कोलकाता. आज की पीढ़ी अपनी परंपरा, साहित्य, कला, विरासत इत्यादि से दूर होती जा रही है. नयी पीढ़ी के सिर पर पाश्चात्य कला व संगीत का भूत सवार होता जा रहा है. ऐसी स्थिति में भारतीय संगीत के विकास के लिए पंडित दीनानाथ मिश्र जैसे लोग अपने स्तर पर कोशिश कर रहे हैं. भारत के शास्त्रीय संगीत को नयी पीढ़ी के बीच लोकप्रिय बनाने के लिए पंडित दीनानाथ मिश्र तीन वर्ष से ठुमरी कार्यशाला का आयोजन कर रहे हैं. इस वर्ष भी दमदम के मोतीझील स्थित उनके निवास स्थान पर 9-11 जून तक ठुमरी कार्यशाला आयोजित हुई. तान चक्र म्यूजिक सोसाइटी द्वारा आयोजित इस कार्यशाला को संगीत कला अकादमी ने भी सहयोग दिया. इस तीन दिवसीय कार्यशाला में लगभग 16 लोगों ने हिस्सा लिया, जिसमें छोटे बच्चों से लेकर हर उम्र के लोग थे. ठुमरी, चैती, पुरवइया जैसे पारंपरिक भारतीय शास्त्रीय संगीत की कला पंडित दीनानाथ मिश्र से सीखने के लिए दिल्ली व बर्र्दवान से भी लोग इस कार्यशाला में शामिल हुए थे. ठुमरी कार्यशाला में मुफ्त में लोगों को ठुमरी, चैती, पुरबइया इत्यादि सिखाया जाता है.
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ठुमरी कार्यशाला का आयोजन
कोलकाता. आज की पीढ़ी अपनी परंपरा, साहित्य, कला, विरासत इत्यादि से दूर होती जा रही है. नयी पीढ़ी के सिर पर पाश्चात्य कला व संगीत का भूत सवार होता जा रहा है. ऐसी स्थिति में भारतीय संगीत के विकास के लिए पंडित दीनानाथ मिश्र जैसे लोग अपने स्तर पर कोशिश कर रहे हैं. भारत के […]
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