कोलकाता. कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के प्रारंभिक शोध में यह पता चला है कि भारत में बड़े स्तर पर मौजूद मच्छर एनोफिलिस स्टेफेंसी का जेनेटिक्स बदलकर प्लासमोडियम फैल्सिपैरम नाम के पैरासाइट को रोका जा सकता है, जिसे मच्छर फैलाते हैं. टाटा ट्रस्ट ने इस शोध को आधार बनाकर भारत को मलेरिया से मुक्ति दिलाने का बीड़ा उठाया है.
टाटा समूह के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार सामाजिक सरोकारों पर काम करने वाली टाटा समूह की संस्था इस उद्देश्य से एक बड़ा प्रॉजेक्ट शुरू करने जा रही है. प्रोजेक्ट सफल हुआ तो मच्छर जनित इस रोग का जड़ से उन्मूलन संभव हो जायेगा. नयी जीन एडिटिंग तकनीक का प्रयोग कर मलेरिया फैलाने वाले मच्छरों का डीएनए ही बदल दिया जायेगा.
इसके लिए टाटा ट्रस्ट अमेरिका के कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के साथ मिलकर काम कर रहा है. वहां टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ जेनेटिक्स एंड सोसाइटी की स्थापना की गयी है. भारत में भी इस तरह के इंस्टीट्यूट की स्थापना की जानी है. वहीं, बेंगलुरु में इंस्टीट्यूट ऑफ स्टेम सेल बायोलॉजी एंड रिजेनरेटिव मेडिसिन (इनस्टेम) भी स्थापित किया जायेगा. इस पर अगले पांच वर्षों में 7 करोड़ डॉलर (करीब 458 करोड़ रुपये) का निवेश किया जायेगा. इस समय पूरे पश्चिम बंगाल में मच्छरजनित रोगों से लोग आतंकित हैं.