यहां पर तकरीबन आधा घंटे वह मठ के सचिव और अध्यक्ष के साथ बिताये. स्वामी विवेकानंद के मंदिर और रामकृष्ण परमहंस मंदिर के अलावा मां दुर्गा के मंदिर में दर्शन करने के बाद वह अपने अगले सफर पर निकल पड़े. इस दौरान मठ के सचिव और अध्यक्ष के साथ क्या बातचीत हुई, इसका किसी ने कोई खुलासा नहीं किया. बार- बार पत्रकारों के पूछने के बावजूद उन्होंने किसी भी तरह के राजनीतिक सवाल का जवाब नहीं दिया. अलबत्ता इतना जरूर कहे कि आदमी अपनी जिंदगी में जब कोई बड़ा फैसला लेने जाता है, तो अपने गुरुदेव का आशीर्वाद जरूर लेता है. वही करने मैं यहां आया हूं, ताकि जब मैं फैसला लूं, तो गुरु का आशीर्वाद और मां की शक्ति मेरी ताकत बने.
यहां आने पर मैं अपने गुरु और मां से मांगा कि मेरी मानसिक शक्ति बरकरार रहे और मैं अपने लिए गये निर्णय में सफल रहूं. रहा सवाल राजनीतिक बात का, तो उसका खुलासा मैं खुद पूजा के बाद करूंगा. एक बार फिर तृणमूल कांग्रेस के महासचिव पार्थ चटर्जी को बच्चा करार देते हुए उन्होंने कहा कि वह बच्चा है बच्चा ही रहेगा. इसके बाद पूजा पंडाल के लिए मिले निमंत्रण को पूरा करने वह निकल गये. उनके करीबियों के मुताबिक पूजा का पूरा वक्त मुकुल अपने घर कांचरापाड़ा में मनायेंगे. इस दौरान वह किसी भी तरह की राजनीतिक गतिविधि में हिस्सा नहीं लेंगे.