कोलकाता : पश्चिम बंगाल में हजारों आयुष चिकित्सक मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं. करीब 12882 चिकित्सक ऐसे हैं, जिनके पास कोई डिग्री नहीं है. इसके बावजूद इनके खिलाफ स्थानीय प्रशासन या स्वास्थ्य विभाग द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. आयुष मंत्रालय ने ऐसे चिकित्सकों को नॉट क्वालिफाइड रजिस्टर्ड डॉक्टर्स की श्रेणी में रखा है.
आयुष मंत्रालय ने ही ऐसे चिकित्सकों की एक सूची जारी की है. मंत्रालय के अनुसार, पहली जनवरी, 2017 तक राज्य में देसी चिकित्सा पद्धति से इलाज करनेवाले 12882 डॉक्टरों के पास कोई डिग्री नहीं थी. केवल अनुभव के आधार पर ये इलाज कर रहे हैं. मंत्रालय के सर्वे के अनुसार, सबसे अधिक झोलाछाप डॉक्टर होमियोपैथी में हैं. करीब 7969 डॉक्टर बिना डिग्री के होमियोपैथी प्रैक्टिस कर रहे हैं, जबकि डिग्रीधारी रजिस्टर्ड डॉक्टरों की संख्या 29209 है.
यूनानी में भी ऐसे झोला छाप डॉक्टर भरे पड़े हैं. 2017 तक राज्य में यूनानी प्रैक्टिस करनेवाले कुल हकीमों की संख्या 5172 थी. इनमें से करीब 4905 झोला छाप डॉक्टर हैं और मात्र 267 डॉक्टरों के पास वैध डिग्री है. आयुर्वेद में भी बैगर डिग्री देसी इलाज करनेवाले चिकित्सक शामिल हैं. हालांकि राज्य में ऐसे मात्र आठ वैद्य ही हैं. जबकि 3495 चिकित्सकों के पास वैध डिग्री है.
आयुर्वेद चिकित्सकों के अनुसार, बगैर डिग्री प्रैक्टिस करनेवाले पुश्तैनी वैद्य को ट्रेडिशनल हिलर्स या ट्रेडिशनल कम्युनिटी हेल्थकेयर प्रोवाइडर कहा जाता है. इन्हें क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया की ओर से वॉलेंटरी सर्टिफिकेट दिया जाता है. गौरतलब है कि पहले देश में डॉक्टर, वैद्य और हकीमों की शिक्षा और प्रशिक्षण के लिए कम शिक्षण संस्थान थे, लेकिन अब बड़ी संख्या में देसी मेडिसीन की शिक्षा देनेवाले संस्थान हैं. बावजूद इसके देसी दवाइयों के बारे में कम जानकारी रखनेवाले या बिना स्वीकृत योग्यता के मरीजों का इलाज कर रहे हैं और लाखों लोगों की जान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं.