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राज्य मंत्रिमंडल में व्यापक फेरबदल, पार्थ से छिना उद्योग व वाणिज्य विभाग

कोलकाता: राज्य में विकास की गति और तेज करने की बात कह मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को अपने मंत्रिमंडल में व्यापक फेरबदल किया. नये चेहरे के रूप में शशि पांजा और विनय कृष्ण बर्मन को मंत्रिमंडल में जगह मिली, वहीं पार्थ चटर्जी से उद्योग व वाणिज्य विभाग छीन लिया गया है. वित्त मंत्री अमित […]

कोलकाता: राज्य में विकास की गति और तेज करने की बात कह मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को अपने मंत्रिमंडल में व्यापक फेरबदल किया. नये चेहरे के रूप में शशि पांजा और विनय कृष्ण बर्मन को मंत्रिमंडल में जगह मिली, वहीं पार्थ चटर्जी से उद्योग व वाणिज्य विभाग छीन लिया गया है. वित्त मंत्री अमित मित्र को उद्योग और वाणिज्य विभाग की अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंपी गयी है. राज्यपाल एमके नारायणन ने गुरुवार को राजभवन में नये मंत्रियों को शपथ दिलायी. शपथ ग्रहण समारोह के दौरान ममता ने मंत्रिमंडल में फेरबदल की घोषणा की.

उन्होंने कहा कि पार्थ चटर्जी के पास तीन-तीन विभाग थे, इसलिए उनके पास सभी विभागों के कार्यो को देखने का समय नहीं था. इसलिए उनसे कार्य का बोझ कम करने के लिए यह फैसला लिया गया है. पार्थ के पास आइटी व परिषदीय विभाग का जिम्मा बना रहेगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि उद्योग व वाणिज्य विभाग के समुचित विकास के लिए वित्त मंत्री अमित मित्र को अतिरिक्त जिम्मेदारी दी गयी है.

सुदर्शन घोष दस्तिदार के मंत्रिमंडल छोड़ने के प्रस्ताव को राज्य सरकार ने स्वीकार कर लिया है. उनके प्रभार वाले लोक निर्माण व पर्यावरण विभाग को अन्य मंत्रियों को सौंप दिया गया है. शंकर चक्रवर्ती को सहकारिता की जगह लोक निर्माण विभाग सौंपा गया है. पिछड़ी जाति विकास मामलों के मंत्री उपेन विश्वास को पर्यावरण विभाग का जिम्मा सौंपा गया है. वहीं, महिला व समाज कल्याण मंत्री सावित्री मित्र के पास अब सिर्फ समाज कल्याण विभाग रहेगा. महिला विकास विभाग की जिम्मेदारी गुरुवार को मंत्रिमंडल में शामिल डॉ शशि पांजा पर रहेगी. इसके अलावा शिशु विकास विभाग के मंत्री श्यामापद मुखर्जी से यह विभाग लेकर, इसे भी शशि पांजा को सौंपा गया है. श्यामापद मुखर्जी को फिलहाल कपड़ा विभाग का दायित्व दिया गया है. वन मंत्री हितेन बर्मन के इस्तीफा देने के बाद अब विनय कृष्ण बर्मन को वन विभाग का का दायित्व दिया गया है. नूरे आलम चौधरी से पशुपालन विभाग छीन लिया गया है. उन्हें योजना विभाग का दायित्व सौंपा गया है, जबकि पशुपालन विभाग का जिम्मा स्वपन देबनाथ संभालेंगे. कृषि राज्य मंत्री बेचाराम मन्ना को भूमि व भूमि सुधार विभाग का भी राज्य मंत्री बनाया गया है. रछपाल सिंह योजना विभाग की जगह सहकारिता विभाग संभालेंगे.

पार्थ पर गाज गिरने की थी आशंका
पिछले कुछ वक्त से राजनीतिक हलकों में इस बात की चर्चा थी कि मित्र पार्थ चटर्जी की जगह ले सकते हैं. समीक्षा बैठकों में विभाग के कामकाज पर ममता द्वारा असंतोष जताये जाने के बाद से ऐसी अटकलें लगायी जा रही थीं. सियासी हलकों में ऐसा माना जा रहा है कि ‘फिक्की’ के महासचिव के तौर पर अमित मित्र के कार्यकाल के दौरान बड़े औद्योगिक घरानों के प्रमुखों से उनकी नजदीकी की वजह से उन्हें चटर्जी की जगह उद्योग मंत्री बनाया गया है.

यूं तो कहा जा रहा है कि चटर्जी के कंधों से ‘बोझ कम करने की खातिर’ उन्हें उद्योग मंत्री पद से हटाया गया है पर 12 मंत्रियों के बीच यह फेरबदल ऐसे समय में हुआ है जब पिछले हफ्ते ही ममता ने अपनी अध्यक्षता में की गयी एक बैठक में काम ठीक से न करने और धन का इस्तेमाल करने में नाकाम रहने पर कई मंत्रियों की खिंचाई की थी. मंत्रिमंडल में हुए फेरबदल से पहले पश्चिम बंगाल में बड़े स्तर के निवेश में नाकामी पर तृणमूल कांग्रेस महासचिव पार्थ चटर्जी को आलोचना का भी शिकार होना पड़ रहा था. खुद को किनारे लगाये जाने से साफ तौर पर निराश लग रहे चटर्जी ने कहा, ‘मेरे कार्यकाल में क्या काम किया गया, इसका फैसला बंगाल के लोग करेंगे. उद्योगों के विकास की खातिर मुख्यमंत्री ने जो फैसला किया है वह सही है.’ उद्योग मंत्री पद से हटाये जाने के कुछ ही घंटों बाद चटर्जी ने कहा कि वह पहले ही मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर बुरी स्थिति में पहुंच चुके हल्दिया पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड बोर्ड के अध्यक्ष पद से इस्तीफे की इजाजत मांग चुके हैं.

फेरबदल का ऐलान करते हुए ममता ने कहा, ‘पार्थ चटर्जी के पास कई विभाग थे और महासचिव के तौर पर उन्हें पार्टी का कामकाज भी देखना है. वह काफी दबाव में थे. ऐसे में उनका बोझ कम करने के लिए फैसला किया गया है कि वित्त मंत्री अमित मित्र राज्य के उद्योग एवं वाणिज्य विभाग का कामकाज देखेंगे.’ उधर, उत्तर बंगाल के कूचबिहार के माथा भांगा सीट से विधायक विनय कृष्ण बर्मन ने वन मंत्री रहे हितेन बर्मन की जगह ली है. हितेन ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए पद छोड़ा है. हालांकि, राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि संतोषजनक काम न करने पर ही उन्हें भी पद से हटाया गया है.

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