कोलेबिरा में कांग्रेस की जीत और झारखंड पार्टी की हार के कारण

रांची : पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में तीन राज्य में शानदार प्रदर्शन करने वाली कांग्रेस पार्टी का झंडा झारखंड में भी लहरा रहा है. राहुल के नेतृत्व में 2019 के आम चुनावों से पहले तीन राज्यों से शुरू हुआ ‘विजय रथ’ झारखंड में भी आगे बढ़ा. कोलेबिरा उपचुनाव में कांग्रेस के नमन विक्सल […]

By Prabhat Khabar Print Desk | December 23, 2018 3:28 PM

रांची : पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में तीन राज्य में शानदार प्रदर्शन करने वाली कांग्रेस पार्टी का झंडा झारखंड में भी लहरा रहा है. राहुल के नेतृत्व में 2019 के आम चुनावों से पहले तीन राज्यों से शुरू हुआ ‘विजय रथ’ झारखंड में भी आगे बढ़ा. कोलेबिरा उपचुनाव में कांग्रेस के नमन विक्सल कोंगारी ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवार बसंत सोरेंग को 9658 मतों से हरा दिया. एनोस एक्का की पत्नी मेनोन एक्का, जिन्हें जीत का प्रबल दावेदार माना जा रहा था, चौथे स्थान पर खिसक गयीं. 20 राउंड की मतगणना में कभी भी वह रेस में नहीं रहीं. वहीं, कोंगारी ने पहले राउंड से अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के बसंत सोरेंग पर बढ़त बनाये रखी, जो अंत तक कायम रही.

शिबू सोरेन से दगाबाजी

लोकसभा चुनाव 2019 में महागठबंधन की तैयारी कर रही कांग्रेस को उस वक्त तगड़ा झटका लगा था, जब झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) सुप्रीमो शिबू सोरेन ने एनोस की पत्नी मेनोन को समर्थन का एलान कर दिया. कांग्रेस से विचार-विमर्श के बगैर मेनोन को झामुमो का समर्थन और गुरुजी का आशीर्वाद दोनों मिल गया. कोलेबिरा उपचुनाव में जब कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार की घोषणा कर दी, तो यह अटकलें लगने लगीं कि झारखंड में भाजपा के खिलाफ महागठबंधन बनने से पहले ही बिगड़ गया. लेकिन, सच्चाई कुछ और ही थी.

तहखाने की रिपोर्ट बताती है कि झामुमो और शिबू सोरेन ने एनोस एक्का को सबक सिखाने के लिए उनकी पत्नी को समर्थन देने की चाल चली थी. दरअसल, वर्ष 2009 में गुरुजी के मंत्रिमंडल में रहते हुए एनोस एक्का ने उनकी पीठ में छुरा घोंपा था. अपने ही मुख्यमंत्री शिबू सोरेन के खिलाफ तमाड़ में एनोस एक्का ने गोपाल दास पातर उर्फ राजा पीटर को उतार दिया था. शिबू सोरेन इस उपचुनाव में हार गये थे. उन्हें इस्तीफा तो देना ही पड़ा था, काफी किरकिरी भी झेलनी पड़ी थी.

इसका बदला झामुमो ने एनोस एक्का से ले लिया है. मेनोन को गुरुजी ने आशीर्वाद के साथ समर्थन तो दे दिया, लेकिन पार्टी का कोई बड़ा नेता वहां प्रचार करने नहीं गया. झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अंतिम क्षण में प्रचार की औपचारिकता पूरी करने भर के लिए कोलेबिरा गये. दूसरी तरफ, पार्टी के नेता पौलुस सुरीन दूसरी पार्टी के प्रत्याशी के पक्ष में प्रचार करते रहे, लेकिन हेमंत या गुरुजी ने उन्हें कभी रोका नहीं.

एक्का का जेल में होना

वर्ष 2005 से कोलेबिरा विधानसभा का प्रतिनिधित्व करने वाले एनोस एक्का का जेल में होना उनकी पार्टी की हार की एक वजह रही. पारा शिक्षक की हत्या के मामले में एनोस एक्का के जेल जाने के बाद उनकी सीट पर उपचुनाव की घोषणा हुई थी. एनोस की पत्नी मेनोन एक्का पहली बार चुनाव लड़ रही थीं. रणनीति बनाने में वह भाजपा और कांग्रेस से कमजोर साबित हुईं और चुनाव हार गयीं.

एनोस और मेनोन एक्का का भ्रष्टाचार

लगातार तीन बार कोलेबिरा से चुनाव जीत चुके एनोस एक्का पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं. उनके साथ उनकी पत्नी मेनोन एक्का भी उन्हीं आरोपों में घिरी हुई हैं. कई जगहों पर उनकी संपत्ति को प्रवर्तन निदेशालय ने अटैच कर दिया है. लोगों में इसका भी गलत संदेश गया और झारखंड पार्टी को हार का सामना करना पड़ा.

कांग्रेस की ठोस रणनीति

झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के समर्थन के बावजूद मेनोन एक्का हार गयीं, तो इसकी सबसे बड़ी वजह कांग्रेस की ठोस रणनीति रही. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ अजय कुमार के नेतृत्व में पार्टी ने चुनाव जीतने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया. अपने प्रत्याशी को जिताने के लिए महागठबंधन के सहयोगी दलों के नेताओं की फौज कोलेबिरा में उतार दी.

दूसरी तरफ, भाजपा की सहयोगी पार्टी ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) ने भाजपा से दूरी बनाये रखी. इस तरह कोलेबिरा में भाजपा पूरी तरह अलग-थलग पड़ गयी और उसके प्रत्याशी को हार का सामना करना पड़ा.

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