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असम में नरसंहार: बड़ी तादाद में बंगाल आ रहे हैं शरणार्थी

सिलीगुड़ी/जलपाईगुड़ी: असम के कोकराझार व सोनितपुर जिलों में आदिवासियों पर बोडो उग्रवादियों के हमले की घटना के बाद बड़ी संख्या में शरणार्थी पश्चिम बंगाल की सीमा में प्रवेश कर रहे हैं. कोकराझार जिले के सिमूलटापू, सुअरखावा, खयेरबाड़ी, पाकड़ीगुड़ी, सीमलाबाड़ी आदि इलाकों से करीब 500 आदिवासी परिवार अलीपुरद्वार जिले के कुमारग्राम आ गये हैं. सीमावर्ती इलाकों […]

सिलीगुड़ी/जलपाईगुड़ी: असम के कोकराझार व सोनितपुर जिलों में आदिवासियों पर बोडो उग्रवादियों के हमले की घटना के बाद बड़ी संख्या में शरणार्थी पश्चिम बंगाल की सीमा में प्रवेश कर रहे हैं. कोकराझार जिले के सिमूलटापू, सुअरखावा, खयेरबाड़ी, पाकड़ीगुड़ी, सीमलाबाड़ी आदि इलाकों से करीब 500 आदिवासी परिवार अलीपुरद्वार जिले के कुमारग्राम आ गये हैं.

सीमावर्ती इलाकों में रह रहे आदिवासी शरण के लिए बंगाल में प्रवेश कर रहे हैं. उधर, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि उनकी सरकार राज्य में आने वाले शरणार्थियों की हर संभव मदद करेगी. इसी बीच, अधिकारियों ने कहा है कि पश्चिम बंगाल और असम सीमा पर चौकसी बरती जा रही है.

कहां आ कर ठहरे हैं शरणार्थी: कुमारग्राम के अलावा बक्शा बाघ परियोजना के चेंगमारी बीट इलाके में भी काफी आदिवासी परिवारों ने अपना डेरा जमा लिया है. ऐसे शरणार्थियों की संख्या भी काफी अधिक है, जो जलपाईगुड़ी, अलीपुरद्वार तथा कूचबिहार जिले में विभिन्न स्थानों पर रह रहे अपने रिश्तेदारों के घर शरण लिये हुए हैं. प्रशासनिक सूत्रों ने बताया कि असम से जितने भी आदिवासी शरणार्थी पश्चिम बंगाल में आये हुए हैं उन पर कड़ी नजर रखी जा रही है.

प्रशासनिक स्तर पर ऐसे परिवारों की गणना भी शुरू हो गयी है. आज चेंगमारी बीट इलाके में स्थित एक मैदान में डेरा जमाये हुए आदिवासी शरणार्थियों का जायजा लेने के लिए राज्य सरकार के कई वरिष्ठ अधिकारी पहुंचे. दूसरी तरफ कुमारग्राम के चेंगमारी पंचायत में स्थित माध्यमिक स्कूल के मैदान में भी काफी संख्या में शरणार्थी आये हुए हैं. इन लोगों की खाने-पीने की व्यवस्था कुमारग्राम ब्लॉक प्रशासन द्वारा की जा रही है. स्थानीय पंचायत समिति के सदस्य वीजेंद्र दास ने बताया है कि ब्लॉक प्रशासन के निर्देश पर पंचायत द्वारा शरणार्थियों के खाने-पीने की व्यवस्था की जा रही है. शरणार्थियों को खाने-पीने में किसी प्रकार की कोई दिक्कत न हो, इस पर विशेष नजर रखी जा रही है. इस बीच, असम में बोडो उग्रवादियों द्वारा की गयी हिंसक कार्रवाई के खिलाफ वहां के आदिवासी भी उग्र हो गये हैं.

कोकराझार, सोनितपुर तथा चिरांग जिले में आदिवासियों का विरोध प्रदर्शन जारी है. असम की हिंसा का प्रभाव पश्चिम बंगाल के कूचबिहार तथा डुवार्स इलाके में नहीं पड़े, इसके लिए कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की जा रही है. पुलिस सूत्रों ने बताया है कि सुबह से ही बक्शीरहाट के संकोश, छोटोगुमा तथा बोरोबीसा इलाके में सात स्थानों पर नाका चेकिंग बनायी गयी है. इन स्थानों पर सभी वाहनों की तलाशी ली जा रही है. असम से पश्चिम बंगाल सीमा पर प्रवेश करने वाली गाड़ियों पर विशेष नजर रखी जा रही है. इसके साथ ही कूचबिहार, जलपाईगुड़ी तथा अलीपुरद्वार जिले के सीमावर्ती थाना इलाकों में रेड अलर्ट घोषित कर दिया गया है.

कूचबिहार जिले के पुलिस अधीक्षक राजेश यादव का कहना है कि बंगाल तथा असम सीमा पर सभी थानों को विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश दिये गये हैं. इतना ही नहीं, सीमावर्ती थानों में अतिरिक्त पुलिस बलों की तैनाती की गयी है, ताकि किसी भी अप्रिय घटना की स्थिति में पुलिस बल के जवानों को तत्काल मौके पर भेजना संभव हो सके. असम के सीमावर्ती धुबड़ी जिले के पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारियों के साथ कूचबिहार जिले के पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारियों ने एक बैठक की है.

इस बीच, भारत-बांग्लादेश सीमा पर भी कड़ी चौकसी बरती जा रही है. बीएसएफ सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, असम में नरसंहार की घटना को अंजाम देने के बाद बोडो उग्रवादी बंगलादेश सीमा में प्रवेश कर सकते हैं. इसी को ध्यान में रखकर बीएसएफ ने सीमावर्ती इलाकों में चौकसी बढ़ा दी है.

27 और 28 को बंद का किया एलान

असम में आदिवासियों पर हुए आतंकवादी हमले की घटना के बाद डुवार्स इलाके में रह रहे आदिवासियों का भी गुस्सा भड़का हुआ है. विभिन्न आदिवासी संगठनों ने इस हमले की निंदा की है. इस घटना के विरोध में अलग- अलग संगठनों ने 27 और 28 दिसंबर को 12-12 घंटे के डुवार्स व तराई बंद का एलान किया है. पश्चिम बंगाल आदिवासी विकास परिषद के दो अलग-अलग गुटों ने इस बंद का आह्वान किया है. आदिवासी नेता जॉन बारला का कहना है कि मंगलवार को असम के कोकराझार, सोनितपुर व चिरांग जिले में बोडो उग्रवादियों ने आदिवासियों पर कायरतापूर्ण हमला कर 70 लोगों की हत्या कर दी है.

मालदा में रेल रोको आंदोलन

गुरुवार को मालदा जिले में आदिवासी संगठनों ने विरोध प्रदर्शन करते हुए रेल रोको आंदोलन किया. सुबह 11 बजे से गाजल-एकलाखी रेलमार्ग पर तीर-धनुष तथा ढोल-नगारों के साथ बड़ी संख्या में आदिवासी रेलवे पटरी पर जमा हो गये और ट्रेनों की आवाजाही बंद करा दी. इस रेल रोको अभियान की अगुवाई आदिवासी सेगेल अभियान समिति एवं झारखंड डिसोम पार्टी ने की. आदिवासियों के रेल रोको अभियान के कारण इस रेल मार्ग पर ट्रेनों की आवाजाही पूरी तरह से बंद हो गयी और विभिन्न स्टेशनों पर कई ट्रेनों को रोक दिया गया. रेल रोको आंदोलन की खबर मिलते ही महकमा शासक नंदनी सरस्वती, गाजोल के बीडीओ स्वभिक मुखर्जी तथा पूवरेत्तर सीमा रेलवे के अन्य वरिष्ठअधिकारी मौके पर पहुंचे. इन लोगों ने आदिवासी नेताओं से रेल रोको आंदोलन खत्म करने का अनुरोध किया, लेकिन वह लोग नहीं माने. शाम 5 बजे तक आदिवासी संप्रदाय के लोग रेलवे पटरी पर जमे रहे. इस दौरान मालदा जिला आदिवासी सेगेल अभियान समिति के अध्यक्ष रबीन मुर्मू, गाजल ब्लॉक अध्यक्ष मोहन हांसदा, झारखंड डिसोम पार्टी के जिला अध्यक्ष बिश्वनाथ टुडू आदि भी उपस्थित थे.

इस रेल रोको आंदोलन के कारण डाउन कंचनजंगा एक्सप्रेस को चांचल महकमा के सामसी स्टेशन पर रोक दिया गया, जबकि न्यू जलपाईगुड़ी जाने वाली अप कंचनजंगा एक्सप्रेस को मालदा स्टेशन पर घंटों खड़ा रहना पड़ा. इसके अलावा एकलाखी स्टेशन पर कटिहार पैसेंजर, बालुरघाट डीएमयू एवं एक मालगाड़ी को रोक दिया गया. इसके अलावा और भी कई अन्य ट्रेनों की आवाजाही प्रभावित हुई.

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