके आपकी निजी जिंदगी का वो एफिडेविट वाला हिस्सा बता रही हैं, कैसा लग रहा है?

नरेंद्र मोदी: मुझे कुछ नहीं लगता है. उनकी मर्जी. उनके पास जो शस्त्र हैं वो उसका उपयोग करें, इसके लिए मन में क्या कटुता, आलोचना क्यों करनी चाहिए. लोगों को जज करने दीजिए न.

* शाजी जमां: जो आपको करीब से देख रहे हैं , आपकी राजनीति को करीब से देख रहे हैं वो मानते हैं कि एनडीए के अंदर एक समस्या हो सकती है, एनडीए के बाहर समस्या हो सकती है, एक समस्या पार्टी के अंदर भी है. हाल की रैली में आपने जोशी जी को अपना आसन दिया और वो उस पर बैठे लोगों ने देखा, लेकिन समस्या उस आसन की नहीं है, समस्या बड़े आसन की है जिसके लिए पार्टी ने आपको चुना है, प्रधानमंत्री के आसन की. क्या आपको लगता है कि आप की दावेदारी से बहुत से लोगों को ऐसा लगता है कि उनके दरवाजे बंद हो गये वहां तक पहुंचने के लिए?

नरेंद्र मोदी: नंबर वन मोदी ने जिंदगी में कभी किसी चीज की दावेदारी की नहीं है और न ही मैं किसी पद को पाने के लिए पैदा हुआ हूं. मेरी जिंदगी के निर्णय भारतीय जनता पार्टी करती है, मैं पार्टी का एक सिपाही हूं और आज तक जहां भी पहुंचा हूं वो मांग करके नहीं पहुंचा हूं, छीन करके नहीं पहुंचा हूं, योजना से नहीं पहुंचा हूं. जब जो काम मिलता है कठोर परिश्रम करता हूं, त्याग, तपस्या परिपूर्ण प्रयास रहता है मेरा और मैं कल के विषय में ज्यादा नहीं सोचता हूं. वो मेरी प्रकृति में नहीं है.

* राजीव खांडेकर: इसीलिए ऐसा कहा जाता है कि ये जो इलेक्शन है, ये आरएसएस लड़वा रहा है, तो ये इलेक्शन बीजेपी लड़ रही है, आरएसएस लड़ रहा है, मोदी लड़ रहा है आप इसको किस तरह से देखते हैं?

नरेंद्र मोदी: मैं मानता हूं कि ये चुनाव ऐसा है देश में 2014 का, जो कोई राजनीतिक दल नहीं लड़ रहा है, कोई उम्मीदवार नहीं लड़ रहा है देशवासी चुनाव लड़ रहे हैं, पूरा देश चुनाव लड़ रहा है ये.

* सुमन डे: मोदी जी थोड़ी देर पहले आप ने जीतने और हारने की बात कहा, तो क्या अगर प्रधानमंत्री बन पाये तो आपके हिसाब से आपके वो जीतना है?

नरेंद्र मोदी: पहली बात ये है हमारे लोगों का मकसद क्या है. हमारा मकसद क्या है. हमारा मकसद है इस देश को इस सरकार से मुक्ति दिलवाना, हमारा मकसद है भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनाना वो मकसद पूरा हुआ माने विजय हुआ, मकसद पूरा नहीं हुआ, तो विजय रह गयी.

* शाजी जमां: आपका बचपन से जुड़ाव है आरएसएस के साथ, जाहिर है आपकी सोच पर, आपके जो क्रियाकलाप हैं उसपर आरएसएस की छाप होगी. अगर आप प्रधानमंत्री बनते हैं, तो प्रधानमंत्री की हैसियत से आप जो करेंगे आप जो सोचेंगे, उस पर भी संघ की छाप होगी क्या?

नरेंद्र मोदी: पहली बात है मुझे सरकार चलानी है, सरकार चलती है संविधान के तहत और मैं मानता हूं सरकार का एक ही रिलीजन होता है, इंडिया फर्स्ट. सरकार की एक ही होली बुक होती है अवर कॉन्सटीट्यूशन, सरकार की एक ही भक्ति होती है, भारत भक्ति, सरकार की एक ही कार्यशैली होती है, सबका साथ सबका विकास.

* राजीव खांडेकर: मोदी जी आप और मोहन भागवत दोनों 1950 के बॉर्न है, आप दोनों का प्रचारक बन के, मतलब साथ-साथ, आपका कैरियर जो है वो हो गया उनका. आप जहां तक आये हैं उसमें पर्सनल कुछ आपके जो संबंध हैं, उसका कुछ फायदा हुआ आपको यहां आने में?

नरेंद्र मोदी: उनकी बजाय उनके पिताजी का मुझे बहुत फायदा मिला, उनके पिताजी गुजरात में संघ के प्रचारक थे और मेरे…जीवन में बहुत छोटा बच्चा था, तो उनके पिताजी का मुझे बहुत प्यार मिला था. एक प्रकार से मैं कह सकता हूं कि मुझे उंगली पकड़ कर चलाते थे. ये तो मैं परमात्मा की कृपा मानता हूं कि ऐसे जीवन के साथ मुझे बचपन में जुड़ने का अवसर मिला.

* शाजी जमां: एक और बहुत ही अहम सवाल इस समय पूछा जा रहा है वो है कि क्या मुसलमान आप से डरते हैं? देश में बहुत से लोग आपका समर्थन करते हैं ऐसे भी हैं, जो समर्थन नहीं करते. आप प्रधानमंत्री बनेगें तो जाहिर है आप से उम्मीद होगी कि दोनों तरह के लोगों को आप एक ही नजर से देखें. ऐसे में अगर आपकी पार्टी से एक आवाज उठती है, जो नरेंद्र मोदी के साथ नहीं है वो पाकिस्तान जायें. ये आवाज आपको विचलित करती है?

नरेंद्र मोदी- मेरा 2002 का भाषण आपके पास लाइब्रेरी में पड़ा होगा, चुनाव जीतने के बाद, 2002 चुनाव जीतने के बाद मणिनगर में मैं शाम को ही मेरे मतदाताओं का धन्यवाद करने गया था उस दिन का मेरा भाषण है, मेरा भाषण ये है कि ये सरकार उनकी है जिन्होंने वोट दिया है, ये सरकार उनकी भी है जिन्होंने वोट विरोध में दिया है और ये सरकार उनकी भी है जो वोट देने गये नहीं हैं और मेरी सरकार का मंत्र है अभयं, अभयं, अभयं. तीन बार बोला हूं. 2002 का है, आप देख सकते हैं.

* शाजी जमां: यानी गिरिराज सिंह के बयान से आप सहमत नहीं हैं?

नरेंद्र मोदी: कोई सहमत नहीं हो सकता है.

* सुमन डे: लेकिन मोदी जी आपकी जो भाषा है भाषणों में. दिल्ली सल्तनत, शहजादा उसे भी बोला जाता है कि विशेष समुदाय को टारगेट करके बोलते हैं आप?

नरेंद्र मोदी: कमाल हो भइया. ये शहजादा शब्द हमारे यहां इतिहास में हम पढ़ते थे जी, कांग्रेस के लोगों ने चार पांच साल पहले की बात है सोनिया जी को राजमाता कह कर के बोला था जी. काफी देर तक राजमाता कहते थे. अब मैं कोई कांग्रेस वालों को कहने जाऊं क्या, कि भई अब ये राजा रजवाड़े चले गये राजमाता क्यों बोला? ठीक है बोल दिया उन्होंने.

* शाजी जमां: आपसे बहुत दफा दंगों के बारे में बहुत सारे सवाल हो चुके, जिम्मेदारी के सवाल हो चुके, कोर्ट केस पर सवाल हो चुके, कुत्ते के पिल्ले के बारे में भी हो चुके. एक सवाल मेरा थोड़ा-सा अलग कि किसी भी राज्य में किसी भी नागरिक की जान जाती है, तो अंतत: जिम्मेदारी मुख्यमंत्री की होती है, नैतिक जिम्मेदारी होती है वो जिम्मेदारी आप लेते हैं ?

नरेंद्र मोदी: डे वन से ली है. मेरे विधानसभा भाषण हैं, मेरे सब इंटरव्यू में है, एवेलेबल है. बस मेरी प्रार्थना है रिसर्च कर दीजिए. सब कुछ एवेलेबल है आप जो चाहते हैं वो जवाब उसी शब्दों में है.

* शाजी जमां: ऐसा लगता है कि एक ऐसा समय आया जब आपने मुसलिम समुदाय से संपर्क बढ़ाने की कोशिश की?

नरेंद्र मोदी: पहली बात है मेरी जिम्मेवारी है गुजरात के मुख्यमंत्री के नाते छह करोड़ नागरिकों से जितना जुड़ सकूं उतना जुड़ना चाहिए. और इन दिनों मुझे देश की जिम्मेवारी मिली है, तो एड़ी चोटी का जोर लगा करके सवा सौ करोड़ तक पहुंचने की कोशिश करता हूं. ये मेरी पार्ट ऑफ माइ रिस्पांसबिलिटी है, एंड आइ मस्ट डू इट. हो सकता है 100 कदम चलना हो, तीन चल पाऊं, पांच चल पाऊं, सात चल पाऊं वो अलग विषय है, लेकिन ये मेरी जिम्मेवारी है कि मेरे देश के हर किसी व्यक्ति तक, मेरे राज्य के हर व्यक्ति तक पहुंचने का मुझे प्रामाणिक प्रयास करना चाहिए.

* शाजी जमां: उसमें मुसलिम समुदाय भी शामिल है ?

नरेंद्र मोदी: मैं.. ये आपकी टर्मिनोलॉजी है. मैं इस टर्मिनोलॉजी में कभी जानेवाला नहीं हूं. आप रस्सी बांध करके मुझे ले जाओगे, तो भी नहीं ले जा पाओगे. मैं मेरे देशवासियों को मिलूंगा. मैं एक ही भाषा समझता हूं ये मेरे भारतवासी हैं, ये मेरे भाई हैं. ये आपको जिस कलर से देखना है आपकी मर्जी, मोदी उस कलर में जानेवाला नहीं है. कल अगर मैं चुनाव हार जाऊं, तो हार जाऊं, मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है, लेकिन देश को तबाह कर दिया इस भाषा ने, बरबाद कर दिया है आप लोगों की सोच ने उस सोच को मैं कभी भी ओन नहीं करूंगा और आप मेहरबानी करके मेरी स्वतंत्रता पर ऐसे हमले करना बंद कर दीजिए.

* शाजी जमां: जब भी कोई व्यक्ति सत्ता की दावेदारी करता है, तो मीडिया के मन में कुछ प्रश्न उठते हैं कि क्या इनके आने से हमारे अधिकार पर कोई आंच आ सकती है, तो क्या मीडिया को आप से डरना चाहिए ?

नरेंद्र मोदी: पहली बात है कि अगर उनको किसी से डर लगता है, तो ये क्षेत्र छोड़ देना चाहिए. लोकतंत्र में मीडिया अगर ताकतवर नहीं होगा, तो लोकतंत्र चलेगा नहीं और ऐसा डरपोक मीडिया देश को नहीं चाहिए, भाग जाने वाला नहीं चाहिए मीडिया, मजबूत मीडिया चाहिए, डट कर के खड़ा रहे, है कितना भी बड़ा तीसमारखां, राजनेता आया हो तो भी खड़ा रहे ऐसा मीडिया चाहिए, भागने वाली बात मत करो भाई और भागते हो तो मुझे कह देना मदद करूंगा, बचाऊंगा.

* राजीव खांडेकर: राज ठाकरे आपको सपोर्ट कर रहे हैं उनका ये कहना है कि सबसे पहले उन्होंने ये बात कही थी कि नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री होने चाहिए और शुरू से ये कहते आये, लेकिन अब, जब वो आपको सपोर्ट कर रहे हैं, तो आपके पार्टी के वरिष्ठ नेता कहते हैं कि ये बिन बुलाये मेहमान और इनके सपोर्ट की जरूरत नहीं है और अगर सपोर्ट करना है, तो अंदर आकर करें. आप इन सारी चीजों को कैसे देखते है?

नरेंद्र मोदी: 16 मई के बाद चुनावों के जो नतीजे आयेंगे मेरा पक्का विश्वास है कि सरकार चलाने के लिए कोई भी ऐसे सपोर्ट की जरूरत नहीं पड़ेगी, लेकिन देश चलाने के लिए सबके सपोर्ट की जरूरत रहेगी और मेरा ये मत है कि लोकतंत्र में देश चलाने के लिए राजनीति से ऊपर उठ कर के हर किसी का सहयोग लेना चाहिए, सरकार चलाने के लिए जरूरत पड़नेवाली नहीं है, जनता हमें भरपूर देनेवाली है. लेकिन, देश चलाने के लिए सबका सपोर्ट लेना चाहिए. अगर अमेठी में राहुल जी जीत के आते हैं. संभावना कम है. और वो लीडर ऑफ द अपोजीशन बनते हैं, तो उनका भी सहयोग लेना चाहिए, ये मेरा मत है, देश ऐसे नहीं चलता है जी, देश चलाना है, तो सबको साथ लेकर चलना पड़ता है, सरकार चलाने के लिए ठीक है जनता ने जो वर्डिक्ट दिया है उनको लेकर चलेंगे.

* शाजी जमां: एक बड़ा राष्ट्रीय प्रश्न-कश्मीर का क्या हल है? क्या ये सही है कि आप की तरफ से कोई पहल हुई थी एक अलगाववादी से बात करने के लिए?

नरेंद्र मोदी: मैं तो सुन कर ही हैरान हूं. ये कहां से आया, मैंने मीडिया में देखा नहीं, पर शायद क्लियर हो गया कि किसी ने कह दिया कि हम कोई मोदी के दूत नहीं हैं, मुझे तो नाम भी नहीं मालूम हैं ऐसे ही कोई खबरचलती है.

* शाजी जमां: पाकिस्तान के बारे में आपकी पार्टी आरोप लगाती है यूपीए पर कि कमजोर रवैया है पाकिस्तान के प्रति. आपके नजर में मजबूत रवैये की परिभाषा क्या है?

नरेंद्र मोदी: पहली बात ये है कि हम लोग देश को ऐसे चलायें, देश को ऐसा बनायें, ताकि कोई हमें आंख न दिखाये और हम भी दुनिया के सामने आंख दिखा कर व्यवहार नहीं कर सकते हैं. आंख दिखा कर भी दुनिया नहीं चल सकती है आंख झुका कर भी नहीं चल सकती है. बात आंख मिला कर होनी चाहिए और वो अंतरराष्ट्रीय समूहों में रेसीप्रोकेसी होती है वही उत्तम तरीका होता है.

* शाजी जमां: क्या आप अमेरिका जायेंगे अगर आप प्रधानमंत्री बनते है तो?

नरेंद्र मोदी: ये बड़ा लोडेड सवाल है जी. ये बड़ा लोडेड सवाल है. देश की जनता ने मुझे देश का काम करने के लिए चुना है.

* शाजी जमां: एक सवाल आपके मेनिफेस्टो के बारे में. राम मंदिर, यूनिफॉर्म सिविल कोड लंबे समय से रहा है पार्टी के एजेंडा में, वो कभी पूरा नहीं हुआ है, जिस तरह से वादा किया गया? आपकी छवि तेज तर्रार नेता की है, क्या आप वाकई पूरा भी कर सकते हैं इसे?

नरेंद्र मोदी: देश तेजतर्रारी से नहीं चलता है जी. देश संविधान से चलता है. देश संवैधानिक मर्यादाओं से चलता है और देश आगे भी संविधान की मर्यादा से ही चलनेवाला है. तेजतर्रार तो चुनाव के लिए होता है देश चलाने के लिए नहीं होता है.

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