हाथी को ट्रेन ने पीछे से टक्कर मारी है. टक्कर लगते ही हाथी चाय बागान में रेलवे लाइन के किनारे गिर गया और बाद में उसकी मौत हो गयी. आज सुबह जैसे ही इस घटना की जानकारी मिली आसपास के लोग बड़ी संख्या में मौके पर जमा हो गये. स्थानीय लोगों ने हाथी के शव पर फूलमाला आदि डालकर श्रद्धांजलि दी. वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जहां यह घटना घटी है उसके पास ही देवमती नदी है. शायद हाथी नदी पार कर रेल लाइन पर आ गया होगा. वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि ट्रेन से हाथी के पिछले बायें पैर पर टक्कर लगी है.उसके बाद वह जमीन पर गिर पड़ा होगा और उसकी मौत हो गयी. वन विभाग के बागडोगरा रेंज के कर्मचारियों का कहना है कि इस क्षेत्र की पहचान हाथियों के गलियारे के रूप में है. रेलवे को भी इस बात की जानकारी दी गयी है. रेलवे को ट्रेनों की गति नियंत्रित रखने के लिए कहा गया है. उसके बाद भी इस प्रकार की घटना हो रही है. रेंज अधिकारी पी शेरपा का कहना है कि इस मामले को लेकर रेलवे के खिलाफ थाने में एफआइआर दर्ज करायी जायेगी. हाथी की उम्र 18 वर्ष बतायी जा रही है.
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ट्रेन के धक्के से फिर मरे गजराज
सिलीगुड़ी. ट्रेन के धक्के से हाथियों की मौत का सिलसिला नहीं थम नहीं रहा है. एक बाद फिर ट्रेन के धक्के से एक व्यस्क हाथी की मौत हो गयी है. यह घटना इस बार डुवार्स में नहीं बल्कि सिलीगुड़ी के निकट नक्सलबाड़ी में घटी है. जानकारी के अनुसार, सिलीगुड़ी जंक्शन से एक पैसेंजर ट्रेन बिहार […]
सिलीगुड़ी. ट्रेन के धक्के से हाथियों की मौत का सिलसिला नहीं थम नहीं रहा है. एक बाद फिर ट्रेन के धक्के से एक व्यस्क हाथी की मौत हो गयी है. यह घटना इस बार डुवार्स में नहीं बल्कि सिलीगुड़ी के निकट नक्सलबाड़ी में घटी है.
जानकारी के अनुसार, सिलीगुड़ी जंक्शन से एक पैसेंजर ट्रेन बिहार के कटिहार जा रही थी. बुधवार तड़के करीब चार बजे नक्सलबाड़ी के निकट किरण चंद्र चाय बागान के निकट यह हादसा हुआ. इस चाय बागान के 24 नंबर लाइन से रेलवे की पटरी गुजरती है. स्थानीय लोगों के अनुसार ट्रेन की रफ्तार काफी तेज थी. आमतौर पर यह क्षेत्र ऐलिफेंट जोन है और यहां ट्रेनों की गति नियंत्रित की जाती है. घटना की सूचना मिलते ही वन विभाग के अधिकारी के साथ ही पुलिस की टीम भी मौके पर पहुंची.
अवैध बस्तियों को हटाना जरूरी
इधर,इस घटन पर नक्सलबाड़ी पंचायत समिति के उपाध्यक्ष मो इसलाम ने गहरा शोक प्रकट किया है और हाथियों की मौत के लिए रेलवे के साथ ही अवैध बस्तियों को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने कहा कि सभी जानते हैं कि यह इलाका हाथियों का गलियारा है. उसके बाद भी यहां की जमीन पर अवैध कब्जा कर बस्तियां बनायी गयी हैं. जिसकी वजह से हाथी वन क्षेत्र से बाहर निकल आते हैं और इस प्रकार से ट्रेन से कटकर बेमौत मारे जाते हैं. हाथियों को बचाने की जिम्मेदारी सबकी है. नेपाल ने तो अपने यहां हाथियों के मुख्य कोरिडोर को ही बंद कर दिया है. इस समस्या का समाधान होना जरूरी है.
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