सिलीगुड़ी: सर्किट बेंच के तरह ही मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट को लेकर राज्य सरकार बहानेबाजी कर रही है. इस मुद्दे पर सरकार व हाइकोर्ट एक -दूसरे पर जिम्मेदारी की बात कह कर हाथ झाड़ रहे हैं. सरकार व हाइकोर्ट पर यह गंभीर आरोप सिलीगुड़ी बार एसोसिएशन के कार्यकारी चेयरमैन अरुण सरकार ने आज एसोसिएशन के सभाकक्ष में मीडिया के सामने लगाया.
सिलीगुड़ी कोर्ट में सीज वर्क आंदोलन की भावी रणनीति को लेकर आज वकीलों की हुई विशेष बैठक के बाद श्री सरकार ने मीडिया से कहा कि हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस के न आने तक वकीलों की सर्वसम्मती से सीज वर्क आंदोलन लगातार जारी रखने का फैसला लिया गया है. उन्होंेने बताया कि आगामी 2015 में 11 जनवरी को चीफ जस्टीस के यहां आने की बात सुनी जा रही है, लेकिन आधिकारिक रुप से लिखित जानकारी एसोसिएशन को अब-तक नहीं मिली है.
एसोसिएशन के सचिव चंदन दे ने भी मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि यह लड़ाई वकील अपने हित के लिए नहीं बल्कि, सरकार के सिद्धांतों एवं लोगों के हित के लिए कर रहे हैं. श्री दे ने बताया वर्ष 2012 में जलपाईगुड़ी जिले के भक्तिनगर थाना समेत कुल पांच थानों को मिलाकर सिलीगुड़ी मेट्रॉपोलिटन पुलिस कमिश्नरेट गठन किया गया और उसी साल राज्य सरकार ने सिलीगुड़ी में मेट्रॉपोलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट के निमार्ण का भी फैसला लिया था.
अपने फै सले को अमली जामा पहनाते हुए उसी साल 31 दिसंबर को राज्य सरकार तत्कालीन कानून मंत्री एवं हाइकोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस ने सिलीगुड़ी कोर्ट परिसर में जी-4 अत्याधुनिक कोर्ट बिल्डिंग के निर्माण का शिलान्यास किया गया और एक ही बिल्डिंग में चलने वाले दो कोर्टो के एक पुराने मकान को तोड़ डाला गया. शिलान्यास के दो साल भी वहां कोर्ट निर्माण की तो दूर की बात एक ईट की नींव तक नहीं पड़ी.