सिलीगुड़ी: सिंचाई व्यवस्था न होने से जलपाईगुड़ी जिले के नागराकाटा और मटेली ब्लॉक के विभिन्न इलाकों में लगभग 80 हजार बीघा जमीन इस मौसम में खाली पड़ी है. किसानों ने सिंचाई की व्यवस्था के लिए अनेक बार प्रशासन के पास गुहार लगायी, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला. इसे लेकर स्थानीय किसानों में रोष है. यह जमीन कृषि योग्य है, लेकिन सिर्फ बारिश के मौसम में ही एक फसल हो पाती है. बाकी समय ये जमीन खाली पड़ी रहती है. सिर्फ एक फसल होने से किसानों की माली हालत खराब है और उन्हें काम-काज की तलाश में दूसरे राज्यों में जाना पड़ता है.
इन दोनों ब्लॉकों में बड़ी संख्या में चाय बागान हैं. इसके अलावा काफी संख्या में खेती-बाड़ी पर निर्भर लोग भी हैं. बारिश के समय ये लोग धान की खेती करते हैं. लेकिन इसके बाद नदी और तालाबों का पानी सूख जाता है और अन्य कोई सफल नहीं हो पाती है. यहां के किसानों की शिकायत है कि अच्छी उपजाऊ जमीन होने के बावजूद सिंचाई के अभाव में वे दो या तीन फसलें नहीं ले पाते हैं. कोई किसान दूसरे राज्य में जाकर काम खोज रहा है, तो कोई इलाके में ही दिहाड़ी मजदूरी करके पेट पाल रहा है.
नागराकाटा के विधायक जोसेफ मुंडा ने इस संबंध में कहा कि ये सरकार सिर्फ किसान मंडी बनाकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला छुड़ा रही है. इन किसान मंडियों में अभी भी किसान सब्जी नहीं पहुंचा पा रहे हैं. आखिर ऐसा क्यों है, यह सरकार को देखना चाहिए. किसान सब्जी उपजा पायेंगे, तभी तो मंडी जा पायेंगे? कुछ किसान दो फसलें उपजा भी पा रहे हैं, तो यह किसानों के खुद के प्रयास से है. इसमें सरकार की कोई भूमिका नहीं है. इस तरह के बड़े किसान अपनी सब्जी स्थानीय मंडी की जगह अन्यत्र बेचते हैं. लेकिन अधिकतर किसान अपने प्रयास से सिंचाई व्यवस्था करने में सक्षम नहीं हैं. यही वजह है कि स्थानीय किसान मंडी में सब्जी नहीं आ रही है. माकपा के नागराकाटा के जोनल सचिव दिलकुमार उरांव ने कहा कि इन दोनों ब्लॉकों में करीब 20 हजार किसानों की 80 हजार बीघा जमीन पर धान के अलावा कोई और खेती नहीं होती. इसके बावजूद सरकार के कानों पर जू नहीं रेंगती है.
नागराकाटा ब्लॉक के कृषि अधिकारी देवाशीष सरदार ने कहा कि राज्य और केन्द्र सरकार के संयुक्त प्रयास से किसानों की जमीन तक पानी पहुंचाने के प्रयास चल रहे हैं. जल्द से जल्द सारी व्यवस्था कर ली जायेगी. इसके बाद किसान दो या तीन फसलें ले पायेंगे.