जन सुविधा की ऐसी परियोजनाओं को नहीं रोका जाना चाहिए. परियोजना पर मेट्रो काम करेगी. अगले चार हफ्ते के बाद मामले की फिर से सुनवाई होगी. न्यायाधीश जयमाल्य बागची ने उक्त स्थानीय सोसाइटी को परियोजना को पूरा करने के लिए मेट्रो की सहायता करने के लिए भी कहा है.
उसके बाद से उसका कोई पता नहीं चला. उस वक्त उसकी उम्र 17 वर्ष थी. उसकी मौसी अमीना बीबी और मौसा तसलीमा को ले गये थे. 2013 और 2014 में थाने में डायरी भी पीड़ित परिवार ने की थी, लेकिन जिला अदालत से मौसी व मौसा ने अग्रिम जमानत ले ली. 2016 में पुलिस निष्क्रियता का मामला तसलीमा की मां जमीना बीबी ने दायर किया. अदालत ने मामले की जांच का जिम्मा सीअाइडी को सौंपा है. जांच रिपोर्ट छह हफ्ते के भीतर देनी होगी. याचिकाकर्ता के वकील सुरजीत बसु ने इसकी जानकारी दी.