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टाटा के बयान पर तृणमूल में उबाल, मंत्रियों ने ललकारा

टाटा संस के मानद चेयरमैन रतन टाटा द्वारा पश्चिम बंगाल में औद्योगिक विकास के संकेत नहीं मिलने संबंधी बयान पर बवाल मच गया है. सत्तापक्ष तृणमूल कांग्रेस ने इस बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. राज्य के वित्त मंत्री अमित मित्र ने रतन टाटा के ‘मतिभ्रम’ होने की बात कही है, दूसरी ओर शहरी […]

टाटा संस के मानद चेयरमैन रतन टाटा द्वारा पश्चिम बंगाल में औद्योगिक विकास के संकेत नहीं मिलने संबंधी बयान पर बवाल मच गया है. सत्तापक्ष तृणमूल कांग्रेस ने इस बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है.

राज्य के वित्त मंत्री अमित मित्र ने रतन टाटा के ‘मतिभ्रम’ होने की बात कही है, दूसरी ओर शहरी विकास मंत्री फिरहाद हकीम ने टाटा को राजनीति के मैदान में उतरने तक की चुनौती दे दी है. उधर, रतन टाटा ने भी पलटवार करते हुए कहा है कि पश्चिम बंगाल के मंत्रियों का गुस्सा बेवजह है, क्योंकि जो उन्होंने देखा, उसे ही कहा है. अगर वे राज्य में औद्यागिक विकास संबंधी सबूत दें तो ठीक है, अगर नहीं, तो यह समझना ज्यादा बेहतर होगा कि सत्तापक्ष के मंत्री बहुत ज्यादा कल्पनाशील हैं.

राजनीति के मैदान में आयें टाटा : फिरहाद
कोलकाता. राज्य के शहरी विकास मंत्री फिरहाद हकीम ने टाटा संस के मानद चेयरमैन रतन टाटा के राज्य में औद्योगिक विकास नहीं होने संबंधी बयान के खिलाफ मुंह खोला है. उन्होंने कहा है कि रतन टाटा का ‘दिमाग खराब’ हो गया है. बंगाल में हुई उन्नति उन्हें नहीं दिख रही है. श्री हकीम ने कहा : बंगाल का विकास कुछ लोगों को नजर नहीं आता. उनका बंगाल के प्रति न जाने क्या गुस्सा है. उन्होंने कहा कि रतन टाटा का बयान राजनीति से प्रेरित है. मंत्री ने रतन टाटा को राजनीति में भी जोर आजमाइश करने की चुनौती दी. श्री हकीम ने कहा : टाटा को राजारहाट में भी विकास नहीं दिखा, जबकि एक अंधा भी वहां की विकासशील परियोजनाओं को देख सकता है. रतन टाटा के हाथ से ग्रुप का चेयरमैन पद चला गया है, इसलिए उनका दिमाग खराब हो गया है. रतन टाटा ने जो बयान दिया है, उससे साबित होता है कि उनका बंगाल से कोई लगाव नहीं था. उन्हें बंगाल का विकास अच्छा नहीं लग रहा है.

टाटा को हो गया है मतिभ्रम : वित्त मंत्री
कोलकाता: टाटा संस के मानद चेयरमैन रतन टाटा के बयान के 24 घंटे बीतने से पहले ही राज्य के वित्त मंत्री अमित मित्र ने उन्हें आड़े हाथों लिया है. श्री मित्र ने कहा कि रतन टाटा को ‘मतिभ्रम’ हो गया है. उनकी हवा में उड़ने की आदत अब भी नहीं गयी है. वित्त मंत्री ने कहा कि वह इस बात से हैरान हैं कि उनकी कंपनी के अधिकारियों ने उन्हें यहां की वर्तमान परिस्थिति से अवगत नहीं कराया है. यहां तक कि उन्हें उनकी खुद की कंपनियों के भी विस्तार के बारे में पता नहीं है. गौरतलब है कि बुधवार को रतन टाटा यहां आइसीसी के लेडीज स्टडीज ग्रुप की ओर से आयोजित परिचर्चा में हिस्सा लेने यहां पहुंचे थे. उन्होंने कहा था कि बंगाल में औद्योगिक विकास के नाम पर कुछ नहीं हो रहा. यहां उद्योग के विकास की धारा थम-सी गयी है. यहां नयी बिल्डिंगें तो दिख रही हैं, लेकिन उद्योग नहीं. सिंगूर में टाटा के नैनो कारखाना की स्थापना को लेकर हुए विवाद के कारण कंपनी को यहां से हटना पड़ा था.

वर्ष 2008 में कंपनी ने नैनो कारखाना के प्लांट को गुजरात के साणंद में स्थानांतरित कर दिया था. उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी थे. रतन टाटा ने अपने बयान में कहा कि यहां की मुख्यमंत्री को गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से सीख लेनी चाहिए. सिंगूर के नैनो कारखाना व नंदीग्राम आंदोलन को राजनीतिक हथियार बना कर तृणमूल कांग्रेस की सरकार सत्ता में आयी है, पार्टी ने लोगों की जमीन वापस करने का आश्वासन दिया था, लेकिन अब भी कानूनी विवाद के कारण जमीन जस की तस पड़ी हुई है.

वहीं, वित्त मंत्री अमित मित्र ने दावा किया कि टाटा ग्रुप की दो कंपनियां टाटा कंसलटेंसी व टाटा मेटालिक्स दोनों की यहां अपने कारोबार का विस्तार करने की योजना है. अगर वह बंगाल में आये निवेश के प्रस्ताव की जानकारी देने लगें, तो इसमें पूरा दिन निकल जायेगा. अपने कोलकाता दौरे के समय टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा ने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘कर्मठ’ हैं. उनका पिछला रिकार्ड भी यही दर्शाता है, जिसका उदाहरण गुजरात है. किसी को भी जाकर वहां यह देखना चाहिए कि किस प्रकार से गुजरात में विकास कार्य हुए हैं.

इस पर वित्त मंत्री अमित मित्र ने कहा कि टीसीएस ने यहां की जमीन पर नया कैंपस बनाने की योजना बनायी है, जहां 20 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा. इसी प्रकार, अनिल अंबानी की अगुवाई वाले रिलायंस समूह व इमामी ग्रुप ने यहां सीमेंट प्लांट लगाने की योजना बनायी है. उन्होंने दावा किया कि रतन टाटा द्वारा दिया गया बयान पूरी तरह गलत है.

बेवजह है वित्त मंत्री का गुस्सा : टाटा
कोलकाता. प्रमुख उद्योगपति रतन टाटा ने अपने बारे में की गयी पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्र की टिप्पणियों पर पलटवार करते हुए कहा कि उनका गुस्सा अनावश्यक है.राज्य में औद्योगिकीकरण की कमी के बारे में रतन टाटा की टिप्पणी पर मित्र ने कहा था कि लगता है कि टाटा ‘मतिभम्र’ हो गये हैं. टाटा ने कहा कि उन्होंने पश्चिम बंगाल में औद्योगिक विकास के बारे में कभी बात नहीं की, बल्कि हवाई अड्डे से राजारहाट होकर शहर में आने की अपनी यात्र के दौरान जो कुछ देखा, उसके आधार पर ही कल कुछ टिप्पणियां की थी. टाटा ने ट्विटर पर लिखा : कल की मेरी टिप्पणियां हवाई अड्डे से राजारहाट होकर मौर्या तक की यात्र से संबद्ध थीं. मैंने बहुत-सा आवासीय व वाणिज्यिक विकास देखा, लेकिन मुङो औद्योगिक विकास नजर नहीं आया. उन्होंने कहा : मैंने राज्य के औद्योगिक विकास के बारे में कोई टिप्पणी नहीं की, इसलिए मित्र की टिप्पणियां हैरान करनेवाली हैं.
मंत्री की टिप्पणियों पर नाराजगी दिखाते हुए टाटा ने कहा : मित्र को शायद लगता है कि ‘मेरा दिमाग गड़बड़ा गया है. मुङो खुशी होगी अगर वे मुङो बता सकें कि राजारहाट से गुजरते हुए मैं किस औद्योगिक गतिविधि को नहीं देख सका. अगर वे ऐसा नहीं कर पाते हैं तो मुङो यही निष्कर्ष निकालना पड़ेगा कि वे बहुत कल्पनाशील हैं. इससे पहले, भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआइआइ) द्वारा यहां आयोजित एक कार्यक्रम में मित्र ने कहा : टाटा अब बूढ़े हो चुके हैं और भ्रम से ग्रस्त हो गये हैं. मै नहीं जानता कि वह जो कुछ हो रहा है, उसे क्यों नहीं समझ पा रहे. टाटा संस के मानद अध्यक्ष रतन टाटा ने कल टिप्पणी की थी : पश्चिम बंगाल में औद्योगिक विकास के कोई संकेत नहीं नजर आ रहे हैं. टाटा ने यह टिप्पणी इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स के महिला अध्ययन समूह की बैठक में की थी.

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