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Teachers’ Day 2020 : संकट में समाज, मिला शिक्षकों का साथ, कोरोना के विरुद्ध लड़ाई में आपका योगदान अतुलनीय

कोरोना के विरुद्ध चल रही लड़ाई में शिक्षकों की भूमिका को कोई भूल नहीं सकता. वर्तमान संकट में फंसे समाज की मदद में शिक्षक किसी से पीछे नहीं रहे

विपिन सिंह, पूजा सिंह, अभिषेक रॉय : कोरोना के विरुद्ध चल रही लड़ाई में शिक्षकों की भूमिका को कोई भूल नहीं सकता. वर्तमान संकट में फंसे समाज की मदद में शिक्षक किसी से पीछे नहीं रहे. सेवा के साथ शिक्षण काम में भी जुटे रहे. निजी स्कूलों की तरह ऑनलाइन शिक्षा देना संभव नहीं था, फिर भी हार नहीं मानी. यूट्यूब पर वीडियो बनाकर अपलोड किया. यहां तक कि कई शिक्षकों ने अपना यूट्यूब चैनल बना दिया, ताकि बच्चों की पढ़ाई न बाधित हो.

कई शिक्षकों ने बच्चों के मोबाइल में अपने पैसे से डाटा पैक डलवाया. इसके बावजूद भी बच्चों को परेशानी हुई, तो मोहल्ला-मोहल्ला जाकर पढ़ाने लगे. घर-घर जाकर मध्याह्न भोजन का चावल पहुंचाया. कोरेंटिन सेंटर से लेकर चेक नाका तक पर तैनात रहे. शिक्षक दिवस पर पेश आज की यह रिपोर्ट इन्हीं शिक्षकों को समर्पित है.

हैलो गणित! मोहल्ला क्लास में मैथ के डर को किया दूर : राजीव लोचन सिंह, जामा : राजीव लोचन सिंह मध्य विद्यालय फूलोपानी, जामा में शिक्षक हैं. कोरोना काल में बच्चों को पढ़ाने के लिए खुद का यूट्यूब चैनल तैयार कर लिया़ आज इसका लाभ कई विद्यार्थीओं को मिल रहा है. उन्होंने बताया कि कक्षा अनुसार सभी पाठ का वीडियो बना चुके हैं. इसे खुद के यूट्यूब चैनल हैलो गणित पर अपलोड कर रहे हैं. साथ ही प्रतिदिन स्कूल के बच्चों के मोबाइल पर भी शेयर कर रहे हैं. इसका फायदा दूसरे जिलों के शिक्षक भी उठा रहे हैं.

अभी तक चैनल पर 80 वीडियो शेयर कर चुके हैं. राजीव सिंह बताते हैं कि 15 मिनट का एक वीडियो बनाने में करीब दो घंटा लगता है. छठी से आठवीं कक्षा तक के बच्चों के लिए हिंदी और अंग्रेजी में गणित का वीडियो बना रहे हैं, वहीं 11वीं और 12वीं के बच्चों के लिए अंग्रेजी में वीडियो तैयार कर रहे हैं. इनकी यह पहल बच्चों को भी काफी पसंद आ रही है. गणित के प्रति डर और अरुचि को दूर करने में मदद मिल रही है. साथ ही वर्तमान में मोहल्ला क्लासेस भी करा रहे हैं. मोहल्ला में तीसरी से आठवीं के बच्चों को दो बैच में पढ़ा रहे हैं.

कोविड सेंटर से ही बच्चों के लिए चला रहे ऑनलाइन क्लास : संदीप कुमार सुमन, उत्क्रमित मवि हेहल : संदीप कुमार सुमन उत्क्रमित मध्य विद्यालय हेहल में पारा शिक्षक हैं. इन दिनों खेलगांव स्थित कोविड सेंटर के टॉवर थ्री में मजिस्ट्रेट के रूप में तैनात हैं. जुलाई से लगातार कोविड सेंटर में तैनात हैं. मरीजों की जरूरत, खान-पान, साफ-सफाई की व्यवस्था के प्रति हमेशा सजग. संदीप ने बताया कि शुरुआती दिनों में कोरोना का डर था़ अब कोविड सेंटर से ही विद्यार्थियों के लिए ऑनलाइन क्लास भी ले रहे हैं. बतौर मजिस्ट्रेट सुबह छह से दोपहर दो बजे तक ड्यूटी करते हैं.

इसके बाद बच्चाें की क्लास. संदीप सुमन कहते हैं : कई बार खेलगांव में नेटवर्क की समस्या होती है, बावजूद इसके नेटवर्क खोज बच्चों की पढ़ाई में मदद करते हैं. संदीप कहते हैं : सरकारी स्कूल के विद्यार्थियों के पास संसाधन की कमी है. गांव के ज्यादातर बच्चों के पास स्मार्टफोन नहीं था. ऐसे में विद्यार्थियों को जोड़े रखने के लिए वह हर दिन 25 किलोमीटर का सफर तय कर कांठीटांड जाते हैं.

अपनी जान जोखिम में डाल कोरेंटिन सेंटर में दे रहे सेवा : दीपक खलखो, राजकीय मध्य विद्यालय डकरा : राजकीय मध्य विद्यालय डकरा खलारी के शिक्षक दीपक खलखो एक महीने से खेलगांव के कोविड सेंटर में बतौर मजिस्ट्रेट सेवा दे रहे हैं. खेलगांव में जब शिक्षकों को नियुक्त करने के लिए चिन्हित किया जा रहा था, तब इन्होंने इस काम के लिए खुद पहल की़ दीपक की पत्नी उत्तर प्रदेश में नर्स हैं. श्री खलखो कोरोना काल में परिवार से दूर खलारी में अकेले थे़ वहीं पत्नी लगातार कोरोना पॉजिटिव मरीजों की सेवा में जुटी हुई थीं.

इसी प्रभावित होकर दीपक खलखो ने कोविड सेंटर में प्रतिनियुक्ति के लिए कदम बढ़ाया़ रोजाना खलारी से खेलगांव (करीब 70 किमी दूर) तक का सफर तय किया. फिर नामकुम में रहने की व्यवस्था की और आज भी नियमित सेवा में जुटे हुए हैं. वह कहते हैं कि इस विकट संकट के समय में समाज के लिए कुछ करने से खुशी मिल रही है.

यूट्यूब पर वीडियो अपलोड कर बच्चों को पढ़ा रहे संस्कृत : योगेश कुमार ओझा, कांके : उत्क्रमित उवि उरुगूटू कांके के प्रधानाध्यापक योगेश कुमार ओझा बच्चों को यूट्यूब से संस्कृत पढ़ा रहे हैं. वह कहते हैं कि जिस भाषा को आइआइटी जैसे संस्थान शिक्षा का माध्यम बना रहे हैं, उसकी अनदेखी की जा रही है़ कोरोना काल में इस विषय में ऑनलाइन क्लास की कोई व्यवस्था नहीं की गयी़ तब मैंने खुद ही वीडियो बनाना शुरू किया. जैक और सीबीएसइ के पाठ्यक्रम के अनुसार स्टडी मेटेरियल तैयार कर रहे हैं.

अप्रैल से अभी तक 2000 से अधिक बच्चों को पाठ्यक्रम सामग्री उपलब्ध करा चुके हैं. साथ ही डीजीसाथ कार्यक्रम के माध्यम से अपने स्तर से प्रत्येक जगह व्हाट्सऐप के माध्यम से पाठ्य सामग्री पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं. छठी से 12वीं तक के बच्चों को संस्कृत विषय में इ-कंटेंट मिल रहा है़ अभी तक करीब 90 वीडियो शेयर कर चुके हैं. हजारों छात्र इसका फायदा उठा रहे हैं.

जिन विद्यार्थियों के पास स्मार्टफोन नहीं है, उनके लिए लगायी चौपाल : राजेश कुमार गुप्ता, हुसैनाबाद : राजेश कुमार गुप्ता राजकीयकृत मध्य विद्यालय हुसैनाबाद पलामू में शिक्षक हैं. कोरोना काल में आस-पास के पोषक क्षेत्र के बच्चों को शिक्षा से जोड़ने के लिए नयी पहल शुरू की. घर-घर जाकर सर्वे किया़ अभिभावकों को कोरोना से बचने के लिए जागरूक किया़ साथ ही बच्चों को पढ़ाई से जुड़े रहने के लिए भी प्रेरित किया़ आज गांव में चौपाल लगा कर वैसे बच्चों को पढ़ा रहे हैं, जिनके पास स्मार्टफोन नहीं है़ वह बताते हैं : कोरोना के कारण सभी विद्यालय बंद हैं. विभाग के निर्देशानुसार ऑनलाइन पढ़ाई शुरू हुई. व्हाट्सएप ग्रुप बनाने का निर्देश मिला.

विभाग से प्राप्त डीजीसाथ इ- कंटेंट को बच्चों के पास भेजने लगे, लेकिन अपेक्षित परिणाम नहीं मिल पा रहा था. क्योंकि अधिकतर बच्चों के पास स्मार्टफोन और टीवी नहीं है़ इस कारण डोर टू डोर अभिभावकों के पास गया और उन बच्चों को चिन्हित करना शुरू किया, जिनके पास स्मार्टफोन नहीं है और न ही टीवी है. फिर उन्हें इकट्ठा कर विभिन्न टोलों में पढ़ाने लगा़ वह भी सोशल डिस्टैंसिंग के साथ़ अपने मोबाइल से कंटेंट दिखा कर समझाया. आज चौपाल लगाकर प्रतिदिन 50-60 बच्चों को पढ़ा रहे हैं.

सुबह बच्चों को पढ़ाते हैं, रात में कोरोना मरीजों की करते हैं सेवा : परितोष कुमार चौधरी, मारवाड़ी प्लस टू उवि : शहीद चौक स्थित मारवाड़ी प्लस टू उच्च विद्यालय के पीजीटी इंग्लिश शिक्षक परितोष कुमार चौधरी अपने काम से शिक्षा विभाग में अलग पहचान बनाने में सफल रहे हैं. समय-समय पर परितोष शिक्षा विभाग की शैक्षणिक गतिविधि के अलावा अन्य क्रियाकलापों में बढ़चढ़ सहयोग करते हैं. वहीं कोविड संक्रमण काल में एक ओर जहां सुबह ऑनलाइन क्लास ले रहे हैं, वहीं रात 10 से सुबह छह बजे तक खेलगांव स्थित कोविड आइसोलेशन सेंटर पर बतौर मजिस्ट्रेट सेवा दे रहे हैं.

मारवाड़ी स्कूल में पांच वर्षों से कार्यरत है़ं प्राचार्य की मदद से स्कूल को रांची के श्रेष्ठ हिंदी माध्यम स्कूल के रूप में विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है़ जैसे छात्र परिषद की स्थापना, छोटे मैदान में खेलकूद गतिविधियों को बढ़ावा देना और विद्यालय की वार्षिक पत्रिका ‘सुरभि’ को प्रकाशित कराना़ लगातार तीन वर्ष 2017, 2018 व 2019 में ‘मोस्ट आउटस्टैंडिंग कंट्रीब्यूटर फॉर स्कूल’ का अवार्ड हासिल कर चुके हैं.

विद्यार्थियों की परेशानी देख बदल दिया पढ़ाने का अपना तरीका : संजय कुमार, धनबाद : संजय कुमार धनबाद में शिक्षक हैं. कोरोना काल में बच्चों को पढ़ाने का बेहतरीन तरीका अपनाया. घर बैठे पांच विषयों का क्वेश्चन सेट तैयार किया. इस सेट को बच्चों तक भेजा और बच्चों की बुद्धिमत्ता को परखा़ वह बताते हैं : शुरुआत में अपने पोषक क्षेत्र के छात्रों और अभिभवकों से व्यक्तिगत और फोन पर संपर्क किया़ बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई, दूरदर्शन पर प्रसारित पाठ्य सामग्री को नियमित देखने के लिए प्रोत्साहित करने लगे. शनिवार को क्विज में सभी छात्रों को शामिल होने के लिए प्रेरित किया, लेकिन इस दौरान देखा कि कई बच्चों को पढ़ाई में परेशानी हो रही है़ फिर पढ़ाने का तरीका बदल दिया़

अब आठवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा को देखते हुए सभी विषयों का बहु विकल्पीय प्रश्न पत्र का सेट तैयार कर रहे हैं. व्हाट्सऐप ग्रुप में शेयर कर रहे हैं, ताकि बच्चे प्रतिदिन प्रैक्टिस कर सके. अभी तक अंग्रेजी, हिंदी, गणित, साइंस, सोशल साइंस के छह-सात सेट बना चुके हैं. प्रत्येक सेट में 20 प्रश्न. संजय कुमार बताते हैं : इससे धनबाद सहित राज्य के लगभग सभी जिले के बच्चे लाभान्वित हो रहे हैं. इस पहल की तरफ परियोजना निदेशक भी कर चुके हैं.

बच्चे आसानी से पढ़ सकें इसलिए इनाम में देते हैं मुफ्त डाटा कार्ड : अरविंद राज जजवाड़े, देवघर : आर मित्रा प्लस टू स्कूल देवघर में अंग्रेजी के पीजीटी शिक्षक अरविंद ने अपनी सोच बदली और बच्चों को पढ़ाने का तरीका ही बदल दिया. कोरोना के चलते हुए लॉकडाउन को अवसर में बदला, ई-मैगजीन रेनबो-सपनों के रंग, अंग्रेजी विषय, आर्ट एंड क्राफ्ट में ऑनलाइन स्टडी कंटेट को रोचक ढंग से तैयार किया़ इसके बाद सोशल मीडिया के जरिये सिर्फ राज्य के सुविधाविहीन विद्यालयों में ही नहीं, बल्कि विदेशों तक पहुंचाया. उनका यह प्रयास वर्षों से चल रहा है. इसके लिए उन्हें वर्ष 2017 का राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार और स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार मिल चुका है़

अरविंद राज ने कहा : कोरोना के बाद इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि स्कूल कब से खुलेंगे और नया सिलेबस कब शुरू हो पायेगा. बच्चों को पढ़ाई के लिए मोबाइल इस्तेमाल करना पड़ रहा है. आजकल माता-पिता कुछ ऐसी ही दुविधा से दो-चार हो रहे हैं. बच्चे को पढ़ाना भी जरूरी है लेकिन समस्या यह है कि यहां 30 प्रतिशत बच्चों के पास ही मोबाइल और डाटा का खर्च उठाने की क्षमता है. इसलिए वह इनाम में बच्चों को प्रशस्ति पत्र की जगह पढ़ने के लिए फ्री डाटा देते हैं.

Post by : Pritish Sahay

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