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सरस्वती पूजा चंदे को लेकर जोर-जबरदस्ती

सिलीगुड़ी. सिलीगुड़ी शहर में इन दिनों सरस्वती पूजा के चंदे को लेकर कई इलाकों में जोर-जबरदस्ती करने की शिकायतें मिलनी शुरू हो गई है. विभिन्न स्थानों पर वाहन चालकों को रोक कर चंदा वसूलने का सिलसिला जारी है. खासकर सिलीगुड़ी पुलिस कमिश्नरेट के प्रधाननगर थाना अंतर्गत चंपासारी से लेकर मिलन मोड़ तक चंदे को लेकर […]

सिलीगुड़ी. सिलीगुड़ी शहर में इन दिनों सरस्वती पूजा के चंदे को लेकर कई इलाकों में जोर-जबरदस्ती करने की शिकायतें मिलनी शुरू हो गई है. विभिन्न स्थानों पर वाहन चालकों को रोक कर चंदा वसूलने का सिलसिला जारी है. खासकर सिलीगुड़ी पुलिस कमिश्नरेट के प्रधाननगर थाना अंतर्गत चंपासारी से लेकर मिलन मोड़ तक चंदे को लेकर कुछ अधिक ज्यादती की जा रही है. खासकर ट्रक चालकों को इसका शिकार बनाया जा रहा है.

यहां उल्लेखनीय है कि मिलन मोड़ में गुलमा से बड़े पैमाने पर बालू एवं पत्थर की ढुलाई होती है. बड़े-बड़े ट्रक इस काम में लगे हुए हैं. गुलमा से बालू एवं पत्थर की सप्लाई बिहार के अलावा असम तथा अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में की जाती है. एक अनुमान के मुताबिक हर दिन ही करीब सौ ट्रकों के आसपास बालू एवं पत्थरों की ढुलाई की जाती है. इन्हीं ट्रक वालों को चंपासारी मिलन मोड़ रूट पर विशेष रूप से निशाना बनाया जाता है. ट्रक चालकों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार चंपासारी से लेकर मिलन मोड़ के गुलमा तक 15 से 20 स्थानों पर सरस्वती पूजा का चंदा वसूला जा रहा है. आरोप है कि कुछ स्थानीय दबंग युवक इस काम में लगे हुए हैं. ऐसा नहीं है कि एक बार चंदा देकर ट्रक वाले छूट कर निकल जायें. जितनी बार गुजरना है, उतनी बार चंदे की मांग की जाती है. एक ट्रक ड्राइवर ने बताया कि सभी स्थान पर सौ रुपये से पांच सौ रुपये तक की रसीद काट दी जाती है. पैसा नहीं देने पर जोर-जबरदस्ती की जाती है. कई बार तो ट्रक ड्राइवरों के साथ मारपीट की घटना भी हो चुकी है. ट्रक चालकों का कहना है कि सौ रुपये से कम कोई भी लेना नहीं चाहता. अमूमन हर स्थान पर सौ रुपये देने पड़ते हैं. ट्रक चालकों का कहना है कि रूट पर आवाजाही के लिए मालिक उन्हें सीमित पैसे देते हैं. इसी पैसे से पुलिस एवं प्रशासन का भी काम निपटाना पड़ता है.

सरस्वती पूजा का चंदा देने के क्रम में उनके काफी पैसे निकल जाते हैं. ट्रक चालकों का कहना है कि इस मामले में कई बार पुलिस से शिकायत की गई, लेकिन इसका कोई लाभ नहीं हुआ. कई मौकों पर तो पुलिस जीप के सामने ही चंदा वसूलने वाले सड़क पर जम जाते हैं. उनका कहना था कि एक बार चंदा देने में उन्हें कोई परेशानी नहीं है. परेशानी तब होती है जब बार-बार चंदे की मांग की जाती है. चंपासारी से गुलमा जाने तक 10 से 12 स्थानों पर सौ से पांच सौ रुपये देने पड़ते हैं. उसके बाद लौटने के क्रम में भी चंदा देना पड़ता है. ऐसे में एक बार आवाजाही में करीब दो हजार से लेकर चार-पांच हजार रुपये तक खर्च हो जाते हैं. बात इतने पर ही नहीं रूकती, दो दिन बाद अगर फिर इस रूट पर आते हैं तो उन्हें फिर से चंदा देना पड़ता है. यह सिलसिला पिछले एक महीने से जारी है. इस बीच, चंपासारी से आगे बढ़ते ही विभिन्न स्थानों पर विशेषकर रात आठ बजे के बाद चंदा वसूलने वालों का हुजूम देखा जा सकता है. दिन के समय इस रूट पर बड़े ट्रकों की नो एंट्री रहती है.

रात नौ बजे के बाद ही इन ट्रकों को उधर जाने दिया जाता है. हालांकि इस नियम की अनदेखी कर ट्रक वाले भी रात आठ बजे के बाद से ही गुलमा जाना शुरू कर देते हैं. इस दौरान विभिन्न स्थानों पर रस्सी लगाकर ट्रक को रोक दिया जाता है. रात आठ बजे के बाद चंपासारी रूट पर कई बार वाहनों की लंबी कतार लग जाती है. इस संबंध में पुलिस कमिश्नर मनोज वर्मा का कहना है कि चंदा को लेकर जोर जबरदस्ती बर्दाश्त नहीं की जायेगी़ पुलिस के पास शिकायत आने पर कार्यवाही की जायेगी़

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