लखनऊ : नोएडा में तीन विकास प्राधिकरणों के चीफ इंजीनियर रहे अरबपति यादव सिंह जाटव की राजनीतिक पहुंच काम ना आयी. सोमवार को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने उन्हें निलंबित करने का आदेश दे दिया. मुख्यमंत्री ने यह फैसला प्रदेश सरकार पर यादव सिंह को बचाने संबंधी लगे आरोपों के बाद लिया है. जिसके चलते भाजपा प्रवक्ता विजय पाठक ने मुख्यमंत्री के इस फैसले को दबाव में लिया निर्णय बताया है. वही सपा प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी कहते हैं कि आयकर विभाग की रिपोर्ट मिलते ही मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने यादव सिंह के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है.
सपा प्रवक्ता के इस तर्क से विपक्षी नेता सहमत नहीं है. वह कहते हैं कि गत 28 नवंबर को यादव सिंह के घर पर आयकर विभाग द्वारा मारे गए छापे में मिली करोड़ों रूपयों की संपत्ति के बाद ही यादव सिंह को निलंबित किया जाना चाहिए था, पर विभिन्न राजनीतिक दलों के बड़े नेताओं और देश के बड़े औद्योगिक घरानों से यादव सिंह की नजदीकी के चलते प्रदेश सरकार उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने से बच रही थी. ऐसे में जब प्रदेश के राज्यपाल और विपक्ष ने अखिलेश सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किए तो अखिलेश सरकार ने यादव सिंह की राजनीतिक पहुंच की अनदेखी करते हुए उन्हें निलंबित करने का आदेश दे दिया.
गौरतलब है कि गत 28 नवंबर को नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना विकास प्राधिकरण के चीफ इंजीनियर रहे यादव सिंह के नोएडा स्थिति आवास पर आयकर विभाग की टीम ने छापा मारा था. छापे की इस कार्रवाई में आयकर अधिकारियों को यादव सिंह के आवास से करोड़ों रुपये के हीरे और सोने चांदी के जेवरात आदि तो मिले थे.
चालीस ऐसी कंपनियों के दस्तावेज भी मिले थे, जिनके नाम से यादव सिंह ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण में प्लाट आंवटित कराकर करोडों रुपये कमाए थे. यादव सिंह की पत्नी कुसुमलता के नाम पर भी कई कंपनियां होने की जानकारी आयकर अफसरों को मिली थी. यही नहीं यादव सिंह के एक मित्र की कार से दस करोड़ रुपए नगद भी आयकर अधिकारियों को मिले थे. एक दर्जन से अधिक लाकर भी यादव सिंह और उनकी पत्नी के नाम पर आयकर अधिकारियों को मिले. जिनकी तलाशी अभी ली जा रही है. यादव सिंह के एक लाकर से आयकर अफसरों को के हाथ लगी, जिसमें उसके द्वारा नेताओं और अफसरों की दी गई मंहगी गिफ्ट का ब्यौरा था.
यादव सिंह की इस डायरी में और उसके घर से मिले दस्तावेजों से यादव सिंह के अरबपति होने के मिले तमाम सबूतों के बाद से अखिलेश सरकार के बड़े अधिकारी उसे बचाने में जुट गए. यह देख सुन प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने यादव सिंह के अरबपति होने पर सवाल खड़ा किया. उन्होंने कहा कि यादव सिंह ऐसे अधिकारी अचानक अरबपति कैसे बन जाते हैं और इनके आवास पर आयकर अधिकारियों द्वारा मारे गए छापे के बाद भी सरकार के स्तर से कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही. राज्यपाल ने यादव सिंह की बसपा प्रमुख मायावती के करीबी नेताओं से नजदीकी का जिक्र किए बिना अखिलेश सरकार पर यह निशाना साधा तो मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सफाई दी. उन्होंने कहा कि आयकर विभाग की रिपोर्ट मिलते ही सरकार कार्रवाई करेगी.
मुख्यमंत्री के इस वायदे के पांच दिन बीतने के बाद भी सरकार के स्तर से कोई कार्रवाई नहीं की गई. इस बीच पूर्व सांसद अमर सिंह ने यादव सिंह की सपा के कई प्रमुख नेताओं से निकटता का जिक्र करते हुए ब्लैक मनी पर अंकुश लगाने के लिए सुप्रीमकोर्ट के निर्देश पर बनायी गई एसआईटी को एक पत्र लिख दिया. सोमवार को जैसे ही मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को यह पता चला तो उन्होंने यादव सिंह को निलंबित करने का आदेश जारी कर दिया.
सीएम के इस फैसले के बाद अब यादव सिंह के खिलाफ विभागीय जांच के साथ ही सतर्कता जांच भी होगी. इस मामले में हुई सरकार की फजीहत को कम करने के लिए मुख्यमंत्री ने नोएडा प्राधिकरण में काम कर रहे उन सभी लोगों की लिस्ट मांगी है, जो भ्रष्टाचार करके सरकार की छवि खराब कर रहे हैं. अफसरों ने उनको ऐसे कई स्थानीय सपा नेताओं के भी नाम बताए, जो प्राधिकरण पर पार्टी की धौंस जमा रहे हैं. अब ऐसे लोगों के खिलाफ भी कार्रवाई होगी. दूसरी तरफ ईडी भी यादव सिंह की अरबों की संपत्ति का ब्यौरा जुटाने में लग गया है.