कोलकाता : रसगुल्ले पर बंगाल और ओड़िशा के बीच जारी विवाद 2017 में एक तरह से थम गया था, जब बंगाल को इसके लिए जीआई टैग मिल गया था. हालांकि, अब ओड़िशा ने इस फैसले के खिलाफ आवाज उठायी है. ऐसे में ओड़िशा को अपना दावा साबित करने के लिए दो महीने का समय मिला है.
गाैरतलब है कि कई सालों से पश्चिम बंगाल और ओड़िशा के बीच इस बात की बहस जारी है कि आखिर रसगुल्ले का आविष्कारक कौन है? 2017 में पश्चिम बंगाल को इसके लिए जीआई टैग यानी भौगोलिक पहचान मिल गयी थी. हालांकि, ओड़िशा ने इस पर आपत्ति जतायी है. बंगाल को जीआई टैग दिए जाने की आपत्ति पर विचार करते हुए जीआई रजिस्ट्री ने ओड़िशा को दो महीने का समय दिया है कि वह रसगुल्ले के आविष्कार को लेकर अपने दावों को पुष्ट करने का सबूत दें.
अगर इन दो महीनों में ओड़िशा सबूत पेश नहीं कर पाता है तो यह याचिका खारिज हो जाएगी. रसगुल्ले को लेकर ओड़िशा स्मॉल इंडस्ट्रीज कॉर्पोरेशन (ओएसआईसी) और रीजनल डेवलपमेंट ट्रस्ट ने जनवरी 2018 में रसगुल्ले के लिए बंगाल को जीआई टैग दिये जाने के खिलाफ अपील की थी. अब इसी मांग के समर्थन में ओड़िशा को सबूत पेश करने को कहा गया है. उनसे यह भी पूछा गया है कि रसगुल्ला बनाने के लिए क्या-क्या इस्तेमाल होता है और उसे किस तापमान, कितनी नमी और किन पदार्थों की जरूरत होती है. इसके अलावा उनसे रसगुल्ला बनाने की विधि भी पूछी गयी है.