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कोलकाता : पूर्व पुलिस अधिकारियों की बात ना सुनें

वार्ता l पूर्व माओवादियों के साथ मुख्यमंत्री ने राज्य सचिवालय में की बैठक, कहा- मौजूदा अधिकारियों की ही बात सुनें व उनके बताये रास्ते में चलें जंगलमहल में शांति बरकरार रखने के लिए मांगी मदद नेटवर्क बढ़ाने में पुलिस की सहायता करें कोलकाता : जंगल महल में आत्मसर्मपण करनेवाले 355 माओवादियों को समाज की मुख्यधारा […]

वार्ता l पूर्व माओवादियों के साथ मुख्यमंत्री ने राज्य सचिवालय में की बैठक, कहा-

मौजूदा अधिकारियों की ही बात सुनें व उनके बताये रास्ते में चलें
जंगलमहल में शांति बरकरार रखने के लिए मांगी मदद
नेटवर्क बढ़ाने में पुलिस की
सहायता करें
कोलकाता : जंगल महल में आत्मसर्मपण करनेवाले 355 माओवादियों को समाज की मुख्यधारा में लाने का सरकार ने प्रयास किया. इनमें से कई को सिविक वालंटियर की नौकरी दी, जिन्हें मंगलवार को राज्य सचिवालय में बुलाया गया. उनसे बात करने के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, राज्य के मुख्य सचिव मलय दे, गृह सचिव अत्रि भट्टाचार्य, पुलिस महानिदेशक सुरजीत कर पुरकायस्थ के अलावा कई आला अधिकारी मौजूद थे. बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले जिन पुलिस अधिकारियों की बात सुनकर आप काम करते थे अब वे लोग पुराने हो गए हैं. अब उनकी बात सुनने की कोई जरूरत नहीं है. आप सभी मौजूदा अधिकारी की ही बात सुनें.
कुछ लोग झारखंड से आदमी बुलाकर यहां हंगामा करना चाहते हैं. वे झारखंड की तरह पश्चिम बंगाल के जंगल महल को भी अशांत करना चाहते हैं. ऐसे लोगों ने दूर रहना चाहिए. मुख्यमंत्री ने पूर्व माओवादियों से जंगल महल में कानून व्यवस्था बरकरार रखने के लिए हर तरह का सहयोग देने की बात कही.
उन्होंने कहा कि हमें अपना नेटवर्क और बढ़ाने की जरूरत है. इस काम में आप सभी पुलिस से संर्पक रखें. बैठक में पश्चिम मेदिनापुर, बांकुड़ा, झारखंड और पुरुलिया के पूर्व माओवादी शामिल थे.
मुख्यमंत्री ने इनकी समस्याएं सुनी और जंगल महल के लिए विभिन्न परियोजनाओं का जिक्र किया. कहा कि जिन लोगों के खिलाफ कोई मामला नहीं है उनके लिए जल्द ही नौकरी की व्यवस्था की जायेगी.
सूत्रों के अनुसार, बैठक में शामिल लोगों को राज्य सरकार से आर्थिक मदद मिली है. कई को स्पेशल होमगार्ड के रूप में नियुक्त किया गया है. कानूनी कारणों से जिनकी नौकरी रुकी हुई है, उनके लिए जल्द ही व्यवस्था करेगी सरकार.
बैठक की वजह
बता दें कि बैठक में शामिल लोग माओवादी आंदोलन छोड़कर भारती घोष का हाथ पकड़ समाज की मुख्यधारा में शामिल हुए थे. ये लोग आज भी भारती घोष के वफादार माने जाते हैंं. विभिन्न सूत्रों से यह बात मुख्यमंत्री के पास पहुंची. क्योंकि पुलिस की किसी कार्रवाई से पहले भारती घोष तक खबर पहुंच जा रही थी. इसलिए मुख्यमंत्री ने इनके साथ बैठक की.

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