इस बैठक में भारतीय जूट मिल संघ, जूट गांठ संघ, ट्रेड यूनियन, किसान संगठन और अन्य अंशधारक शामिल हुुए. सुश्री वर्मा ने बताया कि जूट मिलाें ने कड़ी प्रतिस्पर्धा तथा बांग्लादेश से सस्ते आयात का मुद्दा उठाया. वहीं, जूट की गांठ बनाने वालाें ने कहा कि उन्हें राशि भुगतान में देरी होती है, जिसकी वजह से किसानाें को भी देश से राशि मिलती है.
तृणमूल के राज्यसभा सदस्य सुखेंदु शेखर राय ने कहा कि किसी भी परिस्थिति में अनिवार्य जूट पैकेजिंग कानून में बदलाव नहीं किया जाएगा, क्योंकि लाखाें लोगाें का जीवनयापन इससे जुड़ा है. बैठक में तृणमूल कांग्रेस सांसद डोला सेन व जूट आयुक्त सुब्रत गुप्ता भी उपस्थित थे.