कोलकाता: मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा अस्पतालों को भ्रष्टाचार मुक्त व मरीज मित्रवत बनाने की घोषणा के बावजूद अभी भी अस्पतालों में दलालराज कायम है. कोलकाता के बेहतर अस्पतालों में माने जाने वाला बांगुर इंस्टिटय़ूट ऑफ न्यूरो साइंस में दलालों का वर्चस्व आसानी से देखा जा सकता है तथा रोगियों को प्रतिदिन दलालों के चंगुल से होकर गुजरना पड़ता है.
बुधवार को एक बार फिर इसका प्रमाण देखने को मिला, जब एक पत्रकार अपने पिता का इलाज कराने अस्पताल पहुंचा. अस्पताल पहुंच कर आउटडोर में दिखाने के लिए जब टिकट कटाने वह पहुंचा, तो उस वक्त काउंटर के सामने लगभग 500 मरीजों व परिजनों की लंबी लाइन लगी थी. इन लाइनों के आसपास दलाल मंडराते नजर आये. उनमें से एक दलाल जो खुद को अस्पताल का सेवक बता रहा था. उसने उक्त पत्रकार को प्रस्ताव दिया कि आप उसकी मदद से जल्दी डॉक्टर से दिखा सकते हैं तथा बिना किसी लाइन के उन्हें टिकट भी मिल जायेगा.
इस बाबत उन्हें टिकट का शुल्क दो रुपये की जगह 20 रुपये का भुगतान करना होगा. उनके द्वारा इस पर राजी होने के बाद टिकट कटाने के बाद उसने दो रुपये की जगह 120 रुपये की मांग की तथा रुपये देने को लेकर आनाकानी करने पर जबरदस्ती पर उतर आया और उनके साथ मारपीट करने की धमकी दे डाली. अंतत: विवश होकर उन्हें दो रुपये के बदले 120 रुपये का भुगतान करना पड़ा. उक्त दलाल ने अन्य मरीज द्वारा रुपये का भुगतान नहीं करने पर टिकट तक फाड़ दी. बाद में प्रदेश कांग्रेस के सचिव प्रदीप प्रसाद के हस्तक्षेप से उक्त दलाल को अस्पताल परिसर में लोगों ने धर दबोचा तथा पुलिस को सौंप दिया.
श्री प्रसाद का कहना है कि अस्पताल में दूर-दूर से लोग इलाज के लिए आते हैं, उन्हें अस्पताल की पूरी जानकारी भी नहीं होती है. इसका फायदा ये दलाल उठाते हैं, लेकिन इनमें स्थानीय युवक बहुत ही कम है. ज्यादातर दलाल जिला व दूर इलाके से आते हैं. उन्होंने कहा कि अस्पतालों को दलाल से मुक्त करने के लिए पुलिस ने कार्रवाई की है, लेकिन पुलिस व अस्पताल प्रबंधन को और भी सक्रिय होने की जरूरत है, ताकि मरीजों को दलालों से भी मुक्ति मिल सके और आसानी से उनका इलाज भी हो सके.