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दिल्ली में ही 15 दिनों से जमाया डेरा, फिलहाल आने की संभावना नहीं, रोशन गिरि को सता रहा है गिरफ्तारी का डर

सिलीगुड़ी. दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र में अलग गोरखालैंड राज्य की मांग को लेकर एक ओर जहां जोर-शोर से गोजमुमो के नेतृत्व में आंदोलन जारी है, वहीं दूसरी ओर गोजमुमो के महासचिव रोशन गिरि पहाड़ से नदारद हैं. कुछ दिनों पहले गोरखालैंड आंदोलन हिंसक हो जाने के बाद राज्य सरकार तथा पुलिस की शिकायत केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ […]

सिलीगुड़ी. दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र में अलग गोरखालैंड राज्य की मांग को लेकर एक ओर जहां जोर-शोर से गोजमुमो के नेतृत्व में आंदोलन जारी है, वहीं दूसरी ओर गोजमुमो के महासचिव रोशन गिरि पहाड़ से नदारद हैं. कुछ दिनों पहले गोरखालैंड आंदोलन हिंसक हो जाने के बाद राज्य सरकार तथा पुलिस की शिकायत केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह से करने के लिए रोशन गिरि दिल्ली गये थे. उसके बाद से लेकर वह वहीं जमे हुए हैं. इसको लेकर पहाड़ पर चरचा का बाजार गरम है.

रोशन गिरि के खिलाफ गोजमुमो के अंदर ही विरोध के स्वर तेज हो गये हैं. इसके अलावा आंदोलन की इस घड़ी में रोशन गिरि के दिल्ली में डटे रहने को लेकर पहाड़ के लोग भी नाराज हैं. इस बीच, रोशन गिरि के नजदीकी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार उन्हें अपनी गिरफ्तारी का डर सता रहा है. यहां बता दें कि पिछले दिनों सिंहमारी में हुए गोरखालैंड आंदोलन के दौरान पुलिस फायरिंग में तीन गोजमुमो समर्थक मारे गये थे, जबकि कई अन्य लोग घायल हो गये थे. इसके अलावा गोजमुमो समर्थकों की पत्थरबाजी में काफी पुलिस कर्मी भी घायल हुए थे. इसको लेकर सिंहमारी पुलिस ने स्वत: संज्ञान लेते हुए गोजमुमो सुप्रीमो बिमल गुरूंग, उनकी पत्नी आशा गुरूंग सहित 40 गोजमुमो नेताओं पर हत्या का मुकदमा दर्ज किया है. सूत्रों ने बताया कि इसमें रोशन गिरि का भी नाम है.

इसके अलावा रोशन गिरि के खिलाफ पहले से भी कई मामले चल रहे हैं. गोरखालैंड आंदोलन को दबाने के लिए राज्य सरकार ने भी कड़ी कार्रवाई के संकेत दिये हैं. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने स्वयं ही पुलिस को उपद्रव करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का निर्देश दिया है. सूत्रों ने बताया कि रोशन गिरि पर कई मामले दर्ज होने के बाद उन्हें अपनी गिरफ्तारी का डर सता रहा है. उन्हें दिल्ली से दार्जीलिंग आने के लिए बागडोगरा एयरपोर्ट अथवा न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशन आना होगा. उन्हें आशंका है कि इसी दौरान पुलिस उन्हें गिरफ्तार कर सकती है. इस मामले में जब उनसे संपर्क की कोशिश की गई, तो संपर्क नहीं हो सका. हालांकि गोजमुमो ने इन बातों को खारिज कर दिया है. गोजमुमो के सह-सचिव तथा प्रवक्ता विनय तामांग का कहना है कि पहाड़ पर गोरखालैंड आंदोलन चल रहा है. दिल्ली में केन्द्र सरकार को आंदोलन की जानकारी देने तथा विभिन्न केन्द्रीय मंत्रियों के साथ बातचीत के लिए एक बड़े नेता का वहां रहना जरूरी है. इसीलिए रोशन गिरि को दिल्ली में रखा गया है. इधर, गोजमुमो के अंदर रोशन गिरि विरोधी खेमे ने मोरचा खोल दिया है.

इन नेताओं का कहना है कि रोशन गिरि की वजह से ही पिछले पांच वर्षों के दौरान गोरखालैंड आंदोलन कमजोर हुआ है. बिमल गुरूंग तथा अन्य गोजमुमो नेता गोरखालैंड क्षेत्रीय प्रशासन (जीटीए) के पक्ष में नहीं थे. रोशन गिरि ने ही जीटीए के पक्ष में माहौल बनाया. जीटीए लेने की वजह से पहाड़ के लोग नाराज हुए और उन्हें लगा कि गोजमुमो नेताओं ने सत्ता सुख के लिए गोरखालैंड से मुंह मोड़ लिया और जीटीए के लिए राजी हो गये. ऐसे नेताओं ने रोशन गिरि को दिल्ली से बुलाने के लिए बिमल गुरूंग पर दबाव बनाना भी शुरू कर दिया है.

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