आर-पार के मूड में क्यों हैं झारखंड के युवा? हेमंत सोरेन सरकार को दे दी चेतावनी

Protest For Sarkari Naukri: शिक्षा की बदहाली और बेरोजगारी से आक्रोशित झारखंड के युवाओं ने मंगलवार को विधानसभा के समक्ष धरना दिया. इस दौरान युवाओं ने हेमंत सोरेन सरकार के खिलाफ नाराजगी जाहिर की. उन्होंने कहा कि चुनाव जीतकर सरकार अपने वादे भूल गयी. मजबूरन लोग दूसरे राज्यों में पलायन करने पर मजबूर हैं. उन्होंने चेतावनी दी कि अब सरकार से आर-पार की लड़ाई होगी.

By Guru Swarup Mishra | August 26, 2025 5:21 PM

Protest For Sarkari Naukri: रांची-झारखंड जनाधिकार महासभा के आह्वान पर मंगलवार को राज्यभर से आए युवाओं ने विधानसभा के समक्ष धरना दिया. युवाओं ने स्थानीय नीति और नियोजन नीति पर सरकार की चुप्पी, नियुक्ति प्रक्रिया में गड़बड़ी, शिक्षा व्यवस्था की बदहाली और बेरोजगारी को लेकर आक्रोश व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि झारखंड निर्माण के 25 साल होने को हैं. इसके बाद भी झारखंडी युवा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और सम्मानजनक रोजगार से वंचित है. अन्य राज्यों में पलायन करने को मजबूर हैं. झारखंड के युवाओं के साथ अन्याय हो रहा है. उन्होंने सरकार को चेतावनी दी कि युवाओं के मुद्दों पर सरकार गंभीर नहीं हुई तो अब आर-पार की लड़ाई होगी.

झारखंड सरकार से उठा भरोसा-युवा


आक्रोशित युवाओं ने कहा कि झारखंड में रघुवर सरकार की जनविरोधी स्थानीयता नीति अब भी लागू है. छह साल बाद भी हेमंत सरकार ने इसमें कोई बदलाव नहीं किया. दूसरी ओर नियोजन की अस्पष्टता, परीक्षाओं का लगातार रद्द होना और नियुक्ति में देरी से युवाओं का भरोसा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और सरकारी व्यवस्था से उठ गया है. युवाओं ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से सवाल किया कि दिशोम गुरु शिबू सोरेन के सपनों को क्यों नहीं पूरा किया जा रहा है? स्थानीय नीति और नियोजन नीति कब बनेगी? युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ कब रुकेगा?

सोचने पर मजबूर करते हैं झारखंड के ये आंकड़े


झारखंड की बेरोजगारी दर 17% पार कर चुकी है, जो राष्ट्रीय औसत से तीन गुना अधिक है. हर साल लाखों युवा रोजगार की तलाश में दिल्ली, महाराष्ट्र, गुजरात और तमिलनाडु जैसे राज्यों में पलायन कर रहे हैं. JSSC-CGL की जनवरी और सितंबर 2024 की परीक्षाएं पेपर लीक के चलते रद्द हुईं. झारखंड हाईकोर्ट में CBI जांच की मांग के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई. उत्पाद सिपाही भर्ती में नियमावली बदलने के कारण भर्ती प्रक्रिया ठप हो गयी. इसके खिलाफ आंदोलन में 12 अभ्यर्थियों की असमय मौत हुई. 7900 से अधिक प्राथमिक सरकारी विद्यालयों में केवल एक शिक्षक है, जहां 3.8 लाख बच्चे पढ़ते हैं. 17850 शिक्षक पद और 1.58 लाख से अधिक सरकारी पद खाली पड़े हैं. उच्च शिक्षा संस्थानों में 2008 के बाद से नियमित फैकल्टी नियुक्ति नहीं हुई. 4000 से अधिक शिक्षकों और कर्मचारियों के पद रिक्त हैं. निजी कंपनियों में केवल 21% रोजगार झारखंडियों को मिला है. पलामू, लातेहार और खूंटी जिले की चौकीदार बहाली में अनुसूचित जाति के लिए एक भी सीट आरक्षित नहीं की गयी है.

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महासभा की ये हैं मुख्य मांगें


महासभा से युवा प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री हेमंत के नाम पत्र लिखकर कई मांग की है, ताकि झारखंड की तस्वीर बदली जा सके.
स्थानीय नीति: रघुवर सरकार की स्थानीयता नीति को रद्द कर मूलगांव आधारित नीति बने.
नियोजन: स्थायी और विवाद-मुक्त नियोजन नीति बनाई जाए और सभी रिक्त पदों पर झारखंडियों को प्राथमिकता मिले.
आरक्षण: अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़े वर्गों और महिलाओं को बढ़ा हुआ आरक्षण दिया जाए.
शिक्षा सुधार: खाली पदों पर नियुक्ति, ग्रामीण स्कूलों में पुनर्बहाली और स्थानीय भाषा आधारित शिक्षा सुनिश्चित हो.
भूमिहीनों का अधिकार: दलित-भूमिहीनों को जाति प्रमाण पत्र और ज़मीन देने की प्रक्रिया सरल हो तथा इसके लिए शिविर आयोजित हों.
पलायन रोकना: कौशल विकास, सामाजिक सुरक्षा और मज़दूर अधिकारों पर ठोस नीति बने.
उच्च शिक्षा: विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों में स्थानीय युवाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए विशेष नीतियां बनें.

सरकारी पद घटे, नौकरी मिलना हुआ मुश्किल


युवा नेत्री रिया तूलिका ने कहा कि झारखंड की शिक्षा व्यवस्था चरमराई हुई है. रोजगार और नौकरी मिलना मुश्किल हो रहा है. चुनाव के समय झामुमो और कांग्रेस ने युवाओं के लिए कई वादे किए, लेकिन सरकार बनने के बाद भूल गयी. अजय एक्का ने कहा कि झारखंड सरकार चार वर्षों में 2.07 लाख नौकरी खत्म कर दी. 2022 से पहले झारखंड सरकार के पास 5.33 लाख नौकरियों के स्वीकृत पद थे, जो 2024-25 तक में घटा कर मात्र 3.27 लाख कर दी गयी. इसमें वर्तमान में 1.68 लाख कार्यरत हैं और 1.59 लाख पद अभी भी खाली है. स्पष्ट स्थानीय नीति और नियोजन नीति नहीं होने के कारण झारखंड की नौकरियों में बाहरी हावी हैं.

युवाओं के मुद्दे पर सोयी हुई है सरकार-मनोज भुइयां


युवा नेता दीपक रंजीत ने कहा कि हेमंत सरकार नियोजन नीति और स्थानीय नीति जैसे मुद्दों पर चुनाव जीती. चुनाव के दौरान सरकार का साथ दिया और सरकार बनी, लेकिन युवाओं के मुद्दों पर अब तक कुछ नहीं किया गया. सरकार युवाओं के साथ धोखा कर रही है. दीप्ति मिंज ने कहा कि समय पर वैकेंसी नहीं आती है. आती है तो पेपर लीक हो जाता है. इस वजह से राज्य में पलायन बढ़ रहा है. मनोज भुइयां ने कहा कि झारखंड में बेरोजगारी बढ़ती जा रही है, लेकिन सरकार सोयी हुई है. युवाओं की कोई चिंता नहीं है. अलका आईंद, अमन मरांडी, संजय उरांव, किरण भारती, अमृता किस्कू, रेणु उरांव, पीयूष सहित कई साथियों ने मौके पर अपनी बात रखी.

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