कोलकाता: श्री शिक्षायतन और रानी बिड़ला गल्र्स कॉलेज द्वारा संयुक्त रूप से पश्चिम बंगाल उच्च शिक्षा संसद के वित्तीय सहयोग से राष्ट्रीय परिसंवाद का आयोजन किया गया. जिसका विषय था स्त्री विर्मश और आधुनिकता. इस परिसंवाद के उदघाटन सत्र का संचालन अल्पना नायक (अध्यक्ष, हिंदी श्री शिक्षायतन कॉलेज) ने किया.
दीप प्रज्वलन और उदघाटन पश्चिम बंग उच्च शिक्षा संसद की संयुक्त सचिव डॉ फाल्गुनी मुखर्जी ने किया. श्री शिक्षायतन कॉलेज के प्राचार्य ने स्वागत भाषण देते हुए भारत में दो तरह के भारत की उपस्थिति की ओर ध्यान आकर्षित कि2या, जहां एक और साधन-संपन्न स्त्रियां हैं, वहीं दूसरी ओर श्रमजीवी. जिनके मुद्दे अलग हैं. अत: आधुनिक स्त्री विर्मश में इन हाशिए की स्त्रियों का भी समावेश करना जरूरी है.
प्रो. जगदीश्वर चतुर्वेदी ने प्रभावी और विचारोत्तेजक बीज भाषण दिया. उन्होंने कहा कि आधुनिकता के लिए स्त्री को अपनी मानसिकता और रवैया बदलने की जरूरत है. उसे अपनी जड़ता से मुक्त हो आधुनिकता को अर्जित करना होगा.
इसके बाद प्रथम सत्र आरंभ हुआ जिसका विषय था मुक्त की कामना और आधुनिकता स्त्री का आत्मसंघर्ष. इस सत्र में डॉ सोमा बंद्योपाध्याय ने वैदिक मंत्रों से लेकर थेरी गाथाओं और भक्तिकालीन लोक गीतों तक स्त्रियों ने अपने दु:ख और मानवता को रेखांकित किया है. विमल कुमार ने कानून व सत्ता के स्त्री संबंधी अंतर्विरोधी की ओर संकेत किया. पूनम सिंह ने स्त्री की आधुनिकता पर सवाल खड़े किये. इस सत्र का संचालन डॉ विजया सिंह ने किया.
द्वितीय सत्र का विषय स्वातंत्र्योत्तर स्त्री साहित्य और आधुनिकता था. इस सत्र की मुख्य वक्ता डॉ गीता दूबे ने कहा कि स्त्री को आत्मसंघर्ष से उबरकर मुक्ति की ओर बढ़ना होगा. डॉ वेद रमण ने स्त्रीवादी विर्मश के मर्दवादी हो जाने पर चिंता जाहिर की. डॉ राहुल सिंह ने स्त्री विमर्श के नये जमीनी मुद्दों और समस्याओं पर बल दिया है. इस सत्र का संचालन डॉ प्रीति सिंधी ने किया. इस सत्र की अध्यक्ष डॉ राजश्री शुक्ला ने अपने विचार रखे. डॉ पुष्पा तिवारी के धन्यवाद ज्ञापन के साथ पूरा परिसंवाद सफलतापूर्वक संपन्न हुआ.