अंतिम बार दिसंबर 2013 में विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह हुआ था, जिसमें तत्कालीन चांसलर-सह-प्रधानमंत्री मनमाेहन सिंह ने बंगाल के राज्यपाल को अपना प्रतिनिधि अधिकृत किया था.
इस विश्वविद्यालय के करीब 15 हजार स्नातकों और स्नातकोत्तरों को डिग्री दी जानी है. दीक्षांत समारोह न होने पाने की स्थिति में विश्वविद्यालय ने पिछले महीने से छात्रों को डिग्री देनी शुरू कर दी है. विश्वविद्यालय के 66 साल के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है, जब बिना दीक्षांत समारोह के छात्रों को डिग्रियां दी जा रही हैं.