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बहुत कम समय में सोनू अग्रवाल ने तय किया है फर्श से अर्श तक का सफर, कई आईपीएस अधिकारियों का मिला है संरक्षण

आसनसोल / दुर्गापुर : अति वामपंथी संगठनों के फंडिंग के मामले की जांच में जुटी नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी (एनआइए) ने बहुत ही कम समय में फर्श से अर्श तक पहुंचनेवाले ट्रांसपोर्टर व उद्योगपति सोनू अग्रवाल की गतिविधियों को खंगालना शुरू कर दिया है. उसके आवासीय तथा उद्योगों में की गई छापेमारी के दौरान जब्त डायरी […]

आसनसोल / दुर्गापुर : अति वामपंथी संगठनों के फंडिंग के मामले की जांच में जुटी नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी (एनआइए) ने बहुत ही कम समय में फर्श से अर्श तक पहुंचनेवाले ट्रांसपोर्टर व उद्योगपति सोनू अग्रवाल की गतिविधियों को खंगालना शुरू कर दिया है. उसके आवासीय तथा उद्योगों में की गई छापेमारी के दौरान जब्त डायरी तथा हार्ड डिस्क से जो जानकारियां मिल रही है, उससे स्पष्ट है कि झारखंड तथा अन्य राज्यों के कई वरीय आइपीएस अफसरों से उसके काफी बेहतर संबंध है.
उसने अपने सहयोगियों के माध्यम से इन अधिकारियों की दो नंबर की कमाई उद्योगों के साथ-साथ जमीन खरीदारी में भी निवेश किया है. पश्चिम बंगाल तथा झारखंड में बड़े पैमाने पर जमीन की खरीदारी के तथ्य सामने आ रहे हैं.
सनद रहे कि एलडब्ल्यूइ टेरर फंडिंग मामले में एनआईए ने रांची, हजारीबाग, जमशेदपुर तथा दुर्गापुर में एक साथ 15 स्थानों पर छापेमारी मंगलवार को की थी. पहले से दर्ज कांड संख्या आरसी-6/2018/एनआईए/डीएलआई से संबंधित अभियान था. आम्रपाली तथा मगध कोलफील्ड से कोयले की खरीदारी तथा ट्रांसपोर्टिंग से जुड़ी विभिन्न कंपनियों के प्रबंधकों के आवासों तथा कार्यालयों के साथ-साथ सोनू अग्रवाल के आवास में भी छापेमारी की गई थी.
छापेमारी में आम्रपाली तथा मगध एरिया कमेटी को दी गई राशि से संबंधित दस्तावेज, बैंक अकाउंट तथा फिकस्ड डिपोजिट से संबंधित विवरण, वेली राशि की कटौती, कम्प्यूटर, हार्डडिश, मोबाइल पोन, कंपनियों के एकाउंट्स दर्ज डायरियां, तृतीय प्रस्तुति कमेटी (टीपीसी) तथा पीपुल्स लिबरेशन फ्रँट ऑफ इंडिया (पीएलएफआई) के दी गई राशियों का विवरण, भारतीय मुद्रा में 68 लाख रूपये, दस हजार सिंगापुरी डालर, 1300 अमेरिकी डालर, तथा 86 हजार बंद हो चुके नोट जब्त किये गये थे.
मोबाइल में कई संदिग्ध की तसवीरें
बताया जाता रहा मंगलवार को हुई छापेमारी के दौरान एक कारोबारी के मोबाइल से जांच एजेंसी के अधिकारियों को कुछ संदिग्ध लोगों की तस्वीरें भी मिली है. जांच के बाद खुलासा होगा कि ये लोग कौन है.
सीढ़ी चढ़ने में आइपीएस ऑफिसर बने मददगार
मुख्यत: कोयला ट्रांसपोर्ट से हुई कमाई को रूग्न इस्पात उद्योगों में निवेश कर उद्योगपति बने सोनू अग्रवाल ने बहुत कम समय में उद्योग की बुलंदियों को छूने का जो अभियान शुरू किया था, उसमें झारखंड के कई वरीय आइपीएस अफसरों से उसके बेहतर संबंध काफी कारगर हुए. हाल के दिनों में एक वरिष्ठ आइपीएस से कुछ ज्यादा ही उसकी नजदीकियां बढ़ी हैं.
सूत्र बताते है कि सोनू को कोयले के कारोबार में इसी अफसर ने काफी मदद की है. उसके कहने पर इस अफसर ने हजारीबाग के कटकमसांडी में एक ट्रांसपोर्टर का काम बंद करा दिया था. हालांकि उस ट्रांसपोर्टर ने कई पुलिस अफसरों से संपर्क किया, लेकिन उसका काम चालू नहीं हुआ. जब उसने सोनू के पास दुर्गापुर जाकर समझौता किया तब उसका काम शुरू हुआ. इसी तरह विरोधियों के खिलाफ पुलिसिया जांच कराने में भी सोनू ने अपने प्रभाव का उपयोग किया.
यही वजह रही कि सोनू अग्रवाल को झारखंड पुलिस ने आधा दर्जन बॉ़डीगार्ड दे रखा है. जानकार बताते है कि अपने दुर्गापुर आवास के अलावा एक खास होटल में वह अफसरों के लिए विशेष पार्टी का भी आयोजन करता रहा है. जब पार्टी होती है, तो उस होटल को पूरा बुक कर लिया जाता है. किसी बाहरी की इंट्री नहीं होती. राज्य के पुलिस अफसर अंधेरे में झारखंड से दुर्गापुर पहुंचते हैं. यह अलग बात है कि धनबाद में सोनू का कोई कारोबार नहीं है. बावजूद इस जिले से दो-दो पुलिस बॉडीगार्ड का मिलना उसके प्रभाव को दर्शाता है.
सोनू ने धनबाद के एक-दो राजनेताओं से भी हाल में संबंध बनाये हैं. सूत्र बताते है कि कोयला के कारोबार में सोनू अपने लाभ के मुताबिक समय-समय पर पुलिस अफसरों को बदलता रहा है. प्रदेश के चर्चित रहे एक आइपीएस से पहले इसके मधुर संबंध थे, लेकिन इनके नहीं रहने के बाद इसने एक साल पहले एक वरिष्ठ पुलिस अफसर को अपना मददगार बना लिया है.
भूमि खरीदारी में राशि का निवेश
कोयला ट्रांसपोर्टरों के खिलाफ एनआइए जैसे-जैसे कर रही है नये-नये खुलासे हो रहे हैं. मंगलवार को छापेमारी को दौरान ट्रांसपोर्टरों के यहां से जमीन में पैसे निवेश किये जाने के कई दस्तावेज मिले हैं. इसमें पश्चिम बंगाल के साथ-साथ रांची के तुपुदाना और रातू में ट्रांसपोर्टर और कुछ सीसीएल के अफसरों द्वारा काली कमाई से बड़े प्लांट खरीदे गये हैं.
सूत्रों के मुताबिक इसी सिलसिले में बुधवार को एनआइए की टीम ने कारोबारी अशोक कुमार के रातू स्थित दफ्तर पर दबिश दी. बताया जा रहा है कि वह कोयले में डीओ लगाने के साथ ही ट्रांसपोर्टिंग के धंधे से भी जुड़ा है. साथ ही सीसीएल के एक अफसर के पैसे को रातू क्षेत्र में जमीन खरीद में भी निवेश किया है. सोनू अग्रवाल के अलावा विष्णु से भी इसके संबंध है.
सूत्रों के मुताबिक सोनू अग्रवाल कोयला के अलावा स्पंज आयरन सहित कई तरह के धंधा करता है. फिलहाल जांच एजेंसी को जो जानकारी हाथ लगी है, उससे आनेवाले समय में कई सफेदपोश लोगों की परेशानी बढ़ सकती है.
कोयले के काले खेल की बात पुरानी
जानकारों का कहना है कि कोयले के काले खेल से ही अकूत संपत्ति अर्जित की गई है. समय-समय पर इस मामले में शिकायत हुई लेकिन मामले में गंभीरता से कुछ नहीं किया गया. सिवाय कागजी घोड़ा दौड़ाने के. बड़कागांव (झारखंड) की विधायक निर्मला देवी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री गृहमंत्री राजनाथ सिंह को पत्र लिखकर इस बात की जानकारी 17 अप्रैल, 2015 को ही दी थी.
उन्होंने कहा था कि हजारीबाग और चतरा जिले की कोल परियोजनाओं से रोजाना करीब 2.5 लाख रुपये की वसूली हो रही है. तीन माह बाद दो जुलाई, 2015 को चतरा के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक ने महानिरीक्षक (आइजी) को एक रिपोर्ट भेजी थी. उसमें कहा था कि जांच में यह सामने आया है कि रघुराम रेड्डी आम्रपाली प्रोजेक्ट में ओबी हटाने का काम करते हैं. सीसीएल के कर्मचारियों और रघुराम रेड्डी टीपीसी का सहयोग लेते हैं.
रघुराम रेड्डी की टीपीसी के साथ बातचीत होती है लेकिन प्रोजेक्ट में उग्रवादियों द्वारा अवैध मासिक उगाही और उसके बंटवारे के संबंध में स्पष्ट साक्ष्य नहीं मिले हैं. सनद रहे कि श्री रेड्डी सोनू अग्रवाल के सहयोगी हैं. फिर तीन माह बाद 30 अक्तूबर, 2015 को आइजी (मुख्यालय) ने गृह विभाग के उपसचिव को एक रिपोर्ट सौंपी.
रिपोर्ट में इस बात का जिक्र था कि कांटा में लोडिंग के नाम पर डीओ होल्डर, ट्रांसपोर्टर, हाइवा से वसूली मजदूरों के नाम पर की जाती है, जो अवैध वसूली का भी जरिया है. यहां चल रही कमेटी को भंग कर नये सिरे से अनुमंडल पदाधिकारी के नेतृत्व में कमेटी गठित करने के लिए उपायुक्त ने अनुशंसा की है. मामले में आइजी ने भी अवैध वसूली और गलत तरीके से अधिक संपत्ति की जांच के लिए एसआइटी का गठन करने के लिए गृह विभाग से अनुरोध किया था.
इसके दो माह बाद फिर 21 दिसंबर, 2015 को राज्य के मुख्य सचिव, राजीव गौबा ने गृह विभाग को एक पत्र भेजा. उन्होंने कहा कि आम्रपाली और पिपरवार में लोकल सेल का परिचालन वहां की सेल कमेटी करती है. ये कमेटियां संचालन के नाम पर करोड़ों रुपये की उगाही करती है. कुछ सदस्यों ने कमेटी पर वर्चस्व बनाकर अवैध कमाई से अकूत संपत्ति बनायी है. इसमें कुछ लोगों के नाम भी शामिल थे. मुख्य सचिव ने गृह सचिव को निर्देश दिया था कि सभी प्रोजेक्ट में कार्यरत लोकल सेल संचालन कमेटी को भंग कर नयी कमेटी का गठन जल्द से जल्द किया जाये और आपराधिक सांठगांठ से वसूली करने वाले के ऊपर जांच के आधार पर कार्रवाई सुनिश्चित की जाये.
साथ ही कहा कि अगर जरूरत पड़े, तो एसआइटी के गठन का प्रस्ताव भी दें. लेकिन एसआइटी गठित नहीं हुई 20 फरवरी, 2016 को एसआइटी की अनुशंसा की गयी. गृह विभाग के तत्कालीन संयुक्त सचिव शेख जमुआर ने एसआइटी का गठन संबंधी पत्र जारी किया. एसआइटी का अध्यक्ष डीआइजी बोकारो को बनाया गया.
वहीं खनन विभाग के अपर समाहर्ता, वन विभाग के अपर समाहर्ता, वाणिज्य कर विभाग के अपर समाहर्ता, परिवहन विभाग के अपर समाहर्ता और अन्य विभाग के अपर समाहर्ता को सदस्य बनाया गया. लेकिन जांच आज तक नहीं हुई.

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