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विवाह योग्य बताये गये सभी वर निकले शादीशुदा

बेटी के लिए वर की तलाश में गया था मैट्रिमोनियल एजेंसी के पास मैट्रिमोनियल एजेंसी पर धोखाधड़ी का आरोप ‘अच्छे दूल्हे’ का सुझाव न देने पर मैट्रिमोनियल एजेंसी को थमाया कानूनी नोटिस कोलकाता. कोलकाता में एक शख्स ने एक मैट्रिमोनियल एजेंसी को अदालती नोटिस भेजकर मुआवजे की मांग की है. नोटिस भेजनेवाले शख्स ने एजेंसी […]

बेटी के लिए वर की तलाश में गया था मैट्रिमोनियल एजेंसी के पास
मैट्रिमोनियल एजेंसी पर धोखाधड़ी का आरोप
‘अच्छे दूल्हे’ का सुझाव न देने पर मैट्रिमोनियल एजेंसी को थमाया कानूनी नोटिस
कोलकाता. कोलकाता में एक शख्स ने एक मैट्रिमोनियल एजेंसी को अदालती नोटिस भेजकर मुआवजे की मांग की है. नोटिस भेजनेवाले शख्स ने एजेंसी पर आरोप लगाया है कि उसने पैसे लेने के बावजूद उनकी बेटी के लिए उपयुक्त दूल्हों के बारे में सही जानकारी नहीं दी.
कोलकाता के रानीकुट्टी मोहल्ले में रहनेवाले एक शख्स ने एक मैट्रिमोनियल एजेंसी में अपनी बेटी के लिए दूल्हे की तलाश में रजिस्ट्रेशन कराया था. इसके लिए उन्होंने एजेंसी को 2000 रुपये का भुगतान भी किया. इसके कुछ दिन बाद मैट्रिमनियल एजेंसी के लोगों ने उन्हें कुछ लड़कों की डिटेल्स भेजी. जब उन्होंने अपनी बेटी की शादी के लिए मिली डिटेल्स वाले पतों पर संपर्क किया, तो पता चला कि एजेंसी द्वारा बताये गये सभी लड़कों की शादी पहले ही हो चुकी है.
मानसिक प्रताड़ना का आरोप
इससे नाराज इस शख्स ने एजेंसी को कानूनी नोटिस भेजते हुए उस पर मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का आरोप लगाया. कोर्ट में दायर अपील में शख्स ने कहा कि क्या मैट्रिमोनियल एजेंसी मेरी बेटी की भावना के साथ इस तरह से खिलवाड़ कर सकती है? साथ ही उन्होंने इस नोटिस में एजेंसी से रजिस्ट्रेशन फीस के रूप में लिये गये 2000 रुपये वापस देने की भी मांग की. रजिस्ट्रेशन फीस के अलावा उन्होंने कोर्ट से कहा कि उन्हें एजेंसी से मुआवजे के रूप में 10 हजार और कोर्ट की कार्रवाई के शुल्क में 5 हजार रुपये का भुगतान भी कराया जाये.
कोर्ट ने खारिज की याचिका
इस पूरे विवाद पर संबंधित एजेंसी के अधिकारियों ने कहा कि नोटिस भेजनेवाले शख्स ने अपनी बेटी की शादी के लिए दूल्हे की तलाश में रजिस्ट्रेशन कराया था और उन्हें कुछ दूल्हों के सुझाव भी दिए गये थे.
एजेंसी ने कहा कि जब उन्होंने इन सभी प्रस्तावों को खारिज किया तो हमने कुछ और योग्य लड़कों की लिस्ट भेजने की बात कही, लेकिन वह इसे न मानकर हमसे मुआवजे की मांग करने लगे. कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि एजेंसी ने याचिकाकर्ता को और विकल्प देने की सहमति दी थी लेकिन उसने इसे ऐच्छिक रूप से अस्वीकार कर दिया. साथ ही एजेंसी ने फीस लेने के वक्त ही इसे नॉन-रिफंडेबल बता दिया था, ऐसे में मुआवजा मांगने का कोई आधार नहीं बनता.

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