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अखाड़ा परिषद : गठन की गणित उलझी, महंत रविंद्रपुरी, राजेंद्र दास और महंत हरिगिरि कर रहे जोड़तोड़

नवगठित अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने निर्मल अखाड़े की ओर से ज्ञानदेव के प्रतिनिधित्व को स्वीकार किया है तो वहीं दूसरी ओर परिषद अखाड़ा के महामंत्री रहे हरिगिरि महाराज ने भी महंत रेशम सिंह के सहारे प्रयागराज में होने वाली अखाड़ा परिषद की बैठक में सियासी पासा फेंक दिया है.

प्रयागराज. नवगठित अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के वैध-अवैध की खींचतान अभी जारी है. हरिद्वार के कनखल में 20 अक्टूबर को 13 अखाड़ों में से 7 ने नई अखाड़ा परिषद का गठन किया था. महंत रविंद्र पुरी महाराज को अध्यक्ष और महंत राजेंद्र दास महाराज को अखाड़ा परिषद का महामंत्री घोषित किया गया है. वहीं, महंत हरीगिरी ने नवगठित अखाड़ा परिषद को ही अवैध करार दे दिया था. अब जनपद में सोमवार को अखाड़ा परिषद की एक और बैठक होने जा रही है.

बता दें कि निर्मल अखाड़े के समर्थन से ही अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद का नवगठन हुआ है. नवगठित अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने निर्मल अखाड़े की ओर से ज्ञानदेव के प्रतिनिधित्व को स्वीकार किया है तो वहीं दूसरी ओर परिषद अखाड़ा के महामंत्री रहे हरिगिरि महाराज ने भी महंत रेशम सिंह के सहारे प्रयागराज में होने वाली अखाड़ा परिषद की बैठक में सियासी पासा फेंक दिया है.

अब सभी की निगाहें प्रयागराज में 25 अक्टूबर को होने वाली बैठक पर टिकी है. इस बीच नवगठित अखाड़ा परिषद और पूर्व अखाड़ा परिषद की ओर से एक-दूसरे के समर्थन वाले अखाड़ों को अपने पक्ष में लाने के लिए अपनी अपनी ताकत लगा दी है. बीते 20 अक्टूबर को हरिद्वार के कनखल स्थित महानिर्वाणी अखाड़े में महंत नरेंद्र गिरि की कथित मौत के बाद खाली हुए अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष पद को लेकर 13 अखाड़ों में से सात अखाड़ों ने बैठक कर महंत रवींद्र पुरी महाराज को अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद का अध्यक्ष और निर्मोही अनी अखाड़ा के महंत राजेंद्र दास महाराज को महामंत्री चुन लिया है.

इसके साथ ही पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के श्रीमहंत दामोदर दास महाराज को उपाध्यक्ष, श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के कोठारी महंत जसविंदर सिंह शास्त्री को कोषाध्यक्ष, श्रीपंच दिगंबर अनी अखाड़े के महंत राम किशोर दास महाराज को मंत्री, पंच निर्माणी अनी अखाड़े के महंत गौरीशंकर दास महाराज को प्रवक्ता, श्रीपंच निर्वाणी अनी अखाड़े के महंत धर्मदास महाराज व श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के महंत महेश्वर दास महाराज को संरक्षक बनाया गया है.

इसके बाद अचानक हुई इस बैठक के बाद नवगठित अखाड़ा परिषद के गठन को लेकर अखाड़ा परिषद में लंबे समय से महामंत्री पद पर रहे हरि गिरि महाराज ने इस गठन का विरोध करते हुए इसे असंवैधानिक और शून्य बता दिया था. साथी हरि गिरि महाराज ने कहा था कि अखाड़ा परिषद की बैठक अपने तय समय पर 25 अक्टूबर प्रयागराज में ही होगी. वहां आकर अपना बहुमत साबित करें. इसके जवाब में नवगठित अखाड़ा परिषद के महामंत्री राजेंद्र दास महाराज ने कहा था अब यही अखाड़ा परिषद है. सभी संतो को इसी मंच पर लाएंगे.

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इसके बाद महंत प्रेम सिंह महाराज ने 22 अक्टूबर को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए निर्मल अखाड़े के अध्यक्ष ज्ञान देव महाराज पर अखाड़ा परिषद में प्रतिनिधित्व को लेकर प्रश्नचिन्ह लगा दिया था, और रेशम महाराज की अगुवाई में प्रयागराज में होने वाली बैठक में शामिल होने की बात कही थी. जिसके बाद से अब निर्मल अखाड़े के वैध और अवैध सदस्यों को लेकर विवाद शुरू हो गया है.

महंत प्रेम सिंह के सवालों के जवाब में 23 अक्टूबर को हरिद्वार के कनखल स्थित श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल में निर्मल अखाड़ा अध्यक्ष महंत ज्ञानदेव सिंह महाराज ने संतो की बैठक कर प्रयागराज में 25 अक्टूबर होने वाली बैठक में सम्मिलित होने से इनकार कर दिया. महंत ज्ञानदेव सिंह ने कहा, निर्मल अखाड़ा नवनियुक्त अखाड़ा परिषद को अपना समर्थन दे चुका है. अब नव गठित अखाड़ा परिषद को तोड़ने के लिए कुछ लोग फर्जी तरीके से निर्मल अखाड़े के संबंध में अपने लाभ के लिए दुष्प्रचार कर रहे है और प्रयागराज में बैठक की बात कह रहे हैं.

महंत ज्ञानदेव महाराज ने प्रेम सिंह द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति पर सवाल खड़ा करते हुए पूछा है की, यदि रेशम सिंह निर्मल अखाड़े के अध्यक्ष है तो हाल ही में हरिद्वार में संपन्न हुए कुंभ मेले में वह कहां थे और अखाड़ा परिषद के पूर्व अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरि महाराज के ब्रह्मलीन हो जाने के बाद इन्हीं संतों ने निर्मल अखाड़े के सचिव देवेंद्र सिंह शास्त्री महाराज को कार्यवाहक अध्यक्ष का पदभार क्यों सौंपा. उन्होंने कहा कि समाज को गुमराह कर ऐसी बैठक का आयोजन करना सरासर संतों की मर्यादा के खिलाफ है. महंत ज्ञानदेव ने कहा असामाजिक तत्वों को संत के रूप में बैठक में शामिल किया जाना न्याय संगत नहीं है.

वहीं, इस संबंध में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी महाराज ने कहा कि कुछ संतों द्वारा निर्मल अखाड़े के दो फाड़ होने का भ्रम फैलाया जा रहा है. यह सरासर गलत है. निर्मल अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज ही हैं. इनके सानिध्य में हरिद्वार कुंभ मेले का भव्य रूप से आयोजन हुआ है और मुख्यमंत्री से लेकर प्रत्येक अधिकारी एवं उच्च अधिकारी को ज्ञात है कि निर्मल अखाड़े के कोठारी महंत जसविंदर सिंह महाराज और अध्यक्ष श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज हैं.

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी महाराज ने आगे कहा कि जो लोग स्वयं को निर्मल अखाड़े का महंत या पदाधिकारी बता रहे हैं उन पर पहले ही कनखल थाने में धोखाधड़ी के कई मामले दर्ज हैं. ऐसे लोगों का कार्य मात्र छल कपट से लोगों को भ्रमित करना है. उन्होंने कहा की अपने लाभ के लिए किसी भी अखाड़े को दूसरे अखाड़े के मामले में हस्तक्षेप और उसे बांटने का कार्य नहीं करना चाहिए. वैचारिक मतभेद किसी भी अखाड़े में हो सकते हैं.

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श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के कोठारी महंत जसविंदर सिंह महाराज ने कहा कि पूर्व में प्रेम सिंह भूरीवाले ने कुछ असामाजिक तत्वों के साथ अखाड़े की एक्कड़ कलां शाखा पर कब्जा करने का प्रयास किया था. मगर वे इसमें असफल रहे और उन्हें उल्टे पैर भागना पड़ा था. उन्होंने कहा ऐसे असामाजिक तत्वों को कतई स्वीकार नहीं किया जाएगा. निर्मल अखाड़ा ऐसे लोगों का पहले ही बहिष्कार कर चुका है. साथ ही, जो संत उनका साथ दे रहे हैं वह भी फर्जी तरीके से पद की लालसा में समाज को भ्रमित कर रहे हैं. अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की नई कार्यकारिणी का गठन हो चुका है.

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत राजेंद्र दास महाराज ने कहा अखाड़ा परिषद की नई कार्यकारिणी का गठन पूर्णरूप से वैध है. इस गठन के बाद से अखाड़ा परिषद के महत्वपूर्ण पदों पर लंबे समय से कब्जा जमाए कुछ संतों के अरमानों पर पानी फिर गया है. इसलिए वह बार-बार परिषद का विरोध कर रहे हैं लेकिन समस्त संत समाज और चारों संप्रदाय के समर्थन से ही नई अखाड़ा परिषद की नयी कार्यकारिणी का गठन किया गया है.

उन्होंने कहा कि सभी संत आपस में एक हैं. केवल विचारों का मतभेद है. किसी भी संत पर कोई दुविधा न आए इसके लिए अखाड़ा परिषद हमेशा तत्पर है और राष्ट्रीय एकता अखंडता बनाए रखने के लिए सभी को एक मंच पर लाने का कार्य करेगी. इधर अखाड़ा परिषद के पूर्व महामंत्री हरि गिरि महाराज द्वारा प्रयागराज में आहूत संतों की बैठक में क्या निर्णय होगा, इस पर असमंजस बना हुआ है. बहरहाल, प्रयागराज में 25 अक्टूब को होने वाली संतों की बैठक में घमासान की पूरी संभावना है.

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रिपोर्ट : एसके इलाहाबादी

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