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मुस्लिमों के एक समूह ने राम मंदिर न्यास को लिखा पत्र, कहा- कब्रिस्तान की जमीन छोड़ दें

अयोध्या : सुप्रीम कोर्ट के एक वरिष्ठ अधिवक्ता ने अयोध्या में मुस्लिमों के एक समूह की ओर से राम मंदिर न्यास को पत्र लिखा है और कहा है कि ढहाई गई बाबरी मस्जिद के निकट की पांच एकड़ भूमि को ‘सनातन धर्म’ की खातिर छोड़ दिया जाए क्योंकि वहां पर एक कब्रिस्तान है. अधिवक्ता एम.आर. […]

अयोध्या : सुप्रीम कोर्ट के एक वरिष्ठ अधिवक्ता ने अयोध्या में मुस्लिमों के एक समूह की ओर से राम मंदिर न्यास को पत्र लिखा है और कहा है कि ढहाई गई बाबरी मस्जिद के निकट की पांच एकड़ भूमि को ‘सनातन धर्म’ की खातिर छोड़ दिया जाए क्योंकि वहां पर एक कब्रिस्तान है.

अधिवक्ता एम.आर. शमशाद ने पत्र में राम मंदिर जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के सभी 10 न्यासियों को संबोधित किया है. इसमें शमशाद ने कहा है कि मुस्लिमों के मुताबिक बाबरी मस्जिद वाले इलाके में ‘गंज शहीदान’ नाम का एक कब्रिस्तान है जहां अयोध्या में 1885 में हुए दंगों में जान गंवाने वाले 75 मुस्लिमों को दफनाया गया था. उन्होंने कहा कि फैजाबाद गजट में भी इसका जिक्र है.

अधिवक्ता ने कहा कि केंद्र सरकार ने भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए मुस्लिमों के कब्रिस्तान का इस्तेमाल नहीं करने के मुद्दे पर विचार नहीं किया। इससे ‘धर्म’ का उल्लंघन हुआ है. इसमें कहा गया कि सनातन धर्म के धर्मग्रंथों को ध्यान में रखते हुए आपको यह विचार करना होगा कि क्या राम मंदिर की बुनियाद मुस्लिमों की कब्रों पर रखी जा सकती है? अब यह फैसला न्यास के प्रबंधन को लेना है.

पत्र में कहा गया कि भगवान राम के प्रति पूरे सम्मान और विनम्रता के साथ मैं अनुरोध करता हूं कि ढहाई गयी मस्जिद के निकट की करीब चार से पांच एकड़ की उस जमीन का इस्तेमाल नहीं किया जाए जहां मुस्लिमों की कब्रें हैं.

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