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UP news : बच्चे एनसीआरटी की किताबों में बढ़ेंगे वाराणसी के बभनियाव पुरास्थल की कहानियां

विशेषज्ञों की मानें तो वर्ष 2020 के उत्खनन में एकमुखी शिवलिंग मिला था. इसके काल और विवरण की खोज करना भी 2022 की खुदाई का अहम कारण था.

लखनऊ. वाराणसी के उत्खनित बभनियाव पुरास्थल को एनसीआरटी के पाठ्यक्रम में शामिल किया जायेगा. फरवरी, 2022 को वाराणसी ज़िले की राजातालाब तहसील के बभनियांव में बीएचयू के प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्त्व विभाग के प्रो.ओ.एन.सिंह और डॉ.अशोक कुमार सिंह के निर्देशन में उत्खनन किया गया था. यह कार्य चार हज़ार वर्ष पुरानी सभ्यता की पुष्टि के लिये किया गया. विशेषज्ञों की मानें तो वर्ष 2020 के उत्खनन में एकमुखी शिवलिंग मिला था. इसके काल और विवरण की खोज करना भी 2022 की खुदाई का अहम कारण था.

आगे की कई खोजों को एक नयी दिशा मिलेगी

प्रो.ओ.एन.सिंह और डॉ.अशोक कुमार सिंह का मानना है कि यहां से प्राप्त हुए अभिलेख, सिक्के और मृद्भांड का संबंध इसी क्षेत्र से है या नहीं. कहीं ऐसा तो नहीं कि पुरातन वस्तुओं को कहीं और से लाकर स्थापित किया गया है. पुरातत्त्व की दृष्टि से बभनियांव को एक बड़ी घटना माना जा रहा है. माना जा रहा है कि बभनियाव पुरास्थल एनसीआरटी के पाठ्यक्रम में शामिल होने से आगे की कई खोजों को एक नयी दिशा मिलेगी.

खुदाई में मिला शिवलिंग किस कालखंड का अभी तक निर्धारण नहीं

गौरतलब है कि वर्ष 2020 में हुई खुदाई में 8वीं से 5वीं ईस्वी के बीच का एक मंदिर, चार हज़ार वर्ष पुराने मिट्टी के बर्तन तथा दो हज़ार वर्ष पुरानी दीवार मिली थी. इसके अलावा एकमुखी शिवलिंग भी मिला था लेकिन यह किस कालखंड का है इसका अभी तक निर्धारण नहीं हो सका है. यहां से प्राप्त अभिलेख का निर्माण ग्रामी (मुखिया) द्वारा किया गया. इसमें यह उल्लेख मिलता है कि यहां शिवलिंग की स्थापना कराई गयी थी.

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