सिलीगुड़ी. पांच सौ और हजार के नोट पर रोक का असर चारों ओर देखने का मिल रहा है. नोट की चोट का असर कारोबार पर भी जबरदस्त तरीके से पड़ा है. शॉपिंग मॉल से लेकर फुटपाथ तक धंधा मंदा हो गया है. बाजारों से खुदरा रुपया अचानक विलुप्त हो गया है. इससे जहां कारोबारियों के माथे पर शिकन पड़ चुकी है, वहीं आम लोगों का जीना मुहाल हो चुका है. लोगों को खाने के भी लाले पड़ गये हैं. लोग रुपये होते हुए भी कंगाल बन गये हैं.
नोटबंदी के चौथे दिन भी बाजारों में कहीं रौनक नहीं देखी गयी. स्थानीय सेवक रोड स्थित कॉसमॉस और माटीगाड़ा स्थित सिटी सेंटर जैसे शॉपिंग मॉलों में सन्नाटा पसरा पड़ा था, वहीं फूटपाथ भी सुनसान दिखा. फुटपाथों पर दुकानदारी करनेवाले दिनभर खरीदारों की राह ताकते-ताकते झपकी लेने को मजबूर दिखे. फुटपाथ पर एक कंबल विक्रेता मोहम्मद अजहर का कहना है कि गुलाबी ठंड की शुरुआत के बावजूद कंबल व गरम कपड़ों की बिक्री नहीं हो रही है.
जबकि तीन-चार महीने पहले गरमी व बारिश के मौसम में भी कंबल खूब बिक्री हुआ. एक अन्य विक्रेता लक्ष्मण सहनी ने मोदी को ही कोसते हुए कहा कि लोगों को खुदरा रुपये के लिए मारामारी करनी पड़ रही है. अचानक तीन-चार रोज से खरीदारों का टोटा पड़ गया हे और बाजारों में सन्नाटा छा गया है. पुराने नोट लेकर सड़क पर घूम रहे एक व्यक्ति राम चंद्र ने कहा कि मोदी ने लोगों को रुपये रहते हुए भी कंगाल बना दिया. मैं पड़ोसी राज्य बिहार के किशनगंज जिले के गलगलिया से सिलीगुड़ी अपने बीमार पिता के लिए दवाइयां खरीदने आया हूं. लेकिन खुदरा न होने की वजह से कोई दवा दुकानदार दवाइयां नहीं दे रहा और और होटल वाले भी खाना मांगने पर दुत्कार रहे हैं.