कोलकाता. आरजी कर मेडिकल कॉलेज की घटना को लेकर राज्य में हो रहे विरोध-प्रदर्शनों से निबटने के तरीके को लेकर तृणमूल कांग्रेस के भीतर मतभेद सामने आ गये हैं. तृणमूल के एक वरिष्ठ नेता ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर कहा, ‘‘इस घटना से कैसे निपटा जाये, इस पर पार्टी के भीतर मतभेद हैं. कुछ लोगों का मानना है कि राज्य सरकार द्वारा मामले से निपटने में कोताही बरती गयी, जिससे विरोध प्रदर्शन बढ़ गया. दूसरों का मानना है कि विपक्षी दलों ने इस मुद्दे का इस्तेमाल सरकार के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन के अवसर के तौर पर किया है.’’ तृणमूल नेता ने कहा कि नेताओं के बीच मतभेदों से यह धारणा बनी है कि पार्टी इस मुद्दे पर एकजुट नहीं है. उन्होंने कहा, ‘‘यह चिंता का विषय है कि इस मुद्दे पर पार्टी का शीर्ष नेतृत्व जो कह रहा है, उसे अन्य नेताओं ने नहीं दोहराया है. इससे न केवल आम जनता, बल्कि पार्टी के सभी कार्यकर्ताओं के बीच गलत संदेश जा रहा है.’’ घटना के खिलाफ जारी प्रदर्शनों पर टिप्पणी करते हुए वरिष्ठ तृणमूल नेता और विधायक मदन मित्रा ने कहा कि जनता का आक्रोश नंदीग्राम और सिंगूर में भूमि अधिग्रहण को लेकर वाममोर्चा शासन के खिलाफ हुए विरोध-प्रदर्शनों की याद दिलाता है. उन्होंने कहा, ‘‘हमने तत्कालीन वाममोर्चा शासन के विरुद्ध नंदीग्राम और सिंगूर में भूमि अधिग्रहण विरोधी प्रदर्शनों के दौरान इसी तरह का जन-आक्रोश देखा था. उन विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व तृणमूल कांग्रेस ने किया था. अगर लोग सरकार बदलना चाहते हैं, तो वे 2026 के विधानसभा चुनाव में अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकते हैं.’’ तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ सांसद सुखेंदु शेखर रॉय ने कथित अपराध के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया और घटना की कड़ी निंदा की. राज्यसभा में पार्टी का प्रतिनिधित्व करने वाले सुखेंदु ने इस त्रासदी पर गहरा दुख और गुस्सा व्यक्त करते हुए कहा कि महिलाओं पर होने वाली क्रूरता के खिलाफ आवाज उठाने का समय आ गया है. उन्होंने रविवार को मांग की कि सीबीआई महिला डॉक्टर से बलात्कार-हत्या की जांच के सिलसिले में कोलकाता पुलिस आयुक्त विनीत गोयल और आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्राचार्य संदीप घोष को हिरासत में लेकर पूछताछ करे. सुखेंदु इस मामले में आलोचना करने वाले अकेले तृणमूल नेता नहीं हैं. पार्टी प्रवक्ता शांतनु सेन को भी प्रवक्ता पद से हाथ धोना पड़ा, क्योंकि उन्होंने राज्य सरकार से पूछा था कि घोष के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गयी.
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