उल्लेखनीय है कि उक्त हिंसक घटनाओं को लेकर रायगंज शहर में इन दिनों इस बात को लेकर चर्चा जोरों पर है कि आखिर आदिवासी समुदाय रैली के दौरान अचानक हिंसक क्यों हो उठा? साथ ही उनकी तादाद यकायक इतनी ज्यादा कैसे बढ़ गई? इस पर टिप्पणी करते हुए बिरसा तिर्की ने फोन पर बताया, रायगंज में निकाली गई रैली के दौरान जो हिंसक घटना घटी उससे आदिवासी समुदाय का कोई संपर्क नहीं है.
किसी भी अन्याय-उत्पीड़न के खिलाफ तल्खी स्वाभाविक है, लेकिन लूट, आगजनी, मारपीट, तोड़फोड़ करना उनके आंदोलन का अंग नहीं है. दलित महिलाओं के साथ जो घटनाएं घटी, वह अत्यंत मर्मांतिक और पीड़ादायक है. इसके विरोध में न्याय की गुहार लगाने गये आदिवासी समुदाय हिंसा का सहारा नहीं ले सकता. निश्चय ही वह किसी राजनीतिक संरक्षणप्राप्त नेता या गुट विशेष की साजिश थी जो उकसावे के चलते अचानक भड़क उठी. इस संबंध में आदिवासी विकास परिषद के उत्तर दिनाजपुर जिला स्तरीय नेता जेठा मुर्मू भी इसी बात को दोहराते हुए उक्त हिंसक घटना से अपना पल्ला झाड़ते हुए दिखे.