।। हरीश तिवारी ।।
लखनऊ : कैराना लोकसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव में राष्ट्रीय लोकदल की तबस्मुम हसन ने जीत दर्ज की है. उन्होंने भाजपा की मृंगाका सिंह को 49 से ज्यादा वोटों से हराया है. वहीं नूरपुर में हुए विधानसभा के उपचुनाव में समाजवादी पार्टी के नईमुल हसन को जीत मिली है.
यहां पर भी भाजपा प्रत्याशी को हार का सामना करना पड़ा है। इस हार के बाद एक साल के दौरान योगी सरकार की यह दूसरी हार है. जिसमें भाजपा को लोकसभा की तीन और विधानसभा की एक सीट गंवानी पड़ी है.
28 मई को कैराना में हुए उपचुनाव में रालोद प्रत्याशी को 4 लाख 21 हजार 145 वोट मिले जबकि बीजेपी प्रत्याशी मृगांका सिंह 3 लाख 71 हजार 691 वोट मिले. इसमें तबस्सुम हसन ने बीजेपी प्रत्याशी को 49 से ज्यादा वोटों से हराया.
इस जीत के बाद हसन लोकसभा में एकमात्र मुस्लिम सांसद हो गयी हैं. इस जीत के बाद रालोद का लोकसभा में खाता खुल गया है और अभी तक अपने वजूद के लिए लड़ रहे रालोद के लिए यह किसी संजीवनी से कम नहीं है. लोकसभा चुनाव में रालोद का खाता तक नहीं खुला था और पार्टी अध्यक्ष अजित सिंह और उनके बेटे जयंत चौधरी भी चुनाव हार गए थे लोकसभा के 2014 के चुनाव के दौरान यूपी से किसी भी मुस्लिम उम्मीदवार को विजय नहीं मिली थी.
लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी की ओर से प्रदेश में सर्वाधिक 71 सांसदों को विजय मिली थी, जबकि कांग्रेस पार्टी को 2, सपा को को 5 और अपना दल को 2 सीटों पर विजय हासिल हुई थी. वहीं नूरपुर विधानसभा सीट पर सपा के नईमुल हसन को 94 हजार 476 वोट मिले हैं जबकि लोकेन्द्र सिंह की पत्नी और भाजपा प्रत्याशी अवनि सिंह को 88 हजार 205 वोट मिले.
सपा प्रत्याशी नईमुल हसन ने 6 हजार 271 वोटों से अवनि सिंह को मात दी. गोरखपुर और फूलपुर उपचुनाव में करारी हार झेलने के बाद बीजेपी एक बार फिर उपचुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा है. इस जीत के बाद विपक्षी गठजोड़ और भी मजबूत हुआ है. तो वहीं इस हार के बाद बीजेपी नेताओं के चेहरे पर हार साफ देखी जा सकती है.
वहीं चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद लखनऊ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि कैराना के चुनाव में देश को बांटने वाले लोगों की हार हुई है. अखिलेश यादव ने कहा कि दोनों ही क्षेत्रों में बीजेपी की हार देश को बांटने वाली राजनीति की हार है.
जनता ने सरकार के खिलाफ वोट दिया है और बढ़ रही महंगाई के कारण लोगों में गुस्सा है, जिसका असर चुनाव में भी दिखा है. वहीं कैराना सीट पर चुनाव प्रचार में शामिल ना होने के सवाल पर अखिलेश ने तंज कसते हुए कहा कि मैं यूपी के सीएम साहब से बहुत डरता हूं, इसलिए कैराना के चुनाव में प्रचार करने के लिए नहीं गया.