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मेयर व डिप्टी मेयर पर आंच

कोलकाता: नगर निगम के वाहनों में पेट्रोल-डीजल डाले जाने में पायी गयी अनियमितता की आंच मेयर शोभन चटर्जी व डिप्टी मेयर फरजाना आलम तक जा पहुंची है. ईंधन पर हुए खर्च की ऑडिट रिपोर्ट में यह सच्चई सामने आयी है कि मेयर की गैरहाजिरी में भी उनकी दोनों गाड़ियों में नियमित तेल भरा जा रहा […]

कोलकाता: नगर निगम के वाहनों में पेट्रोल-डीजल डाले जाने में पायी गयी अनियमितता की आंच मेयर शोभन चटर्जी व डिप्टी मेयर फरजाना आलम तक जा पहुंची है. ईंधन पर हुए खर्च की ऑडिट रिपोर्ट में यह सच्चई सामने आयी है कि मेयर की गैरहाजिरी में भी उनकी दोनों गाड़ियों में नियमित तेल भरा जा रहा था. वहीं, डिप्टी मेयर की गाड़ी में 40 से 48 लीटर तेल का खर्च दिखाया गया है.

निगम के नियमानुसार, मेयर, डिप्टी मेयर व चेयरमैन अपनी गाड़ी में जितना तेल लेना चाहें, ले सकते हैं. मेयर परिषद सदस्यों, विपक्ष की नेता व अन्य दलों के नेता को रोजाना आठ लीटर तेल उनके वाहन के लिए दिया जाता है. पेट्रोल-डीजल के खर्च में हुई इस गड़बड़ी का मामला उठाते हुए कांग्रेस पार्षद प्रकाश उपाध्याय ने कहा कि आखिर डिप्टी मेयर एक दिन में शहर में कितना सफर करती हैं कि उनकी गाड़ी 40 लीटर तेल जला डालती है. मेयर को भी इस बात जवाब देना होगा कि आखिरी उनके शहर में मौजूद नहीं होने के बावजूद लगातार कई दिनों तक उनकी गाड़ी में तेल क्यों भरा गया. पर, वाम मोरचा ने कांग्रेस की इस मांग का समर्थन नहीं किया है. विपक्ष की नेता रूपा बागची का कहना है कि निगम गहरे आर्थिक संकट में डूबा हुआ है. आर्थिक तंगी के कारण निगम के दो विभागों को छोड़ बाकी सभी विभाग को बजट से मिली कुल रकम के 30 प्रतिशत फंड के इस्तेमाल पर रोक लगा रखी गयी है. इसके बावजूद, कोलकाता फिल्म फेस्टिवल पर निगम 20 लाख रुपये खर्च कर रहा है और पानी की तरह पेट्रोल-डीजल बहा रहा है. श्रीमती बागची ने कहा कि आखिर इस गड़बड़ घोटाले की रकम को मंजूरी कैसे दे दी गयी है. मामले की संपूर्ण जांच कर उसे सजा देने की व्यवस्था की जाये. माकपा पार्षद दीपू दास ने पेट्रोल-डीजल घोटाले की न्यायिक जांच करवाने की मांग की है. उन्होंने आरोप लगाया कि लगातार आर्थिक अनियमितता की रिपोर्ट सामने आ रही है. इससे निगम का इमेज खराब हो रहा है.

मेयर के दिल्ली रहते उनकी गाड़ी में भरा गया तेल
निगम की इंटरनल ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार, बीमारी के कारण मेयर 17 से 19 सितंबर तक दिल्ली के अस्पताल में भरती थे. मेयर के दिल्ली में होने के बावजूद नियमित रूप से उनकी दोनों गाड़ियों में तेल भरा गया. निगम के खुद के छह पेट्रोल पंप हैं, जिनसे निगम के वाहनों में पेट्रोल-डीजल भरा जाता है. ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार, सबसे अधिक गड़बड़ी निगम के सेंट्रल गैरेज स्थित पेट्रोल पंप में हुई है. केवल सितंबर में वाहनों में इंधन डालने पर 53 लाख 53 हजार रुपये खर्च हुएं हैं. रिपोर्ट के अनुसार, निगम के पेट्रोल पंप से बाहर के वाहनों में भी तेल भरे जाने के सबूत मिले हैं. रिपोर्ट के अनुसार,19 सितंबर को डिप्टी मेयर की गाड़ी में 40 लीटर तेल भरा गया, उसके अगले दिन अर्थात 20 सितंबर को फिर 48 लीटर तेल डिप्टी मेयर की गाड़ी में भरने की बात रिपोर्ट में आयी है.

कागज में अधिक दिखायी गयी है ऑयल टैंक की क्षमता
रिपोर्ट के अनुसार, सेंट्रल गैरेज के ऑयल टैंक की क्षमता 15000 लीटर की है, लेकिन कागजात में उससे कहीं अधिक दिखाया गया है. डीजल के टैंक में 15000 लीटर की जगह 16942 लीटर एवं पेट्रोल के टैंक में 24000 लीटर पेट्रोल रखे जाने की बात बतायी गयी है. कांग्रेस पार्षद ने इस गड़बड़ी की जांच सीबीआइ से कराने की मांग की है.

सीबीआइ या न्यायिक जांच नहीं : मेयर
मेयर शोभन चटर्जी ने मामले की सीबीआइ अथवा न्यायिक जांच की मांग को सिरे से खारिज कर दिया है. श्री चटर्जी का कहना है कि निगम के काम में स्वच्छता लाने के लिए हम लोगों ने ही इंटरनेल ऑडिट करवाया है. तब जाकर यह गड़बड़ी पकड़ में आयी है. इससे पहले कभी भी ऑडिट नहीं करवाया गया. श्री चटर्जी ने बताया कि कंट्रोलर ऑफ सेल्स एवं ज्वायंट म्यूनिसिपल कमिश्नर (पर्सनल व सेल्स) को इस प्रकार की गड़बड़ी रोकने के नियम तैयार करने को कहा गया है. उनका प्रस्ताव मिलने पर हम लोग जरूरी व्यवस्था करेंगे.

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