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बाल उत्पीड़न के प्रति बच्चों को जागरूक करने के लिए शिक्षा विभाग की विशेष पहल

अगले शैक्षणिक सत्र से छठवीं और सातवीं की पाठ्य-पुस्तकों में जोड़ा जायेगा पोक्सो कोलकाता : पूरे देश में बच्चों के साथ याैन उत्पीड़न की घटनाएं बढ़ रही हैं. हाल ही में स्कूलों में भी बच्चों के साथ इस तरह के मामले सामने आये हैं. इसे रोकने के लिए राज्य के स्कूल शिक्षा विभाग की ओर […]

अगले शैक्षणिक सत्र से छठवीं और सातवीं की पाठ्य-पुस्तकों में जोड़ा जायेगा पोक्सो

कोलकाता : पूरे देश में बच्चों के साथ याैन उत्पीड़न की घटनाएं बढ़ रही हैं. हाल ही में स्कूलों में भी बच्चों के साथ इस तरह के मामले सामने आये हैं. इसे रोकने के लिए राज्य के स्कूल शिक्षा विभाग की ओर से एक विशेष पहल की गयी है.

जनवरी, 2020 से शुरू होने वाले शैक्षणिक सत्र से छठवीं और सातवीं कक्षा की पाठ्य-पुस्तकों में पोक्सो (प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रोम सेक्सुअल ऑफेन्सेस) को जोड़ा जायेगा. सिलेबस कमेटी द्वारा इसकी पूरी तैयारी कर ली गयी है. इस विषय में वेस्ट बंगाल कमिशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स की अध्यक्ष अनन्या चकवर्ती ने बताया कि बाल्यावस्था में ही बच्चों को जागरूक करना बहुत जरूरी है.

बच्चों को गुड टच व बैड टच का आभास होना चाहिए. यह उनके अधिकारों की बात है. उनके पाठ्यक्रम में उनसे जुड़े मसले जोड़े जायेंगे. छठवीं और सातवीं की पाठ्य-पुस्तकों में इस तरह के विषय रखे गये हैं. इसके लिए सिलेबस कमेटी व वेस्ट बंगाल कमिशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स से परामर्श लेकर ही सिलेबस तैयार किया गया है. पुस्तकें तैयार हो चुकी हैं.

जनवरी 2020 से बायोलॉजी की किताब में पोक्सो को रखा गया है. इससे न केवल बच्चों को उनके अधिकारों का ज्ञान होगा बल्कि अभिभावकों में भी जागरूकता बढ़ेगी. सिलेबस कमेटी के सदस्य सपन मंडल ने बताया कि विदेशों के स्कूल पहले से ही इसके प्रति जागरूक हैं. अब बंगाल में इसके शुरू होने से छात्र जागरूक होंगे.

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