सिलीगुड़ी. उत्तर बंगाल की सबसे बड़ी गल्ला मंडी सिलीगुड़ी के खालपाड़ा-नयाबाजार मंडी के कारोबारियों के संगठन सिलीगुड़ी मर्चेंट्स एसोसिएशन (एसएमए) के सत्र 2017-19 कार्यकारिणी बोर्ड का चुनाव 17 दिसंबर यानी रविवार को होना तय है. पिछली चुनाव की तरह ही इसबार भी दो पैनल हैं. इन दो पैनलों में प्रवीण झंवर और गौरीशंकर गुट आमने-सामने है. चुनाव की तारीख ज्यों-ज्यों नजदीक आ रही है त्यों-त्यों प्रवीण झंवर और गौरीशंकर गुट के बीच चुनावी दंगल तेज होता जा रहा है.
वहीं, चुनाव प्रचार के साथ ही दोनों गुटों के बीच आरोप-प्रत्यारोप भी शुरू हो गया है. आरोप-प्रत्यारोप के बीच ही सोमवार को प्रवीण झंवर गुट ने सत्ता पक्ष पर चुनावी प्रक्रिया में धांधली करने का आरोप लगाया और चुनाव का बहिष्कार करने की धमकी दी है. झंवर गुट के सभी 14 उम्मीदवारों ने चुनाव नहीं लड़ने का एलान किया है. इसी के तहत आज सभी 14 उम्मीदवारों के हस्ताक्षर की हुई एक चिट्ठी चुनाव अधिकारी को भी सौंप दी गयी है. चुनावी घटनाक्रम को लेकर आज देर शाम को खालपाड़ा के नेहरू रोड में एक मकान में प्रवीण झंवर के गुट की मीटिंग भी हुई. इस चुनावी दंगल को लेकर खालपाड़ा-नया बाजार इलाके का माहौल गरम है.आज की चुनावी घटनाक्रम को लेकर कारोबारी सदस्यों में भी काफी उत्सुकता देखी गयी.
कारोबारियों का कहना है कि एसएमए के इतिहास में राजनीतिक चुनाव की तरह लड़ाई पहली बार देखने को मिल रही है जो काफी रोचक बनती जा रही है. एसएमए का चुनावी जंग इसबार विवादों में तब्दील होता जा रहा है. चुनावी प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही बोर्ड पर दो साल से आसीन सत्ता पक्ष विवादों में है. विशेष सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, सत्ता पक्ष यानी गौरीशंकर गुट पर चुनाव अधिकारियों के साथ साठ-गांठ का आरोप लग रहा है और चुनावी प्रक्रिया में भारी हेर-फेर किये जाने का मामला भी सामने आ रहा है.
सोमवार को चुनाव अधिकारियों वरिष्ठ अधिवक्ता हरिश सिंहल और सिलीगुड़ी के चर्चित सीए जीतेंद्र मित्तल की मौजूदगी में सभी 30 उम्मीदवारों और सभी 696 मतदाताओं (कारोबारी सदस्य) द्वारा प्रॉक्सी पेपर उठाने की तारीख थी. निर्धारित समय 11 बजे दोनों गुटों के सभी उम्मीदवार अग्रसेन रोड स्थित एसएमए भवन पहुंचे. प्रवीण झंवर गुट का आरोप है कि ठीक 11 बजे ही सत्ता पक्ष के सभी 15 उम्मीदवार 75 प्रॉक्सी पेपर उठा ले गये और चुनाव अधिकारियों ने मात्र एक मिनट में ही उठाये गये सभी प्रॉक्सी पेपर को लेकर पूरा विवरण रजिस्टर में उल्लेख भी कर लिया. झंवर गुट का मानना है कि कानून के तहत प्रत्येक उम्मीदवार को पांच और सभी मतदाताओं को एक प्रॉक्सी पेपर उठाने का प्रावधान है. सत्ता पक्ष के सभी 15 उम्मीदवारों ने 11 बजे से पहले ही सभी पेपर उठा भी लिये और चुनाव अधिकारियों ने एक मिनट में ही कैसे सबों का पूरा विवरण भी उल्लेख कर लिया.यह आश्चर्यजनक है. झंवर गुट के एक उम्मीदवार घनश्याम मालपानी ने जब इस हेरा-फेरी का खुलासा किया तो सभी अचंभित हो गये. इन विवादों के विरुद्ध मेश्री मालपानी की अगुवायी में सभी 14 उम्मीदवारों द्वारा हस्ताक्षर की एक चिट्ठी चुनाव अधिकारी को दी गयी. साथ ही श्री मालपानी ने एक चुनाव अधिकारी पर सत्ता पक्ष के लिए चुनाव प्रचार करने का भी आरोप लगाया है.
क्या है प्रॉक्सी पेपर
एसएमए के चुनावी कानून के तहत जो मतदाता चुनाव के दिन मतदान करने के लिए मौजूद नहीं हो सकता है तो वह प्रॉक्सी पेपर के जरिये अपने किसी एक प्रतिनिधि के जरिये अपना मतदान करवा सकता है. इसके लिए प्रत्येक मतदाता को एक और प्रत्येक उम्मीदवार को अधिक-से-अधिक पांच प्रॉक्सी पेपर लेने का प्रावधान है.
स्वीकारी तकनीकी गड़बड़ी
चुनाव अधिकारी जीतेंद्र मित्तल ने स्वीकार किया है कि प्रॉक्सी पेपर उठाने की प्रक्रिया में तकनीकी त्रुटी हुई है. इसकी जानकारी मिलने के साथ ही जिन 15 उम्मीदवारों ने निर्धारित समय से पहले 75 पेपर ले गएउनसे हाथोंहाथ वापस लेकर सभी पेपरों को रद्द कर दिया गया. चुनाव पूरे पारदर्शिता और निष्पक्ष तरीके से कराने के लिए चुनाव अधिकारियों ने पूरी प्रक्रिया अपने अधीन ले ली है. उन्होंने एक गुट के आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि अगर चुनाव अधिकारी किसी भी उम्मीदवार के पक्ष में चुनाव प्रचार करता है तो उसके पूरे विवरण की लिखित रूप से शिकायत की जाये. आज कुल 20 उम्मीदवारों ने सौ प्रॉक्सी पेपर उठाये. बाकी 10 उम्मीदवार कल यानी मंगलवार को पेपर उठायेंगे.
क्या कहना है प्रवीण झंवर का
विरोधी गुट प्रवीण झंवर का कहना है कि इस बार पहली बार विवादित चुनाव हो रहा है. चुनावी प्रक्रिया भी निष्पक्ष नहीं हो रही. चुनाव को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे है.श्री झंवर का कहना है कि यही वजह है कि हमारे पैनल के 14 उम्मीदवार चुनाव नहीं लड़ने पर डटे हैं, जिसका आधिकारिक रूप से कल एलान किया जायेगा.
क्या कहना है गौरीशंकर गुट का
सत्ता पक्ष यानी गौरीशंकर गुट का कहना है कि जो एसएमए की बोर्ड पर 20 वर्षों तक रहे,उन्हें केवल दो वर्षों की सत्ता तब्दली से खलबली है. यही वजह है कि शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीके से निष्पक्ष चुनाव लड़ने से डर रहे हैं. सत्ता पक्ष के सहायक सचिव सह जनसंपर्क अधिकारी कमल गोयल ने विरोधियों पर तंज कसते हुए आरोप लगाया है कि जो चुनाव अधिकारियों पर विश्वास नहीं कर सकते वे कारोबारी सदस्यों का भरोसा भी नहीं जीत सकते. श्री गोयल ने प्रवीण झंवर पर अमर्यादित भाषा इस्तेमाल करने का भी आरोप लगाया. जिसे चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन करार दिया. वहीं, एसएमए के महासचिव गौरीशंकर गोयल का कहना है कि यह चुनाव 20 वर्ष बनाम दो वर्ष की लड़ाई है. एसएमए का चुनाव कोई राजनीतिक अखाड़ा नहीं है यह कारोबारियों के हित और भाइचारे की लोकतांत्रिक लड़ाई है.