स्टेट बैंक को छोड़ कर 17 बैंकों का 1579 बैंक खाता एनपीए हो चुका है
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साहिबगंज में 1579 ग्राहकों ने नहीं चुकाया ऋण
स्टेट बैंक को छोड़ कर 17 बैंकों का 1579 बैंक खाता एनपीए हो चुका है साहिबगंज : पूरे देश में बैंक खातों का तेजी से बढ़ता एनपीए नॉन परफॉर्मिंग एसेट देश की अर्थव्यवस्था को कमजोर करने के साथ साथ बैंकों के लिये सिरदर्द बन गया है. साहिबगंज में स्टेट बैंक को छोड़ कर 17 बैंकों […]
साहिबगंज : पूरे देश में बैंक खातों का तेजी से बढ़ता एनपीए नॉन परफॉर्मिंग एसेट देश की अर्थव्यवस्था को कमजोर करने के साथ साथ बैंकों के लिये सिरदर्द बन गया है. साहिबगंज में स्टेट बैंक को छोड़ कर 17 बैंकों का 1579 बैंक खाता एनपीए हो चुका है. जिनका 7 करोड़ 78 लाख 88 हजार रुपये मार्केट में फंस गया है.
ऋण नहीं चुकाने वाले इन 1579 ऋण धारकों में से अधिकांश पर सर्टिफिकेट केस दर्ज हो चुका है. साहिबगंज में 2017-18 की रिपोर्ट के अनुसार एनपीए खाते के करोड़ों रुपये की वसूली के लिये बैंक प्रबंधकों ने कई बार संबंधित ऋण धारकों को नोटिस भी दिया है. लेकिन बकायादारों ने ऋण चुकाने में रुचि नहीं दिखायी है. एनपीएम को साधारण तरीके से हम यह समझ सकते हैं कि अगर बैंक से कोई बड़ा लोन लेता है और किसी भी कारण से उसे वसूल पाने में अक्षम होता है तो यह एनपीए की श्रेणी में आता है.
बैंक का नाम ग्राहक राशि
इलाहाबाद बैंक 20 25 लाख
एक्सिस बैंक 0 0
बंधन बैंक 1 एक लाख
बैंक ऑफ इंडिया 917 दो करोड़ 88 लाख
बैंक ऑफ बड़ौदा 70 80 लाख
कैनरा बैंक 17 26 लाख 38 हजार
सेंट्रल बैंक 5 एक लाख 50 हजार
एचडीएफसी 0 0
आइओबी 47 एक करोड़ तीन लाख
आइडीबीआइ 0 0
पीएनबी जानकारी नहीं दी
सिंडिकेट बैक 0 0
यूको बैंक 500 दो करोड़ 50 लाख
यूनियन बैंक 0 0
यूनाइटेड बैंक 8 चार लाख
वनांचल बैंक जानकारी नहीं
एसबीआइ बैंक जानकारी नहीं
बोले एलडीएम
एनपीए खाता धारकों से ऋण वसूली का बैंक हर संभव प्रयास करती है. हालांकि ऐसे बकायादारों को बिना किसी झिझक के लोग अदालत के जरिये समझौता के तहत मूलधन चुका देना चाहिए. लोक अदालत में लिये गये ऋण में बजाय की राशि माफ करने का भी प्रावधान है. ऐसे ग्राहकों को आगे आकर ऋण चुकाते हुए देश की अर्थव्यवस्था मजबूत करने में अपना योगदान दे सकते हैं.
रामलाल रजक, एलडीएम
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