जलपाईगुड़ी/दार्जिलिंग : अप्रैल 2020 में राज्य सरकार नगरपालिका चुनाव करवाने जा रही है] लेकिन दार्जिलिंग नगरपालिका चुनाव 30 अप्रैल तक नहीं हो सकती है. गुरुवार को कलकत्ता हाईकोर्ट के जलपाईगुड़ी सर्किट बेंच के न्यायाधीश अमृता सिन्हा के सिंगल बेंच में दार्जिलिंग नगरपालिका चुनाव पर 30 अप्रैल तक यथास्थिति बनाये रखने का निर्देश है. दार्जिलिंग नगरपालिका के 15 पार्षदों द्वारा सर्किट बेंच में किये गये केस की सुनवायी के दौरान अदालत ने यह फैसला सुनाया. यह जानकारी वादी पक्ष के अधिवक्ता आनंद भंडारी ने दी है.
उल्लेखनीय है कि 2017 में दार्जिलिंग नगरपालिका चुनाव हुआ था. ढाई साल निगम बोर्ड चलने के बाद पहाड़ पर राजनैतिक उथल पुथल की स्थिति पैदा हो गयी. नगरपालिका के गुरुंग पंथी 17 पार्षद काफी समय के लिए भूमिगत हो गये. इस स्थिति में राज्य सरकार ने नगरपालिका में प्रशासक बैठा दिया. स्थिति सामान्य होने के बाद भूमिगत पार्षद सामने आये व भाजपा में शामिल हो गये.
इन्हीं 15 पार्षदों ने खुद को भाजपा पार्षद घोषित करते हुए सर्किट बेंच में आवेदन किया. उनलोगों का कहना है कि नगरपालिका का मियाद 5 साल का होता है. लेकिन दार्जिलिंग के मामले में मियाद खत्म होने से पहले ही प्रशासक नियुक्त किया गया व इस मामले को भी छह महीना बीत चुका है. इसलिए वे नगरपालिका का मियाद खत्म होने के बाद ही दार्जिलिंग में चुनाव करवाने के पक्ष में हैं. अधिवक्ता आनंद भंडारी ने आगे बताया कि गुरुवार को सर्किट बेंच के न्यायाधीश अमृता सिन्हा की सिंगल बेंच में सुनवायी के बाद अदालत में पार्षदों की मांग को मान लिया है. केस की अगली सुनवाई 24 अप्रैल को है. अदालत ने 30 अप्रैल तक दार्जिलिंग नगरपालिका की यथास्थिति रखने का निर्देश दिया है. इससे राज्य सरकार चुनाव नहीं करवा पायेगी.
वहीं राज्य सरकार की ओर से एडवोकेट जेनरल किशोर दत्त ने कोई टिप्पणी नहीं की. उन्होंने कहा कि यथास्थिति (स्टेटसको) एवं वादी पक्ष की मांग के विरोध में जल्द ही हलफनामा दाखिल किया जायेगा.
इधर, दार्जिलिंग में गोजमुमो विनय गुट के केन्द्रीय उपाध्यक्ष सतिश पोख्ररेल ने कहा कि दार्जिलिंग नगरपालिका में गोजमुमो विनय गुट आज भी बहुमत में है. सरकार ने यदि फ्लोर टेस्ट कराती है तो गोजमुमो विनय गुट का बोर्ड गठन होना तय है.
उल्लेखनीय है कि दार्जिलिंग नगरपालिका में कुल 32 सीट है. दी है. पिछले 2017 के आन्दोलन के बाद गोरखा जनमुक्ति मोर्चा दो भाग में विभाजित हो गया. जिसके बाद गोजमुमो विनय गुट ने दार्जिलिंग नगरपालिका में बोर्ड गठन किया था, लेकिन लोकसभा चुनाव और दार्जिलिंग विधानसभा के उपचुनाव में गोजमुमो विनय गुट और तृणमूल कांग्रेस के बीच हुए गठबन्धन के बावजूद मिली हार के बाद गोजमुमो विमल गुट के नगरपार्षदों ने दार्जिलिंग नगरपालिका के चेयरमैन से फ्लोर टेस्ट कराने की मांग की.
इसके बाद नगरपालिका में राजनैतिक विवाद बढ़ता गया और सरकार ने दार्जिलिंग नगरपालिका में प्रशासक को बैठा दिया. दार्जिलिंग नगरपालिका के कतिपय विषयों को लेकर कलकत्ता उच्च न्यायलय में याचिका दायर की गयी, जिसकी सुनवाई करते हुए उच्च न्यायलय की न्यायाधीश ने दार्जिलिंग नगरपालिका का चुनाव 30 अप्रैल तक नहीं कराने का निर्देश दिया है.